ऊर्जा संरक्षण में प्रदेश का नंबर वन जिला बना जींद
नरेंद्र कुंडू
जींद। प्रदेश में जींद जिले को बेशक पिछड़े जिलों में शुमार किया जाता हो, लेकिन ऊर्जा संरक्षण के क्षेत्र में जिले ने दबंगई दिखाई है। ब्लड डोनेशन के बाद अब जींद जिले ने ऊर्जा संरक्षण में भी प्रदेश में पहला स्थान प्राप्त कर लिया है। ऊर्जा संरक्षण में जींद जिला प्रदेश के अन्य जिलों के लिए रोल मॉडल के रूप में उभरा है। भारत सरकार के नवीनीकरण उर्जा स्त्रोत मंत्रालय द्वारा जवाहर लाल नेहरू नेशनल सोलर मिशन के तहत जींद जिले के सातों खंड विकास अधिकारी के कार्यालयों में सौलर प्लांट लगाए गए हैं। इन प्लांटों पर मंत्रालय द्वारा 6 लाख 30 हजार रुपए से भी अधिक की राशि खर्च की गई है। जिले के सभी खंडों में सौलर प्लांट लगाने वाला जींद जिला प्रदेश में पहला जिला बन गया है।
अब जिले में बिजली कटों की वजह से सरकारी कार्यालयों में कामकाज प्रभावित नहीं होगा, क्योंकि भारत सरकार के नवीनीकरण उर्जा स्त्रोत मंत्रालय द्वारा जवाहर लाल नेहरू नेशनल सौलर मिशन के तहत जिले के सभी सातों खंड विकास अधिकारी कार्यालयों में सौलर प्लांट लगा दिए गए हैं। ये प्लांट लगाने के मामले में जींद जिला प्रदेश में पहला जिला बन गया है। प्रत्येक खंड अधिकारी के कार्यालय पर 450 वाट क्षमता का सौलर प्लांट लगाया गया है, जिससे हर रोज तीन यूनिट बिजली का उत्पादन किया जा रहा है। इन प्लांटों की स्थापना पर मंत्रालय द्वारा 6 लाख 30 हजार रुपए से अधिक की राशि खर्च की गई है। इसके अलावा लघु सचिवालय में भी प्रतिदिन 25 यूनिट बिजली पैदा करने वाला प्लांट लगाया गया है। लघु सचिवालय के मुख्य-मुख्य कार्यालयों को इससे जोड़ा गया है। इसकी क्षमता बढ़ाने की कार्ययोजना भी तैयार की जा रही है। इस प्लांट पर 11 लाख रुपए की राशि खर्च की गई हैं। सौलर प्लांट लगने से बिजली की बचत तो होगी ही साथ-साथ प्रशासन को हर माह लाखों रुपए के राजस्व का भी लाभ होगा। सौलर प्लांट की सबसे खास बात यह है कि इन उपकरणों की लाइफ बहुत ज्यादा है और यह आसानी से खराब भी नहीं होते हैं। अक्षय ऊर्जा विभाग के अधिकारियों की मानें तो इन उपकरणों की लाइफ 35 साल से भी ज्यादा होती है।
ओमदत्त शर्मा, जिला परियोजना अधिकारी
अक्षय ऊर्जा विभाग, जींद
जींद। प्रदेश में जींद जिले को बेशक पिछड़े जिलों में शुमार किया जाता हो, लेकिन ऊर्जा संरक्षण के क्षेत्र में जिले ने दबंगई दिखाई है। ब्लड डोनेशन के बाद अब जींद जिले ने ऊर्जा संरक्षण में भी प्रदेश में पहला स्थान प्राप्त कर लिया है। ऊर्जा संरक्षण में जींद जिला प्रदेश के अन्य जिलों के लिए रोल मॉडल के रूप में उभरा है। भारत सरकार के नवीनीकरण उर्जा स्त्रोत मंत्रालय द्वारा जवाहर लाल नेहरू नेशनल सोलर मिशन के तहत जींद जिले के सातों खंड विकास अधिकारी के कार्यालयों में सौलर प्लांट लगाए गए हैं। इन प्लांटों पर मंत्रालय द्वारा 6 लाख 30 हजार रुपए से भी अधिक की राशि खर्च की गई है। जिले के सभी खंडों में सौलर प्लांट लगाने वाला जींद जिला प्रदेश में पहला जिला बन गया है।
