गुरुवार, 19 अप्रैल 2012

ऊर्जा संरक्षण के लिए आईएसआई मार्क के उपकरणों को बनाया हथियार

आईटी विलेज बीबीपुर ने शुरू की एक अनुठी पहल
नरेंद्र कुंडू
जींद। आईटी विलेज बीबीपुर की पंचायत ने ऊर्जा संरक्षण के लिए एक अनोखा कदम उठाया है। सीएफएल ट्यूब युक्त गांव का दर्जा हासिल करने के लिए छेड़ी गई मुहिम के साथ-साथ अब सिर्फ गांव में आईएसआई या आईएसओ 9001 अनुपात 2000 के  मार्क वाले बिजली उपकरणों का प्रयोग करने का निर्णय लिया है। क्योंकि यह उपकरण अंतर्राष्ट्रीय मानक के अनुसार होते हैं। जिस कारण इन उपकरणों की क्वालिटी बहुत अच्छी होती है और इनमें जल्द खराबी आने की संभावनाएं भी कम ही होती हैं। इसके अलावा आईएसआई मार्क वाले उपकरणों में बिजली की खपत भी साधारण उपकरणों की बजाए काफी कम होती है। ग्रामीणों को इस क्षेत्र में जागरुक करने के लिए पंचायत ने एक सर्वे टीम का गठन किया है। इस टीम के सदस्य सुबह-सांय घर-घर जाकर घर में प्रयोग होने वाले साधारण बिजली उपकरणों तथा आईएसआई मार्क वाले उपकरणों की रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। रिपोर्ट तैयार करने के बाद सर्वे टीम घर के सभी सदस्यों को आईएसआई मार्क वाले उपकरणों के लाभ के बारे में भी विस्तार से जानकारी देती है। गांव के अलावा टीम खेतों में जाकर ट्यूबवैल पर प्रयोग होने वाली बिजली मोटरों की जांच भी  करती है। पंचायत द्वारा शुरू की गई इस मुहिम के बाद 60 प्रतिशत ग्रामीण आईएसआई मार्क वाले उपकरणों का प्रयोग करने लगे हैं।
आईटी विलेज बीबीपुर की पंचायत ने गांव को पूर्ण रूप से सीएफएल ट्यूब युक्त बनाने की मुहिम के साथ ही अब अच्छी क्वालिटी के बिजली उपकरणों के प्रयोग पर जोर दिया है। इसके लिए पंचातय द्वारा लोगों को केवल आईएसआई व आईएसओ के मार्क वाले उपकरणों का ही प्रयोग करने के लिए प्रेरित किया जाता है। पंचायत द्वारा शुरू की गई इस मुहिम का मुख्य उद्देश्य ऊर्जा संरक्षण के साथ-साथ ग्रामीणों को अच्छी क्वालिटी के उपकरणों के प्रयोग के लिए जागरुक करना है। ऊर्जा संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए पंचायत ने एक सर्वे टीम का गठन किया है। यह टीम घर-घर जाकर घर में प्रयोग होने वाले साधारण व आईएसआई के मार्क वाले उपकरणों का रिकार्ड तैयार कर रही है। इसके अलावा टीम के सदस्य खेतों में ट्यूबवैल पर चलने वाली बिजली की मोटरों की भी जांच कर रही हैं। टीम के सदस्यों द्वारा आईएसआई मार्क वाले उपकरणों में सबसे ज्यादा जोर चक्की मोटर व कृषि के क्षेत्र में ट्यूबवैल पर प्रयोग होने वाली मोटर पर दिया जा रहा है। क्योंकि लाईट में अचानक आने वाले फालट का सबसे ज्यादा प्रतिकूल प्रभाव चक्की व ट्यूबवैल की मोटरों पर ही पड़ता है और इनकी रिपेयर में खर्च भी अन्य उपकरणों से कई गुणा ज्यादा आता है।

60 प्रतिशत ग्रामीण करते हैं आईएसआई मार्क वाले उपकरणों का प्रयोग

ग्राम पंचायत द्वारा इस मुहिम के बाद करवाए गए सर्वे में जो आंकड़े निकल कर सामने आए हैं, वह इस अभियान की सफलता को साफ दर्शाते हैं। पंचायत द्वारा इस मुहिम की शुरूआत से पहले 80 प्रतिशत लोग सस्ते के चक्कर में बिना आईएसआई के मार्क वाले बिजली उपकरणों का प्रयोग करते थे। लेकिन अब 60 प्रतिशत लोग आईएसआई व आईएसओ के मार्क वाले उपकरणों का प्रयोग करते हैं। गांव में फिलहाल 311 के लगभग पंपों व चक्की की मोटर  हैं। जिनमें से 94 सबमर्सिबल पंप, 41 दूसरे पंप व 52 चक्की की मोटरें आईएसआई मार्क वाली ही हैं। इसके अलावा जो 124 के लगभग पंप व मोटर बची हैं वह बिना आईएसआई मार्क की हैं। पंचायत ने बची हुई 40 प्रतिशत की इस खाई को जल्द से जल्द पाटने के लिए गांव के सभी बिजली मिस्त्रियों को भविष्य में किसी भी ग्रामीण को कोई भी बिजली उपकरण की खरीद करवाते समय बिना आईएसआई या आईएसओ के मार्क वाले उपकरण न दिलवाने के लिए प्रेरित किया है।

ऊर्जा संरक्षण व आर्थिक परेशानी से बचने के लिए उठाया कदम

आईएसआई मार्क वाले उपकरण अंतर्राष्ट्रीय मानक के अनुसार होते हैं। जिस कारण इनकी क्वालिटी लोकल उपकरणों से ज्यादा अच्छी होती है। लोकल उपकरणों के प्रयोग से बिजली की अधिक खपत होती है और ये उपकरण जल्द ही खराब हो जाते हैं। जिस कारण ग्रामीणों को काफी आर्थिक नुकसान वहन करना पड़ता है। ऊर्जा संरक्षण तथा ग्रामीणों को आर्थिक परेशानी से बचाने के लिए ही पंचायत ने यह कदम उठाया है। आईएसआई मार्क वाले उपकरण के प्रयोग से बिजली की बचत तो होती ही है और इनकी लाइफ लोकल उपकरणों से काफी ज्यादा होती है।
सुनील जागलान सरपंच
ग्राम पंचायत, बीबीपुर


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