गुरुवार, 19 अप्रैल 2012

पेयजल आपूर्ति के नाम पर अधिकारी बुझा गए ‘प्यास’

जन स्वास्थ्य विभाग द्वारा दी गई सूचना।
नरेंद्र कुंडू
जींद।
जनस्वास्थ्य विभाग द्वारा पानी की सप्लाई के लिए अहिरका गांव में बिछाई गई पाइप लाइन में हुआ फर्जीवाड़ा सामने आया है। जन स्वास्थ्य विभाग द्वारा अहिरका गांव में बिछाई गई पाइप लाइन पिछले दो सालों से कागजों में ही चल रही है। लेकिन इस पाइप लाइन से आज तक गांव में पानी की सप्लाई शुरू नहीं हो सकी है। विभाग ने पाइप लाइन बिछाने पर लाखों रुपए का बजट भी खर्च कर दिया है। लेकिन लाखों रुपए खर्च करने के बावजूद भी ग्रामीणों को इसका लाभ नहीं मिला है। मामले का खुलासा अहिरका गांव के एक व्यक्ति द्वारा जन सूचना अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गई सूचना में हुआ। विभाग द्वारा व्यक्ति को दी गई सूचना में स्पष्ट लिखा हुआ है कि इस पाइप लाइन के जरिए गांव में 2010 से पानी की सप्लाई चालू है। लेकिन वास्तविकता कुछ ओर ही है। ग्रामीणों की प्यास बुझाने के नाम पर मंजूर हुई ग्रांट में गड़बड़झाला कर विभाग के अधिकारियों ने अपनी प्यास बुझाई है। योजना में हुए इस भ्रष्टाचार के कारण ग्रामीणों के सामने पेयजल संकट गहरा गया है।
सरकारी योजनाओं में फर्जीवाड़ा रह-रहकर सामने आ रहा है। यहां फर्जीवाड़े के रिकार्ड दर रिकार्ड टूट रहे हैं। अब यहां जन स्वास्थ्य विभाग में पेयजल संकट को मिटाने के लिए बिछाई गई पाइप लाइन में हुआ फर्जीवाड़ा सामने आया है। अहिरका गांव में दो साल पहले पानी की सप्लाई के लिए नई पाइप लाइन बिछाने का ठेका दिया गया था। ठेकेदार ने गांव में पाइप लाइन तो बिछा दी, लेकिन आज तक भी इस पाइप लाइन से गांव में पानी की सप्लाई शुरू नहीं हो सकी है। जबकि विभाग के रिकार्ड में पिछले दो साल से इस पाइप लाइन से ही गांव में पानी की सप्लाई की जा रही है। लेकिन वास्तविकता यह है कि इस पाइप लाइन से पानी की सप्लाई तो दूर की बात आज तक ग्रामीणों के कैनेक्शन भी इससे नहीं जोड़े गए हैं। मामले का खुलास उस समय हुआ जब गांव के ही राजेश भोला नामक एक व्यक्ति ने जन सूचना अधिकार अधिनियम के तहत विभाग से इसकी जानकारी मांगी। विभाग के अधिकारियों ने मामले को गंभीरता से न लेते हुए राजेश को गोलमोल सा जवाब दे दिया। विभाग के अधिकारियों के जवाब से संतुष्ट न होने पर राजेश ने 20 जुलाई 2011 को विभाग के अधीक्षक अभियंता से दोबारा से इसकी सूचना मांगी। अधीक्षक अभियंता ने राजेश को पत्र क्रमांक 17963 के माध्यम से 5 अगस्त 2011 को जो जवाब दिया उसे देखकर राजेश दंग रह गया। अधीक्षक अभियंता द्वारा दी गई जानकारी में स्पष्ट लिखा था कि विभाग द्वारा अहिरका गांव में पानी की सप्लाई के लिए पाइप लाइन बिछाने का कार्य ठेकेदार को दिया गया था और इस पर 17 लाख 35 हजार रुपए का खर्च आया था। इस पाइप लाइन को विभाग द्वारा 3 अप्रैल 2010 को शुरू करना था। अधीक्षक अभियंता द्वारा दी गई इस जानकारी के बाद पाइप लाइन बिछाने के कार्य में हुआ फर्जीवाड़ा सामने आया। ग्रामीण राजेश ने बताया कि पाइप लाइन से पानी की सप्लाई तो दूर आज तक इस पाइप लाइन से ग्रामीणों के कैनेक्शन भी नहीं जोड़े गए हैं। गांव में पानी की सप्लाई शुरू न होने के कारण ग्रामीणों के समाने पेयजल संकट गहरा गया है। विभाग द्वारा लाखों रुपए खर्च करने के बावजूद भी ग्रामीणों की प्यास नहीं बुझा सका है।
टंकियां तो मिली, लेकिन पानी नहीं
सरकार द्वारा बीपीएल परिवारों के लिए शुरू की गई मुफ्त टंकी योजना के तहत दो साल पहले बीपीएल परिवारों को पानी की टंकियां दी गई थी। गांव में बिछाई गई पाइप लाइन से इन परिवारों को पानी का कैनेक्शन दिया जाना था। लेकिन पाइप लाइन बिछाने के कार्य में हुए फर्जीवाड़े के कारण आज तक बीपीएल परिवारों को पानी का कैनेक्शन नहीं मिला है। विभागीय अधिकारियों की लापरवाही के कारण इन परिवारों के लिए सरकार की मुफ्त टंकी योजना लाभदाय सिद्ध नहीं हो सकी। सरकार की योजना के तहत इन्हें टंकियां तो मिल गई, लेकिन पानी आज तक नहीं मिल सका है।
ठेकेदार से की जाएगी जवाब-तलबी
गांव में पाइप लाइन बिछाने का कार्य ठेकेदार को सौंपा गया था। वि•ााग ने रिकार्ड के अनुसार ही जानकारी उपलब्ध करवाई है। इस संबंध में ठेकेदार को बुलाकर जवाब-तलब किया जाएगा। अगर इस दौरान इस तरह का कोई मामला सामने आया तो ग्रामीणों की समस्या का जल्द से जल्द समाधान किया जाएगा।
डीपी मित्तल, एक्सईएन
जन स्वास्थ्य विभाग, जींद


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