शनिवार, 3 मार्च 2012

कर्मचारियों को रास नहीं आ रहा ई-सेलरी सिस्टम

नरेंद्र कुंडू
जींद।
सरकार की आधुनिकरण की नीति ई-सेलरी सिस्टम कर्मचारियों को रास नहीं आ रही है। यह सिस्टम लागू तो कर दिया गया, लेकिन इसके बारे में कर्मचारियों को कोई तकनीकी जानकारी न होने के कारण यह सुविधा उनके लिए आफत बन गई है। तकनीकी जानकारी के अभाव के कारण कर्मचारी ई-सेलरी का साफ्टवेयर आॅपरेट नहीं कर पा रहे हैं। इसके अलावा ज्यादातर कार्यालयों में कंप्यूटर व ब्राडबैंड इंटरनेट की सुविधा नहीं है और जहां पर ये सुविधा है, वहां दक्ष कंप्यूटर आप्रेटर नहीं है। कंप्यूटर व नेट र्वकिंग का तकनीकी प्रशिक्षण नहीं होने की वजह से कर्मचारियों को साइबर कैफे के चक्कर लगाने पड़ रहा हैं। सरकार की इस आधुनिकरण की नीति के कारण कर्मचारियों को अपने वेतन की चिंता सताने लगी हैं।
सरकार की आधुनिकरण की नीति के तहत विभिन्न विभागों में काम करने वाले कर्मचारियों को जल्द वेतन मुहैया करवाने के लिए प्रदेश में जनवरी माह से ई-सैलरी सिस्टम लागू किया गया है। जिसमें कर्मचारियों का वेतन हरियाणा ट्रेजरी एंड खजाना विभाग द्वारा ई-सैलरी के माध्यम से निकाला जाना है। इसके तहत सबसे पहले शिक्षक व कर्मचारियों को नेट वर्किग के माध्यम से अपने डाटा फीड करवाना होता है। जिसमें कर्मचारियों का नाम, पता, जन्म तिथि, आईडी संख्या, पेन संख्या आदि शामिल है। परंतु प्रदेश के अधिकतर स्कूलों व अन्य विभागों के कर्मचारी डाटा फीड नहीं कर पा रहे हैं। इसकी वजह कर्मचारियों का अप्रशिक्षित होना बताया जा रहा है। शिक्षा विभाग के एक उच्च अधिकारी का कहना है कि विभाग की तरफ  से स्कूल के तमाम स्कूल प्राचार्यों को प्रशिक्षण दिया गया था परंतु इस प्रशिक्षण का फायदा अन्य शिक्षकों तक नहीं पहुंच पाया, जिसकी वजह से यह समस्या आ रही है। ई-सैलरी बनवाने के लिए कार्यालयों में कम से कम एक कंप्यूटर तथा ब्राडबैंड इंटरनेट सुविधा व एक तकनीकी कर्मचारी जरूरी है। परंतु ज्यादातर कार्यालयों में ब्राडबैंड इंटरनेट की सुविधा तो दूर कंप्यूटर सिस्टम तक उपलब्ध नहीं है। जहां पर इंटरनेट सुविधा है वहां पर दक्ष कम्प्यूटर डाटा आपरेटर न होने के कारण कर्मचारी अपना वेतन निकलवाने को लेकर चिंतित हैं। सहायक खजाना कार्यालयों में विभागीय नियमों का पालन करते हुए वहां कार्यरत कर्मियों ने कर्मचारियों का आगामी महीनों का वेतन ई-सैलरी के माध्यम से ही जारी करने का उल्लेख किया है। वहीं कुछ  कर्मियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि जब वे नेटवर्क दिक्कत तथा सर्वर दिक्कतों के चलते संबंधित वि•ााग से संपर्क करते हैं तो बेबसाइट पर दिए गए दूरभाष नंबर से भी कोई सही जानकारी नहीं मिल पाती। जिस कारण ई-सेलरी व्यवस्था सरकारी अधिकारियों के लिए आफत बन गई है। कंप्यूटर व नेट वर्किग का तकनीकी प्रशिक्षण नहीं होने की वजह से कर्मचारियों को साइबर कैफे के चक्कर लगाने पड़ रहा हैं। अब तो सरकारी कर्मचारियों को मार्च का वेतन मिलने की भी आशंका सताने लगी है।

क्या है ई-सेलरी सिस्टम का लाभ
ई-सेलरी एक इलेक्ट्रानिक सिस्टम है। इस सिस्टम की सहायता से कर्मचारियों को आनलाइन वेतन का भुगतान जल्द किया जा सकता है। इस नई प्रणाली के तहत विभाग की तरफ  से मिलने वाली बजट कर्मचारियों के खातों में सीधे जमा करवाया जा सकेगा। कर्मचारियों को वेतन निकासी के लिए ट्रेजरी व बैंक के चक्कर लगाने नहीं लगाने पड़ेंगे। बजट पर कंट्रोल होगा, कोई भी अधिकारी किसी भी कर्मचारी की सेलरी के साथ छेड़खानी नहीं कर सकेगा। सेलरी बनाते समय होने वाली गलती से बचा जा सकेगा। बार-बार बिल की फीडिंग नहीं करनी पड़ेगी। कार्य प्रणाली में पारदर्शिता आएगी। पेपर वर्क कम होगा।
किस-किसको नहीं मिलेगा ई-सेलरी सिस्टम का लाभ
गेस्ट टीचरों, अनुबंध पर लगे कर्मचारियों को ई-सेलरी सिस्टम का लाभ  नहीं मिलेगा। इन कर्मचारियों को सामान्य तरीके से सेलरी का भुगतान किया जाएगा।
कार्य प्रणाली में आएगी  पारदर्शिता
कार्य प्रणाली में पारदर्शिता लाने व कर्मचारियों पर बढ़ते काम के बोझ को कम करने के उद्देश्य से ई-सेलरी सिस्टम लागू किया गया है। सभी  विभागों के डीडीओ को यूजर नेम व पासवर्ड उपलब्ध करवाए गए हैं। अगर कर्मचारियों के सामने किसी भी प्रकार की तकनीकी समस्या आती है तो विभाग के अधिकारी किसी भी प्राइवेट कंप्यूटर टीचर से सहायता ले सकते हैं। ई-सेलरी सिस्टम के तहत कोई भी अधिकारी किसी कर्मचारी की सेलरी के साथ छेड़खानी नहीं कर सकेगा। सभी कर्मचारियों की सेलरी सीधे उनके खातों में जमा हो जाएगी। जिले में ई-सेलरी सिस्टम को पूरा रिस्पांश मिल रहा है।
वजीर सिंह, जूनियर प्रोग्रामर अधिकारी
खजना कार्यालय, जींद


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