गुरुवार, 19 अप्रैल 2012

...अब किसानों को कीट प्रबंधन के गुर सिखाएंगी गाँव की गौरी

 कार्यशाला के दौरान महिलाओं को कीटों की पहचान करवाती मास्टर ट्रेनर महिला।
नरेंद्र कुंडू
जींद।
अब निडाना व आस-पास के गांवों के किसान निडाना की महिलाओं से खेती व कीट प्रबंधन के गुर सीखेंगे। ये महिलाएं अब चूल्हे-चौके के साथ-साथ कीट प्रबन्धन के काम-काज को भी संभालेंगी। इस तरह पर्दे की आड़ में रहने वाले ये चेहरे अब टीचर की भूमिका में नजर आएंगे। राष्ट्रीय कृषि ओर ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड)द्वारा किसानों के उत्थान के लिए शुरू की गई किसान क्लबों के गठन की योजना के तहत जींद जिले के तीन गांवों में महिला किसान क्लबों का भी गठन किया गया है। निडाना,  भैरवखेड़ा व ललितखेड़ा में गठित किए गए ये महिला किसान क्लब प्रदेश के पहले महिला किसान क्लब हैं। इन महिला किसान क्लबों के संचालन की जिम्मेदारी कीट साक्षरता केंद्र की मास्टर ट्रेनर महिलाओं को सौंपी गई है। ये मास्टर ट्रेनर महिलाएं क्लब के माध्यम से किसानों को तकनीकी खेती के साथ-साथ कीट प्रबंधन के गुर भी सिखाएंगी। इन क्लबों के गठन से इन्हें अपने कीट साक्षरता अभियान को तो शिखर तक पहुंचाने का मौका मिलेगा ही, साथ-साथ ये महिलाएं अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा स्त्रोत भी बनेंगी।
कृषि, बागवानी, पशु पालन व ग्रामीण विकास के लिए नाबार्ड और केंद्र सरकार ने विभिन्न योजनाएं शुरू की है। इन योजनाओं को गांवों तक पहुंचाने व उनका लाभ उठाने के लिए प्रत्येक गांव में किसान क्लबों का गठन किया जा रहा है। इसी कड़ी के तहत जींद जिले के निडाना, भैरवखेड़ा व ललितखेड़ा गांवों में महिला किसान क्लबों का गठन किया गया है। निडाना गांव के महिला किसान क्लब के लिए अनिता को कोर्डिनेटर तथा अंग्रेजो देवी को सहकोर्डिनेटर नियुक्त किया गया है। भैरवखेड़ा के  महिला किसान क्लब के लिए संतोष को कोर्डिनेटर तथा कविता को सहकोर्डिनेटर नियुक्त किया गया है। ललितखेड़ा गांव में सविता मलिक को कोर्डिनेटर तथा मनीषा शर्मा को सहकोर्डिनेटर की जिम्मेदारी सौंपी गई है। कृषि विभाग के अधिकारियों ने महिला किसान क्लबों के लिए इन महिलाओं का चयन कर तथा सभी औपचारिकताएं पूरी कर उच्च अधिकारियों को रिपोर्ट भेज दी है। गांव में क्लब का गठन होने से इन महिलाओं की मंजिल ओर भी आसान हो गई है। अब ये महिलाएं गांव में क्लब की बैठक कर किसानों को तकनीकी खेती के साथ-साथ कीट प्रबंधन के गुर भी सिखाएंगी। ये मास्टर ट्रेनर महिलाएं अब खेतों में जाकर किसानों को कीटों की पहचान करवाएंगी। कीट प्रबंधन को बढ़ावा देने के पीछे इन महिलाओं का मुख्य उद्देश्य खाने को जहर मुक्त बनाना है। इनका मानना है कि अगर किसान फसल में मौजूद माशाहारी व साकाहारी कीटों की पहचान कर फसलों में कीटनाशकों के प्रयोग को बंद कर दे तो मनुष्य की थाली में बढ़ते जहर को कम किया जा सकता है।

क्या है योजना

किसानों को खेती के साथ-साथ तकनीकी खेती के लिए प्रेरित करने के लिए नाबार्ड ने 1982 में किसान क्लबों के गठन की शुरूआत की थी। शुरूआत में प्रचार के अभाव के कारण प्रदेश में इस योजना को अच्छा रिस्पांश नहीं मिला था। नाबार्ड द्वारा प्रकाशित किसान क्लब कार्यक्रम पुस्तिका के आंकड़ों के अनुसार 2010 तक प्रदेश में केवल 899 किसान क्लबों का गठन ही हो पाया है। इसके बाद अब 2012 में इस योजना को सफल बनाने के लिए नाबार्ड ने इस योजना के प्रचार पर जोर दिया है। इस योजना को सफल बनाने की जिम्मेदारी प्रदेश में कृषि विभाग को सौंपी है। कृषि विभाग योजना को मूर्त रूप देने के लिए कार्रवाई शुरू कर दी है। क्लब में कम से कम 10 सदस्य होने अनिवार्य हैं। इन क्लबों का सदस्य उसी किसान को बनाया जाएगा, जो किसान बैंक में नियमित रूप से लेन-देन करता है और बैंक द्वारा उसे डिफाल्टर घोषित नहीं किया गया हो।
महिलाओं ने की थी क्लब के गठन की मांग
निडाना गांव में कीट साक्षरता केंद्र चलाने वाली महिलाएं कीट प्रबंधन में पूर्ण तौर पर पारंगत हो चुकी हैं। इसलिए इन महिलाओं ने अन्य किसानों को जागरुक करने के लिए गांव में महिला किसान क्लब के गठन की मांग की थी। इन महिलाओं के हौंसले को देखते हुए पास के गांव भैरवखेड़ा तथा ललितखेड़ा की महिलाओं ने भी निडाना की तर्ज पर गांव में महिला किसान क्लब के गठन की मांग की थी। इन महिलाओं के हौंसले को देखते हुए ही इन गांवों में महिला किसान क्लब के गठन की प्रक्रिया शुरू की गई है। उन्होंने क्लब के गठन संबंधि सभी औपचारिकताएं पूरी कर आगामी कार्रवाई के लिए उच्च अधिकारियों के पास भेज दी है।
डा. सुरेंद्र दलाल
एडीओ, कृषि विभाग


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