....अब पप्पू नहीं होगा फेल
प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों में नए सत्र से लागू होगी सतत समग्र मूल्यांकन प्रणाली
नरेंद्र कुंडू
जींद। अब पप्पू कभी फेल नहीं होगा। देश में शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 लागू होने के बाद प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों में भी सत्त एवं समग्र मूल्यांकन प्रणाली लागू कर दी गई है। इसके तहत अब अध्यापकों को कक्षा में पढ़ाते समय ही बच्चे का समग्र मूल्यांकन करना होगा। अध्यापक द्वारा बच्चे की मासिक अर्द्धवार्षिक व वार्षिक परीक्षाफल का विश्लेषण कर बच्चों की कमजोरियां पता की जाएंगी और उनका निदान करने हेतु उपचारात्मक शिक्षण किया जाएगा। यदि किसी बच्चे की कमी में कोई सुधार नहीं हो रहा तो अध्यापक को उस बच्चे पर अतिरिक्त समय लगाना होगा। इसी तरह बच्चे की लिखित एवं मौखिक अभिव्यक्ति जांचने के उद्देश्य से लिखित एवं मौखिक दोनों तरह के आकलन की व्यवस्था लागू की जा रही है। शिक्षा सत्र 2011-12 से पायलट आधार पर इसे लागू किया जाएगा। शिक्षा विभाग ने एसएसए के जिला मुख्यालय पर नोट बुक भेज दी हैं। अब सभी स्कूलों को नोट बुक उपलब्ध करवाने की व्यवस्था सर्वशिक्षा अभियान (एसएसए)को स्वयं करनी है।
आठवीं कक्षा तक का कोई बच्चा अब सालाना परीक्षा में पूछे गए कुछ प्रश्नों के आधार पर पास या फेल नहीं किया जाएगा। शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के तहत अध्यापकों को बच्चे का समग्र मूल्यांकन करना होगा और कक्षा में ही बच्चे की प्रगति रिपोर्ट का लेखा-जोखा तैयार करना होगा। मूल्यांकन में बच्चे की नेतिक, सामाजिक, शारीरिक, भावनात्मक विकास की जानकारी उसकी आदतें, व्यवहार आदि शामिल आदि शामिल होंगे, जिनके आधार पर बच्चे को अंक दिए जाएंगे। बच्चे का यदि कोई पक्ष कमजोर है तो उसे अतिरिक्त कक्षाओं में पढ़ाकर इस लायक बनाया जाएगा कि वह कभी फेल न हो। इसके लिए शिक्षा विभाग द्वारा अध्यापकों को अलग से ट्रेनिंग दी जा रही है कि अध्यापकों को किस तरह से बच्चे का मूल्यांकन कर बच्चे की कमजोरियों को दूर करना है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम की धारा 29-(2) की उपधारा (1) में कहा गया है कि मूल्यांकन प्रक्रिया ऐसी हो, जिससे बच्चों का सर्वांगीण विकास हो। इस नई प्रणाली में बच्चे के समझने की शक्ति का और उसे उपयोग करने की उसकी योग्यता का व्यापक और सतत मूल्यांकन शामिल है। इसके अलावा धारा 24 (2) घ में प्रत्येक बच्चे की शिक्षा ग्रहण करने की सामर्थ्य का निर्धारण करना और यदि जरूरत हो तो अतिरिक्त शिक्षा देना व माता-पिता के साथ नियमित बैठकें करना शामिल हैं। मूल्यांकन प्रणाली के लिए 11 चरण शामिल किए गए हैं। इसके तहत श्रम करने, संग्रह करने, आंकड़ों का विश्लेषण करने, समूह परियोजना बनवाने में बच्चों का सहयोग, अनु•ाव बांटना, छात्र की प्रोफाइल बनाना और बच्चों द्वारा किए गए कार्यों का विवरण शामिल करना, भ्रमण आदि शामिल हैं। इसी तरह बच्चे की लिखित एवं मौखिक अभीव्यक्ति जांचने के उद्देश्य से लिखित एवं मौखिक दोनों तरह के आकलन की व्यवस्था लागू की जा रही है। शिक्षा सत्र 2011-12 से पायलट आधार पर दो सेमेस्टर प्रणाली लागू की जाएगी। शिक्षा की गुणवत्ता एवं उपचारात्मक शिक्षण की सुनिश्चितता बनाए रखने हेतु राज्य स्तर से मानीटरिंग की जाएगी। शिक्षा विभाग ने नए सत्र से योजना को मूर्त रुप देने के लिए सभी स्कूलों में नोट बुक उपलब्ध करवाने की कवायद शुरू कर दी है। स्कूलों तक नोट बुक पहुंचाने की जिम्मेदारी एसएसए को सौंपी गई है।
भीम सैन भारद्वाज, जिला परियोजना अधिकारी
सर्वशिक्षा अभियान, जींद
नरेंद्र कुंडू
