रविवार, 1 अप्रैल 2012

‘अतिथि’ तुम कब जाओगे

नरेंद्र कुंडू
जींद।
सुप्रीम कोर्ट के शिक्षा विभाग में नियमित नियुक्तियां न होने तक अतिथि अध्यापकों से शिक्षण कार्य जारी रखने के फैसले के बाद प्रदेश में आंदोलनरत 15 हजार अतिथि अध्यापकों ने राहत की सांस ली है। लेकिन उधर सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद पात्र अध्यापकों में मायूसी छा गई है। अतिथि अध्यापकों पर हुई सरकार व अदालत की मेहरबानी से पात्र अध्यापकों के साथ-साथ वर्ष 2000 में भर्ती हुए 3206 जेबीटी अध्यापकों ने भी सरकार पर उनके साथ भेदभाव के आरोप लगाए हैं। क्योंकि एक तरफ तो सरकार कोर्ट में केश चलने के बावजूद भी अतिथि अध्यापकों को सर्विस बुक लागू कर उनके वेतन में बढ़ोतरी कर रही है, लेकिन दूसरी तरफ सरकार जांच की आड़ में जेबीटी अध्यापकों की प्रमोशन व अन्य सुविधाएं रोक कर उनके साथ शौतेला व्यवहार कर रही है।
देश के भविष्य को ज्ञान की रोशनी से उज्जवल करने वाले अध्यापकों का भविष्य आज स्वयं ही अंधकार में है। दूसरों को राह दिखाने वाले गुरुजी आज सरकार की राजनीति का शिकार होकर खुद ही राह भटक चुके हैं। एक तरफ तो सरकार अतिथि अध्यापकों के पक्ष में कोर्ट में केश लड़ रही है और दूसरी तरफ नियमित भर्ती करने की बजाय अनुबंध के आधार पर अध्यापकों की नियुक्तियां कर उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है। इस प्रकार सरकार की दोहरी नीति के कारण आज प्रदेश का अध्यापक वर्ग दो फाड हो चुका है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा शिक्षा विभाग में नियमित नियुक्तियां न होने तक अतिथि अध्यापकों से ही शिक्षण कार्य जारी रखने के फैसले के बाद अतिथि अध्यापकों में खुशी का माहौल है। लेकिन उधर सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद प्रदेश के 80 हजार पात्र अध्यापकों में मायूशी छा गई है। पात्र अध्यापकों के साथ-साथ वर्ष 2000 में भर्ती हुए 3206 जेबीटी अध्यापकों ने भी सरकार पर शौतेले व्यवहार का आरोप लगाया है। इस प्रकार सरकार के इस दोहरे रवैये ने पात्र व जेबीटी अध्यापकों की राह में रोड़ा अटका दिया है, वहीं अध्यापक वर्ग के सामने भी असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है। प्रदेश सरकार ने वर्ष 2000 में नियुक्त हुए जेबीटी अध्यापकों की जांच की आड़ लेकर उनकी प्रमोशन व अन्य सुविधाएं बंद कर दी हैं। वहीं अतिथि अध्यापकों के पक्ष में फैसला होने से पात्र अध्यापक स्थायी नौकरी से महरूम हैं और अतिथियों की विदाई की बाट जोह रहे हैं। 
गलत तरीके से की गई है अतिथि अध्यापकों की नियुक्ती
प्रदेश सरकार द्वारा गलत तरीके से अतिथि अध्यापकों की नियुक्ती की गई है। सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी से भी यह साबित हो चुका है कि दो से अढ़ाई हजार अतिथि अध्यापक गलत तरीके से नियुक्त किए गए हैं। कोर्ट में मामला विचाराधीन होने के बावजूद भी सरकार ने अतिथि अध्यापकों की सर्विस बुक लागू कर दी और उनके वेतन में भी बढ़ोतरी कर दी है, लेकिन दूसरी तरफ सरकार ने वर्ष 2000 में नियुक्त किए गए 3206 जेबीटी अध्यापकों की जांच की आड़ में उन्हें सभी सुविधाओं से महरुम किया हुआ है। जेबीटी अध्यापकों के जीपीएफ तो काटे जा रहे हैं, लेकिन उनकी प्रमोशन बंद करने के साथ-साथ लोन व अन्य सुविधाएं बंद की गई हैं, जो सरासर गलत है। एलआर ब्रांच ने भी जेबीटी अध्यापकों की पदोन्नति में किसी प्रकार की परेशानी न होने संबंधि रिपोर्ट सरकार के समक्ष पेश कर दी है, लेकिन उसके बावजूद भी सरकार जेबीटी अध्यापकों की पदोन्नति रोके हुए है।
दीपक गौस्वामी, राज्य महासचिव
हरियाणा प्राथमिक शिक्षक संघ

क्वालिफाइड अध्यापकों की हो नियुक्ती
स्कूलों में शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए क्वालिफाइड अध्यापकों को ही नियुक्त किया जाना चाहिए। अतिथि अध्यापकों की नियुक्ती गलत तरीके से की गई है। कई-कई बार पात्रता परीक्षा देने के बावजूद भी अधिकतर अतिथि अध्यापक टेस्ट पास करने में सफल नहीं हो पाएं हैं। इससे साफ जाहिर होता है कि अधिकतर अतिथि अध्यापक क्वालिफाइड नहीं हैं। इससे सरकारी स्कूलों में शिक्षा स्तर में सुधार की गुंजाइश संभव नहीं है।
प्रेम अहलावत, प्रदेश प्रवक्ता
हरियाणा पात्र अध्यापक संघ
अध्यापक संघ शुरू करेगा आंदोलन
सुप्रीम कोर्ट का फैसला राहत देने वाला है। लेकिन सरकार को अनुबंध के आधार पर भर्ती करने की बजाय स्थाई भर्ती करनी चाहिए। जिससे भविष्य में इस तरह के विवाद से बचा जा सके। सरकार जब जेबीटी अध्यापकों का जीपीएफ काट रही है तो उन्हें प्रमोशन व अन्य सभी सुविधाएं दी जानी चाहिए। अध्यापकों के हक के लिए अध्यापक संघ जल्द ही आंदोलन का शंखनाद करने जा रहा है।
संजीव सिंगला, जिला सचिव
हरियाणा अध्यापक संघ

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