शनिवार, 3 मार्च 2012

...हाय राम ये दुखड़ा मैं किस-किस से कहूं

जिला कष्ट निवारण समिति ने आठ माह से नहीं सुनी जन समस्याएं
नरेंद्र कुंडू
जींद।
सरकार में प्रतिनिधित्व के मामले में जिला पूरी तरह से अनाथ होकर रह गया है। पहले कष्ट निवारण समिति की बैठक में ही लोग अपना दुखड़ा रो लेते थे, लेकिन अब तो उसका सहारा भी नहीं रहा। पिछले 8 माह से जिला कष्ट निवारण समिति की चेयरपर्सन द्वारा एक बार भी जिले में बैठक नहीं ली गई है। अगर पिछले 10 साल के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो जिले में ऐसा पहली बार हुआ है कि जिला कष्ट निवारण समिति के मुखिया द्वारा लगातार आठ माह से एक बार भी लोगों की शिकायतएं नहीं सुनी गई हों। जबकि पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला व बंसीलाल जैसे दिग्गज नेता मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए भी हर माह जिले के लोगों के बीच पहुंचकर उनकी शिकायतें सुनते थे। इस बारे में जिला प्रशासन के आला अधिकारी चुपी साधे हुए हैं। कोई भी अधिकारी बात करने को तैयार नहीं हैं। जिस कारण जिले में जन समस्याएं दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं और उनके दर्द पर मरहम लगाने वाला कोई नहीं है।
जन समस्याओं के निदान के लिए बनाई गई जिला कष्ट निवारण समिति जिले के लोगों के लिए बेमानी साबित हो रही है। एक तरफ जहां प्रदेश के दूसरे जिलों में रुटीन में हर माह जिला कष्ट निवारण समिति के मुखियाओं द्वारा लोगों की समस्याएं सुनी जा रही हैं, वहीं जींद जिले में पिछले आठ माह से एक बार भी प्रदेश की शिक्षा मंत्री एवं समिति की चयरपर्सन गीता भुक्कल एक बार भी लोगों की शिकायतें सुनने नहीं पहुंची है। जिला कष्ट निवारण समिति ही एकमात्र जरिया होती है, जिसके माध्यम से लोग अपनी समस्याएं अपने जनप्रतिनिधियों तक पहुंचा सकते हैं। पहले लोग कष्ट निवारण समिति के सामने अपना दुखड़ा रोकर अपनी समस्या का समाधान करवा लेते थे। लेकिन अब तो जिले के लोगों का यह सहारा भी छुट गया है। समिति की चेयरपर्सन द्वारा इतने लंबे समय से की जा रही अनदेखी के कारण लोगों में रोष व्याप्त है। जिले में मई 2011 के बाद चेयरपर्सन द्वारा समिति की कोई बैठक नहीं की गई है। 8 माह में एक बार भी समिति की बैठक न होना सीधे इस बात की ओर संकेत कर रहा हैं कि कांग्रेस सरकार के जनप्रतिनिधि जींद जिले की पूरी तरह से अनदेखी कर रहे हैं। अगर पिछले 10 साल के आंकड़ों पर भी नजर डाली जाए तो, जिले में यह ऐसा पहला मौका होगा कि जिला कष्ट निवारण समिति की चेयरपर्सन इतने लंबे समय से एक बार भी जनता के बीच में उनकी समस्याएं सुनने के लिए नहीं पहुंची हो। जबकि  प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला व बंसीलाल जैसे दिग्गज नेता मुख्यमंत्री के पद पर आसीन होने के बावजूद भी स्वयं हर माह लोगों की समस्याएं सुनने पहुंचते थे और बैठक में लोगों की समस्याएं सुनकर  संबंधित प्रशासनिक अधिकारियों को तुरंत उनके समाधान के निर्देश देते थे। इससे जनता व जनप्रतिनिधियों के बीच अच्छा तालमेल बना रहता था और काफी हद तक आफसरशाही पर भी अंकुश लगा हुआ था। लेकिन अब तो जिला सरकार के प्रतिनिधित्व के मामले में पूरी तरह से अनाथ हो गया है। जनता व जनप्रतिनिधियों के बीच की यह कड़ी यहां टूटती नजर आ रही है।
सरकार की कार्यप्रणाली पर लग रहा है प्रश्नचिह्न
सरकार द्वारा जन समस्याओं के निदाान के लिए प्रदेश में जिला स्तर पर जिला कष्ट निवारण समितियों का गठन किया गया है। जिला स्तर पर गठित की गई कष्ट निवारण समिति का मुखिया सरकार द्वारा नियुक्त किया जाता है। कष्ट निवारण समिति के मुखिया को प्रत्येक माह जिले में समिति की बैठक कर जन समस्याएं सुनकर उनका निदान करना होता है। जनता की समस्याएं सरकार तक पहुंचाने की यह मुख्य कड़ी होती है। प्रदेश की शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल को जींद जिले की कष्ट निवारण समिति की चेयरपर्सन की जिम्मेदारी सौंपी गई है। लेकिन चेयरपर्सन ने मई 2011 यानि आठ माह से जन समस्याएं सुनना तो दूर की बात जिले में समिति की एक भी बैठक नहीं की है। लगातार आठ माह से समिति की चेयरपर्सन द्वारा जिले के लोगों के बीच पहुंचकर उनकी समस्याएं न सुनना सरकार की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिह्न खड़ा कर रहा है। इस बारे में जिला प्रशासन के आला अधिकारी चुपी साधे हुए हैं। कोई भी अधिकारी बात करने को तैयार नहीं हैं।

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