डीएड व बीएड कॉलेजों पर छाए संकट के बादल
एनसीटीई की दो टीमों ने दी कॉलेजों में दस्तकनरेंद्र कुंडू
जींद। जिले के डीएड व बीएड कॉलेजों पर संकट के बादल छाए हुए हैं। पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा ( रास्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिसद ) एनसीटीई के क्षेत्रीय निदेशक को फटकार लगाने के बाद एनसीटीई ने एनसीटीई एक्ट की धारा 17 के तहत निजी डीएड व बीएड कॉलेजों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। इसके लिए एनसीटीई की दो टीमें 24 फरवरी से जींद जिले के कॉलेजों का निरीक्षण कर वहां व्याप्त खामियों का लेखा-जोखा तैयार कर रही हैं। निरीक्षण के दौरान कॉलेज में चल रहे गड़बड़झालों के उजागर होने के डर से निजी कॉलेज संचालकों के पैरों तले से जमीन खिसक गई है। क्योंकि अधिकतर कॉलेज एनसीटीई द्वारा निर्धारित मापदंड व मानकों पर खरे नहीं उतर पाने के कारण उन पर गाज गिरना तय है।
हाईकोर्ट ने बिना प्रदेश सरकार के अनापत्ति प्रमाण पत्र के अंधाधुंध बीएड व डीएड कॉलेजों को मान्यता देने पर एनसीटीई की खिंचाई की है। हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए एनसीटीई को 6 माह पहले यह निर्देश दिए थे कि वह सभी डीएड व बीएड कॉलेजों का निरीक्षण कर हाईकोर्ट में स्टेट्स रिपोर्ट दाखिल करे। परंतु हाईकोर्ट के आदेशों की पालना न होने पर एनसीटीई के क्षेत्रीय निदेशक को अवमानना नोटिस जारी कर व्यक्तिगत रूप से 13 फरवरी को हाईकोर्ट में पेश होने का आदेश दिया था। 13 फरवरी को सुनवाई के दौरान क्षेत्रीय निदेशक को हाईकोर्ट के आदेशों की पालना न करने पर कड़ी फटकार लगाते हुए एक महीने की तय समयावधि में डीएड व बीएड कॉलेजों का निरीक्षण कर रिपोर्ट पेश करने के आदेश जारी किए हैं। हाईकोर्ट की फटकार के बाद अब एनसीटीई ने एनसीटीई एक्ट की धारा 17 के तहत प्रदेश के सभी डीएड व बीएड कॉलेजों का गहन निरीक्षण शुरू कर दिया है। किस दिन किस कॉलेज का निरीक्षण होगा, इसका विवरण अपनी वैबसाइट एनआरसीएनसीटीई डॉट ओआरजी पर जारी कर दिया है। जिसके तहत एनसीटीई की दो टीमें जींद में पहुंच चुकी हैं। एनसीटीई की दोनों टीमें 24 फरवरी से शैड्यूल के अनुसार डीएड व बीएड कॉलेजों में जाकर कर वहां व्याप्त खामियों का लेखा-जोखा तैयार करने में जुटी हैं। जिले में लगभग 22 डीएड व बीएड कॉलेजे हैं। एनसीटीई द्वारा गहन निरीक्षण से निजी कॉलेज संचालकों में हड़कंप मच गया है। क्योंकि एनसीटीई द्वारा की जा रही गहन जांच के पश्चात जिले के कई निजी डीएड व बीएड कॉलेजों पर गाज गिरना तय है। हाईकोर्ट की कड़ी फटकार के बाद एनसीटीई द्वारा मामले को गंभीरता से लेने पर प्रताड़ित विद्यार्थी व शिक्षक खुशी से झुम उठे हैं।
क्या-क्या खामिया होंगी उजागरअधिकांश निजी बीएड व डीएड कॉलेजों के पास न तो मूलभूत सुविधाएं हैं और ना ही वे एनसीटीई द्वारा निर्धारित मापदंड व मानकों पर खरे उतरते हैं। इन संस्थानों में से डिग्रीयां बांटी जा रही हैं। अधिकांश निजी बीएड व डीएड कॉलेजो में शिक्षण हेतु निर्धारित मात्रा में पूरा स्टाफ नहीं है। ज्यादातर कॉलेजों में छात्रों से रकम ऐंठ कर हाजिरी पूरी कर दी जाती है। विद्यार्थियों पर भारी जुर्माने लगाकर बड़े पैमाने पर उनका शोषण किया जाता है। इसके अलावा शिक्षकों को कम वेतन दिया जाता है, शिक्षकों की फर्जी नियुक्तियां दिखाई जाती हैं, बैंक अकाउंट की बजाय नकद फीस ली जाती है, किस्तों में फीस लेने की बजाए एकमुश्त फीस वसूली जाती है, अनाप-शनाप जुर्माने वसूले जाते हैं, कई कॉलेजों में स्कूल, अस्पताल जैसी अन्य गतिविधियां चलाई जाती हैं।
क्या हैं एनसीटीई के नियम
एनसीटीई के नियम के मुताबिक 100 सीटों के डीएड या बीएड कॉलेज के पास 3 एकड़ जमीन होनी चाहिए, जिसमें 1500 स्कवेयर मीटर में बिल्डिंग बनी होनी चाहिए। जमीन कॉलेज के नाम होनी चाहिए तथा जमीन पर किसी प्रकार का लोन नहीं होना चाहिए। 100 सीटों वाले कॉलेज में कम से कम 7 लेक्चर्र, एक प्रिंसिपल व 6 अन्य स्टाफ मेंबर होने चाहिएं। लेक्चर्र की शैक्षणिक योग्यता मास्टर डिग्री व एमएड के अलावा नेट या पीएचडी क्वालिफाइड होना चाहिए। प्रिंसिपल की शैक्षणिक योग्यता में लेक्चर्र की सभी शर्तों के अतिरिक्त 10 वर्ष का अनुभव होना चाहिए। बीएड, डीएड, सीपीएड व एमएड के लिए अलग-अलग भवन होना चाहिए। कॉलेज में लाइब्रेरी, लेब व फर्नीचर के अलावा सभी मूलभूत सुविधाएं होनी चाहिएं।
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