जींद। अब पप्पू कभी फेल नहीं होगा। देश में शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 लागू होने के बाद प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों में भी सत्त एवं समग्र मूल्यांकन प्रणाली लागू कर दी गई है। इसके तहत अब अध्यापकों को कक्षा में पढ़ाते समय ही बच्चे का समग्र मूल्यांकन करना होगा। अध्यापक द्वारा बच्चे की मासिक अर्द्धवार्षिक व वार्षिक परीक्षाफल का विश्लेषण कर बच्चों की कमजोरियां पता की जाएंगी और उनका निदान करने हेतु उपचारात्मक शिक्षण किया जाएगा। यदि किसी बच्चे की कमी में कोई सुधार नहीं हो रहा तो अध्यापक को उस बच्चे पर अतिरिक्त समय लगाना होगा। इसी तरह बच्चे की लिखित एवं मौखिक अभिव्यक्ति जांचने के उद्देश्य से लिखित एवं मौखिक दोनों तरह के आकलन की व्यवस्था लागू की जा रही है। शिक्षा सत्र 2011-12 से पायलट आधार पर इसे लागू किया जाएगा। शिक्षा विभाग ने एसएसए के जिला मुख्यालय पर नोट बुक भेज दी हैं। अब सभी स्कूलों को नोट बुक उपलब्ध करवाने की व्यवस्था सर्वशिक्षा अभियान (एसएसए)को स्वयं करनी है।
आठवीं कक्षा तक का कोई बच्चा अब सालाना परीक्षा में पूछे गए कुछ प्रश्नों के आधार पर पास या फेल नहीं किया जाएगा। शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के तहत अध्यापकों को बच्चे का समग्र मूल्यांकन करना होगा और कक्षा में ही बच्चे की प्रगति रिपोर्ट का लेखा-जोखा तैयार करना होगा। मूल्यांकन में बच्चे की नेतिक, सामाजिक, शारीरिक, भावनात्मक विकास की जानकारी उसकी आदतें, व्यवहार आदि शामिल आदि शामिल होंगे, जिनके आधार पर बच्चे को अंक दिए जाएंगे। बच्चे का यदि कोई पक्ष कमजोर है तो उसे अतिरिक्त कक्षाओं में पढ़ाकर इस लायक बनाया जाएगा कि वह कभी फेल न हो। इसके लिए शिक्षा विभाग द्वारा अध्यापकों को अलग से ट्रेनिंग दी जा रही है कि अध्यापकों को किस तरह से बच्चे का मूल्यांकन कर बच्चे की कमजोरियों को दूर करना है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम की धारा 29-(2) की उपधारा (1) में कहा गया है कि मूल्यांकन प्रक्रिया ऐसी हो, जिससे बच्चों का सर्वांगीण विकास हो। इस नई प्रणाली में बच्चे के समझने की शक्ति का और उसे उपयोग करने की उसकी योग्यता का व्यापक और सतत मूल्यांकन शामिल है। इसके अलावा धारा 24 (2) घ में प्रत्येक बच्चे की शिक्षा ग्रहण करने की सामर्थ्य का निर्धारण करना और यदि जरूरत हो तो अतिरिक्त शिक्षा देना व माता-पिता के साथ नियमित बैठकें करना शामिल हैं। मूल्यांकन प्रणाली के लिए 11 चरण शामिल किए गए हैं। इसके तहत श्रम करने, संग्रह करने, आंकड़ों का विश्लेषण करने, समूह परियोजना बनवाने में बच्चों का सहयोग, अनु•ाव बांटना, छात्र की प्रोफाइल बनाना और बच्चों द्वारा किए गए कार्यों का विवरण शामिल करना, भ्रमण आदि शामिल हैं। इसी तरह बच्चे की लिखित एवं मौखिक अभीव्यक्ति जांचने के उद्देश्य से लिखित एवं मौखिक दोनों तरह के आकलन की व्यवस्था लागू की जा रही है। शिक्षा सत्र 2011-12 से पायलट आधार पर दो सेमेस्टर प्रणाली लागू की जाएगी। शिक्षा की गुणवत्ता एवं उपचारात्मक शिक्षण की सुनिश्चितता बनाए रखने हेतु राज्य स्तर से मानीटरिंग की जाएगी। शिक्षा विभाग ने नए सत्र से योजना को मूर्त रुप देने के लिए सभी स्कूलों में नोट बुक उपलब्ध करवाने की कवायद शुरू कर दी है। स्कूलों तक नोट बुक पहुंचाने की जिम्मेदारी एसएसए को सौंपी गई है।
बच्चे का लेखा-जोखा होगा तयारसतत एवं समग्र मूल्यांकन प्रणाली के तहत अब प्राथमिक से आठवीं कक्षा तक के किसी भी बच्चे को फेल नहीं किया जाएगा। इस प्रणाली के तहत अध्यापकों को बच्चे का समग्र मूल्यांकन कर उसकी कमजोरी को दूर करने के लिए उसका लेखा-जोखा तैयार किया जाएगा। जिस क्षेत्र में बच्चे की रुची होगी उसी के अनुसार बच्चे पर ध्यान दिया जाएगा। शिक्षा विभाग द्वारा भेजी गई नोट बुकों को स्कूलों तक पहुंचाने के लिए एसएसए ने कार्रवाई शुरू कर दी है, ताकि नए सत्र से योजना को सही ढंग से लागू किया जा सके।
भीम सैन भारद्वाज, जिला परियोजना अधिकारी
सर्वशिक्षा अभियान, जींद
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