अब जिले में बिजली कटों की वजह से सरकारी कार्यालयों में कामकाज प्रभावित नहीं होगा, क्योंकि भारत सरकार के नवीनीकरण उर्जा स्त्रोत मंत्रालय द्वारा जवाहर लाल नेहरू नेशनल सौलर मिशन के तहत जिले के सभी सातों खंड विकास अधिकारी कार्यालयों में सौलर प्लांट लगा दिए गए हैं। ये प्लांट लगाने के मामले में जींद जिला प्रदेश में पहला जिला बन गया है। प्रत्येक खंड अधिकारी के कार्यालय पर 450 वाट क्षमता का सौलर प्लांट लगाया गया है, जिससे हर रोज तीन यूनिट बिजली का उत्पादन किया जा रहा है। इन प्लांटों की स्थापना पर मंत्रालय द्वारा 6 लाख 30 हजार रुपए से अधिक की राशि खर्च की गई है। इसके अलावा लघु सचिवालय में भी प्रतिदिन 25 यूनिट बिजली पैदा करने वाला प्लांट लगाया गया है। लघु सचिवालय के मुख्य-मुख्य कार्यालयों को इससे जोड़ा गया है। इसकी क्षमता बढ़ाने की कार्ययोजना भी तैयार की जा रही है। इस प्लांट पर 11 लाख रुपए की राशि खर्च की गई हैं। सौलर प्लांट लगने से बिजली की बचत तो होगी ही साथ-साथ प्रशासन को हर माह लाखों रुपए के राजस्व का भी लाभ होगा। सौलर प्लांट की सबसे खास बात यह है कि इन उपकरणों की लाइफ बहुत ज्यादा है और यह आसानी से खराब भी नहीं होते हैं। अक्षय ऊर्जा विभाग के अधिकारियों की मानें तो इन उपकरणों की लाइफ 35 साल से भी ज्यादा होती है।
लघु सचिवालय में लगाया गया सौलर प्लांट। |
मनरेगा स्कीम को मिलेगा लाभखंड विकास अधिकारी के कार्यालयों में सौलर प्लांट लगने से सरकारी कामकाज व्यवस्थित होगा। कम्प्यूटरीकृत कार्यों में लाइट न होने से बाधा नहीं आएगी। इन प्लांटों का सबसे ज्यादा ला•ा मनरेगा स्कीम को मिलेगा, क्योंकि मनरेगा का सारा कामकाज आन लाइन होता है। कार्यालय में 24 घंटे लाइट की व्यवस्था होने से कर्मचारी मनरेगा के तहत होने वाले सभी कार्यों को हर रोज अपडेट कर सकेंगे। जिससे मनरेगा स्कीम को ओर बल मिलेगा।
वातावरण पर नहीं होगा दूष्प्रभावथर्मल पॉवर प्लांट में एक यूनिट बिजली बनाने पर एक किलो कार्बन वातावरण में फैल जाती हैं, जिससे वातावरण दूषित होता है। कोयले से बिजली बनाने पर जहां हमारे वातावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, वहीं कोयले जैसे प्राकृतिक संसाधन भी सिकुड़ रहे हैं। जिससे भविष्य में हमारे सामने गंभीर परिणाम हो सकते हैं। खंड विकास अधिकारी कार्यालयों में लगाए गए सौर ऊर्जा बिजली संयत्र पूरी तरह से वातावरण के अनुकूल हैं। इनसे किसी प्रकार का प्रदूषण नहीं होगा।
कितनी होगी सौलर प्लांट की कैपेस्टीखंड विकास अधिकारी कार्यालय में लगाए गए 450 वॉट के सौलर प्लांट से बिजली की कॉफी बचत होगी। एक सौलर प्लांट में 75-75 वॉट के सौलर मोड्यूल हैं। इस प्लांट में 12 वोलट 300 एमपीआर आवर की बेट्री होती है। जिससे प्रति दिन तीन यूनिट तक बिजली पैदा की जाती है। इससे कार्यालय में एक कम्प्यूटर, दो लाइट व 2 पंखे पूरा दिन चल सकेंगे।
प्रदेश में बना पहला जिलासौर ऊर्जा के इन प्लांटों के लगने से कार्यालय का कामकाज नियमित रूप से चलने लगा है। बिजली के अभाव में पहले कम्प्यूटर इत्यादि की सेवाएं बाधित होती थी। इस प्लांट के लगने से बिजली कब गई है अथवा कब कट लगा इस बात का पता ही नहीं लगता है और नियमित रूप से कम्प्यूटर से कार्य चलता रहता है। यह प्लांट पूरी तरह से वातावरण के अनुकूल हैं। सभी खंडों में सौलर प्लांट लगाने वाला जींद जिला प्रदेश का पहला जिला है। जींद के अलावा सिरसा दूसरे नंबर पर है। सिरसा में केवल दो खंडों में ही सौलर प्लांट लगाए गए हैं।
ओमदत्त शर्मा, जिला परियोजना अधिकारी
अक्षय ऊर्जा विभाग, जींद
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें