शुक्रवार, 6 अप्रैल 2012

....ताकि थाली से कम हो सके जहर

कृषि पंचायत के बाद खेतों में कीटों की पहचान करते किसान।
  हर माह के अखिरी शनिवार को गांवों में किया जाएगा कृषि पंचायतों का आयोजन
नरेंद्र कुंडू
जींद। कीट साक्षरता केंद्र निडाना के किसान अब गांव-गांव जाकर कीट प्रबंधन की अलख जगाएंगे।  अपने इस मिशन को सफल बनाने के लिए कीट साक्षरता केंद्र के किसानों ने एक कमेटी का गठन किया है। इस कमेटी में कीट प्रबंधन में पूर्ण रूप से दक्षता हासिल कर चुके किसानों को शामिल किया गया है। कीट साक्षरता केंद्र के ये मास्टर ट्रेनर किसान हर माह के आखिरी शनिवार को गांवों में जाकर कृषि पंचायत का आयोजन करेंगे। ये मास्टर ट्रेनर कृषि पंचायत में किसानों के साथ कीट प्रबंधन पर विचार-विमर्श करने के बाद किसानों को खेतों में ले जाकर व्यवहारिक ज्ञान भी देंगे, ताकि अधिक से अधिक किसानों को फसल में मौजूद मासाहारी व शाकाहारी कीटों की पहचान करवाई जा सके। किसानों को कीटों की पहचान होने से किसान कीटनाशक रहित खेती को अपना कर दूसरे किसानों के सामने उदहारण प्रस्तुत कर सकेंगे। कीट साक्षरता केंद्र के किसानों द्वारा छेड़ी गई इस मुहिम का मुख्य उद्देश्य फसलों में बढ़ते कीटनाशकों के प्रयोग पर अंकुश लगाकर मनुष्य की थाली को जहर मुक्त करना है।
लेपटॉप पर कीटों की पहचान करवाते मास्टर ट्रेनर रणबीर मलिक
फसलों में अंधाधूंध रासायनिक पदार्थों के प्रयोग के कारण आज हमारा भोजन विषेला हो चुका है। जिस कारण इंसान हर रोज नई-नई बीमारियों की चपेट में आ रहा है। यह इन रासायनिक पदार्थों का ही परिणाम है कि आज मनुष्य का शरीर कई ऐसी बीमारियों की चपेट में आ चुका है, जिसका ईलाज संभव ही नहीं है। प्रतिस्पर्धा के इस दौर में कीटनाशक तैयार करने वाली कंपनियां भी हर रोज नए-नए कीटनाशक बाजार में उतार रही हैं। जिसका मनुष्य के स्वास्थ्य पर तो प्रतिकूल प्रभाव पड़ ही रहा है साथ-साथ किसान को भी आर्थिक रूप से मोटी चपत लग रही है। लेकिन अब किसानों को जागरुक करने के लिए निडाना कीट साक्षरता केंद्र के किसानों ने एक विशेष मुहिम छेड़ी है। इस मुहिम के तहत कीट कमांडो के नाम से जाने जाने वाले कीट साक्षरता केंद्र के किसान गांव-गांव जाकर कीट प्रबंधन की अलख जगाएंगे। इसके लिए इन किसानों ने एक कमेटी तैयार की है। इस कमेटी में ईगराह से मनबीर रेढू, कुलदीप, राजपुरा से बलवान सिंह, ललित खेड़ा से रामदेवा, रमेश, निडाना से रणबीर मलिक व राममेहर ने मास्टर ट्रेनर की कमान संभाली है। ये मास्टर ट्रेनर किसान हर माह के आखिरी शनिवार को अलग-अलग गांवों में जाकर कृषि पंचायत का आयोजन करेंगे। कृषि पंचायत में किसानों के साथ कीट प्रबंधन पर चर्चा करने के बाद किसानों को खेतों में ले जाकर फसल में पाए जाने वाले मासाहारी व शाकाहारी कीटों की पहचान करवाई जाएगी। इस अभियान की सबसे खास बात यह है कि ये किसान गांवों में आने-जाने का सारा खर्च स्वयं उठाएंगे तथा कृषि पंचायत के दौरान किसानों को लेपटॉप पर भी फोटो के माध्यम से कीटों की पहचान करवाएंगे। काबिले गौर है कि कीट साक्षरता केंद्र को ये लेपटॉप जाट धर्मशाला द्वारा पुरस्कार के रूप में दिए गए हैं। कीट साक्षरता केंद्र के किसानों ने 31 मार्च से इसकी शुरूआत भी कर दी है। इन किसानों ने अभियान की शुरुआत 31 मार्च को निडानी गांव से कर दी है। निडानी गांव में दलीप सिंह की बैठक में किसानों ने अपनी पहली कृषि पंचायत का आयोजन किया। इस पंचायत का संचालन महाबीर पूनिया ने किया। इस दौरान कृषि विभाग की तरफ से डा. कमल सेनी व डा. सुरेंद्र दलाल ने किसानों का मार्गदर्शन किया। कृषि पंचायत के बाद कीट प्रबंधन के मास्टर ट्रेनरों ने किसानों को खेतों में ले जाकर गेहूं की फसल में मौजूद कीटों की पहचान करवाई। इस दौरान किसानों ने गेहूं की फसल में अल को खाते हुए विभिन्न प्रकार के लेडी बीटल व सिरफड मक्खी के बच्चे देखे। किसानों द्वारा शुरू की गई इस मुहिम का मुख्य उद्देश्य कीटनाशकों के प्रयोग पर अंकुश लगाना है, ताकि मनुष्य की थाली में बढ़ते जहर को कम किया जा सके।



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें