विद्यार्थियों के शैक्षणिक भ्रमण के सपने पर बजट का ग्रहण

जिले से 23935 विद्यार्थियों को भेजा जाना था टूर पर 
 नरेंद्र कुंडू
जींद।
जिले के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों की शैक्षणिक भ्रमण पर जाने की तमन्ना अधूरी ही रह गई। सर्व शिक्षा अभियान द्वारा विद्यार्थियों को किताबी ज्ञान के साथ-साथ बौद्धिक ज्ञान अर्जित करवाने की यह योजना फाइलों में ही दफन होकर रह गई है। इस योजना के तहत जिले से 23935 स्कूली बच्चों को शैक्षणिक भ्रमण पर भेजा जाना था। इसके लिए प्रत्येक स्कूल को एसएसए की तरफ से 10 हजार रुपए का बजट उपलब्ध करवाया गया था। एसएसए द्वारा सभी स्कूली मुखियाओं को विद्यार्थियों को भ्रमण पर ले जाने के लिए केवल रोडवेज की बस के प्रयोग के निर्देश दिए गए थे। लेकिन स्कूल मुखियाओं के लिए 10 हजार रुपए के बजट से टूर का खर्च तो दूर रोडवेज का किराया निकालना भी मुश्किल था। इस प्रकार बजट की मार ने स्कूली बच्चों के शैक्षणिक भ्रमण पर जाने की इस योजना पर ग्रहण लगा दिया।
सर्व शिक्षा अभियान के तहत स्कूली बच्चों को सैर करवाने का वायदा फिलहाल वायदा ही नजर आ रहा है। स्कूली बच्चों ने जो सर्व शिक्षा अभियान के तहत सैर पर जाने का सपना देखा था वो बजट की कमी ने चकनाचूर कर दिया है। इस योजना के तहत जिले के सभी  स्कूल मुखियाओं को लैटर जारी किए गए थे कि उनके स्कूलों से बच्चों को शैक्षणिक भ्रमण पर रोडवेज की बसों के माध्यम से ले जाया जाएगा। इन आदेशों के बाद स्कूली बच्चों ने भ्रमण के सपने बुनने शुरू कर दिए थे, जो फिलहाल सपना ही बनकर रह गए हैं। एसएसए द्वारा तैयार की गई इस योजना के तहत जिले के सभी स्कूल विद्यार्थियों को नवंबर व दिसंबर माह में ही शैक्षणिक भ्रमण पर ले जाना था, लेकिन स्थिति यह है कि नवंबर माह से अब तक जींद जिले से एक स्कूल से भी बच्चे भ्रमण पर नहीं जा सके हैं। जबकि एसएसए की इस योजना के तहत जिले से 23935 विद्यार्थियों को शैक्षणिक भ्रमण करवाना था। एसएसए का बच्चों को शैक्षणिक भ्रमण पर भेजना का उद्देश्य किताबी ज्ञान के साथ-साथ बच्चों को बौद्धिक ज्ञान अर्जित करवाना था। जो अब केवल कागजों तक ही सीमित रह गया है।
योजना में रोडवेज बस का भी फंसा पेंच
एसएसए द्वारा सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले अपर प्राइमरी विद्यार्थियों को शैक्षणिक भ्रमण पर भेजन की जो योजना तैयार की थी, उस योजना में रोडवेज की बस के प्रयोग का पेंच भी फंस गया। एसएसए द्वारा सभी  स्कूल मुखियाओं को लिखित में स्पष्ट निर्देश दिए गए थे कि बच्चों को टूर पर ले जाने के लिए केवल रोडवेज की बस का ही प्रयोग किया जाए। रोडवेज के नियम के अनुसार अगर रोडवेज की बस की बुकिंग की जाती है तो, सम्बंधित पार्टी को रोडवेज को 52 सवारियों के आने व जाने के किराये का भुगतान करना होता है, जबकि निजी वाहन इससे कम किराये में बुकिंग पर चले जाते हैं। बजट कम और रोडवेज का किराया ज्यादा होने के कारण भी  स्कूल मुखियाओं ने टूर को रद्द करने में ही भलाई समझी।
क्या थी योजना    
सर्व शिक्षा अभियान ने सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को किताबी ज्ञान के साथ-साथ बौद्धिक ज्ञान अर्जित करवाने के उद्देश्य से उन्हें शैक्षणिक भ्रमण पर भेजने की योजना तैयार की थी। इस योजना के तहत जिले के सभी अपर प्राइमरी सरकारी स्कूलों से विद्यार्थियों को शैक्षणिक भ्रमण पर भेजा जाना था। इस योजना के अंतर्गत जिले के प्रत्येक स्कूल से 50 लड़के व 50 लड़कियों के बैच बनाकर भ्रमण के लिए भेजने थे। जिसके तहत प्रत्येक विद्यार्थी पर 200 रुपए खर्च करने का प्रावधान था। योजना के तहत नौंवी से बारहवीं कक्षा के विद्यार्थियों को 100 किलोमीटर के दायरे में आने वाले किसी भी टूरिस्ट पैलेस पर ले जाया जाना था। जिले के 23935 विद्यार्थियों को टूर का लाभ मिलना था।
नियमों में कर दिया था परिर्वतन
सर्व शिक्षा अभियान ने रोडवेज के ज्यादा किराये को देखते हुए बाद में नियमों में परिर्वतन कर दिया था। परिवर्तन किए गए नियमों के अनुसार विद्यार्थियों को भ्रमण पर ले जाने के लिए प्राइवेट वाहन का सहारा लिया जा सकता था। नियमों में परिवर्तन करने के बाद सभी स्कूल मुखियाओं दोबारा से निर्देश भी जारी कर दिए थे और इसकी जिम्मेदारी बीईओ को सौंपी गई थी।
भीम सैन भारद्वाज, जिला परियोजना अधिकारी
एसएसए, जींद

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