बुधवार, 9 मई 2012

लूट खसोट पर नहीं अधिकारियों का कंट्रोल

मिली भगत से चलता है दलाली का गौरख धंधा

नरेंद्र कुंडू
जींद।
हाईकोर्ट ने गाड़ियों की स्पीड को नियंत्रित करने के लिए गाड़ी में स्पीड गवर्नर लगाने के आदेश तो दे दिए, लेकिन सराकरी अधिकारी गाड़ी में स्पीड गवर्नर लगाने की आड़ में चलने वाली दलाली को नियंत्रित करने के लिए किसी भी प्रकार का नियम तय नहीं कर पा रहे हैं। प्रशासनिक अधिकारी इस गौरख धंधे को अंजाम देने वाले दलालों पर नकेल डालने में नाकाम हैं। ताज्जूब की बात तो यह है कि इन दलालों द्वारा गाड़ी में स्पीड गर्वनर लगाने से लेकर पासिंग तक की पूरी जिम्मेदारी ले ली जाती है। पासिंग के लिए तय नियमों पर खरी न उतरने के बावजूद भी गाड़ी की पासिंग करवाना इनके बायें हाथ का खेल है। इस धंधे में जुटे डीलर गाड़ी पासिंग व स्पीड गवर्नर लगाने के नाम पर वाहान चालकों की जेब तराश कर मोटी चांदी कूट रहे हैं। डीलर वाहन चालकों से स्पीड गवर्नर के नाम पर रुपए ज्यादा ऐंठते हैं तथा बिल कम राशि का थमा देते हैं। इतना ही नहीं गाड़ी में जो स्पीड गवर्नर लगाया जाता है, वह क्षेत्रिय प्राधिकरण द्वारा मान्य ही नहीं होते हैं। गाड़ी पासिंग के दौराना ऐसा ही एक मामला गत वीरवार को भी प्रशासनिक अधिकारियों के सामने आया था। लेकिन प्रशासनिक अधिकारी इस मामले पर कार्रवाई करने की बजाए इसे दबाने में जुटे हुए हैं। जिला प्राधिकरण के अधिकारी इस मामले को अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर का मामला बताकर दलालों पर कार्रवाई से हाथ पीछे खींच रहे हैं।
सफीदों रोड बाईपास स्थित सेक्टर नौ में हर सप्ताह के वीरवार को गाड़ी पासिंग के दौरान खुलेआम दलालों की दुकानें सजती हैं। दलाल वाहन चालक से गाड़ी में स्पीड गवर्नर लगाने से लेकर गाड़ी पासिंग तक का पूरा ठेका ले लेते हैं। ये दलाल पासिंग के लिए वाहन चालक को इतने ज्यादा नियम गिनवा देते हैं कि वाहन चालक इन झंझटों से बचने के लिए बड़ी आसानी से इनके चुंगल में फंस जाता हैं। शिकार के जाल में फंसते ही शुरू होता है इनका लूट-खशौट का खेल। वाहन के मालिक द्वारा पासिंग के लिए हामी भरते ही दलाल बड़ी आसानी से उनकी जेब तराशने का काम शुरू कर देते हैं और पासिंग के लिए आए वाहनों के मालिक जानकारी के अभाव में चुपचाप इनके जाल में उलझते चले जाते हैं। ऐसा ही एक मामला गत वीरवार को भी सामने आया था। मामले के तूल पकड़ने के बाद भी मौके पर मौजूद संबंधित अधिकारियों ने उक्त फर्म के मालिक के खिलाफ किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की। इतना ही नहीं मामला उजागर होने के दो दिन बाद भी अधिकारी मामले की जांच करने की बजाए मामले से अपने हाथ पीछे खींच रहे हैं। अधिकारी इस मामले को अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर का मामला बताकर मामले को दबाने के प्रयास में जुटे हैं। सूत्रों की माने तो यह सब खेल अधिकारियों की मिलीभगत से ही चल रहा है। इन दलालों के साथ अधिकारियों की सांठ-गांठ पक्की होती है।

क्या था मामला

गत वीरवार को सफीदों रोड बाईपास स्थित सैक्टर नौ में गाड़ी पासिंग के दौरान वाहन मालिकों तथा गाड़ी में स्पीड गवर्नर लगाने वाले दलाल के बीच तू-तड़ाक का एक मामला सामने आया था। आटो की पासिंग के लिए आए झांझ गांव निवासी रोहताश तथा बीबीपुर निवासी अशोक ने बताया था कि उन्होंने आटो की पासिंग के लिए आटो में नवनीत एंटरप्राइजिज फर्म से स्पीड गवर्नर लगवाया था। रोहताश व अशोक ने बताया कि इस फर्म का स्पीड गवर्नर बेचने वाले एक व्यक्ति आटो में स्पीड गवर्नर लगाने के नाम पर 3500 रुपए ऐंठ लिए तथा बिल दो हजार का थमा दिया था। उन्होंने बताया था कि बाजार में इसकी कीमत मात्र 900 रुपए है। इसके अलावा उनकी आटो में जो स्पीड गवर्नर लगाया गया है उसे प्राधिकरण के एमवीआई ने भी अथोराइज्ड नहीं बताया था। जिसके बाद वाहन के मालिकों व उक्त फर्म के दलाल के बीच काफी देर तक खींचतान भी चली थी।

विभाग डीलर के खिलाफ नहीं कर सकता कार्रवाई

इस बारे में जब जिला क्षेत्रीय प्राधिकरण अधिकारी गिरीश अरोड़ा से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि यह मामला उनके अधिकार क्षेत्र में है ही नहीं। इस मामले में वे कुछ नहीं कर सकते। अरोड़ा ने कहा कि विभाग किसी भी डीलर को स्पीड गवर्नर बेचने की इजाजत नहीं देता है और न ही उनके खिलाफ कोई कार्रवाई कर सकता है। विभाग का मौके पर मौजूद अधिकारी को केवल इतना ही देखना होता है कि गाड़ी में लगाया गया स्पीड गवर्नर मान्य है या नहीं। अगर स्पीड गर्वनर मान्य नहीं है तो उस गाड़ी की पासिंग नहीं हो सकती।

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