रविवार, 13 मई 2012

....यहां कागजों में तैयार होते हैं निर्मल गांव

निर्मल गाँवों में लगे हैं गंदगी के ढेर

नरेंद्र कुंडू
जींद।
सरकार द्वारा देश को स्वच्छ बनाने के लिए हर वर्ष अरबों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। लेकिन वास्तविकता इसके विपरित ही है। सरकार ने जिन ग्राम पंचायतों के बल पर भारत को निर्मल बनाने का सपना देखा है उसकी बुनियाद ही कच्ची है। जिस कारण एक झटके में ही सरकार का यह सपना चकनाचुर हो सकता है। सरकार द्वारा शुरू की गई निर्मल ग्राम योजना केवल कागजों में ही दौड़ रही है। इस योजना ने आज तक धरातल पर कोई खास प्रगति नहीं की है। प्रशासनिक अधिकारी अपनी खाल बचाने के चक्कर में कागजों में ही इस योजना को शिखर में पहुंचा देते हैं। हाल ही में सरकार ने जिले के जिन आठ गांवों को निर्मल गांवों का दर्जा दिया है, वास्तव में वे गांव निर्मल गांव कहलाने के लायक ही नहीं हैं। इन आठों गांवों में सफाई व्यवस्था का जनाजा निकला हुआ है तथा ये निर्मल ग्राम पंचायत योजना के किसी भी मानक पर खरे नहीं उतर रहे हैं। जिला प्रशासनिक अधिकारियों ने केवल अपनी इज्जत बचाने की फेर में पूरी प्लानिंग के तहत इस कार्रवाई को अंजाम दिया है। जिले से ऐसे आठ गांवों का चयन किया गया है, जिनकी आबादी कम है तथा जो मुख्य मार्ग से हटकर लिंक रोड पर स्थित हैं, ताकि सरकार की आंखों में धूल झौंक कर अपने आप को गाज गिरने से बच सकें। इस प्रकार प्रशासनिक अधिकारियों ने निर्मल गांव की घोषणा में जमकर फर्जीवाड़ा किया गया है। इन आठों गांवों में से किसी भी गांव में सभी परिवारों के पास न तो शौचालय हैं,  न ही किसी भी गांव में अभी  तक मैला ढोने की कूप्रथा समाप्त हुई है, न ही किसी भी गांव में पीने के स्वच्छ पानी की व्यवस्था है और न ही किसी भी गांव से गंदगी पूर्ण रूप से खत्म हुई है। आठों गांवों में से कोई भी गांव नियमों पर खरा नहीं उतरने के बावजूद भी इन गांवों को निर्मल गांव का दर्जा दिलवाने से प्रशासनिक अधिकारियों की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में खड़ी हो रही है। आखिर प्रशासनिक अधिकारियों ने नियमों को ताक पर रख कर इन गांवों का नाम निर्मल गांव के लिए क्यों प्रस्तावित किया।

किन-किन गांवों को मिला है निर्मल गांव का दर्जा

हाल ही में करनाल में आयोजित राज्यस्तरीय निर्मल पुरस्कार 2011 वितरण समारोह में प्रदेश के 330 गांवों को निर्मल गांव घोषित किया गया है, जिनमें से जींद जिले से 8 गांवों को यह पुरस्कार दिया गया है। जिसमें जींद खंड में जीवनपुर, निडानी, रामगढ़, अलेवा खंड में बुलावाली खेड़ी, जुलाना में खेमाखेड़ी, नरवाना में रेवर, सफीदों में पाजू कलां तथा पिल्लूखेड़ा में भूरायण गांव को निर्मल गांव का दर्जा दिया गया है। लेकिन सरकार द्वारा घोषित किए गए ये आठों गांव वास्तव में निर्मल ग्राम पंचायत योजना के नियमों पर खरे नहीं हैं। जींद जिले के आठों गांव शहर के मुख्य मार्गों से हटकर लिंक रास्ते पर स्थित हैं।

क्या है निर्मल ग्राम पुरस्कार

समग्र स्वच्छता अभियान के क्रियान्वयन को और गति प्रदान करने के लिए भारत सरकार ने निर्मल ग्राम पुरस्कार योजना आरंभ की है, जो पूरी तरह से स्वच्छ और खुले में शौच मुक्त ग्राम पंचायत विकास खंडों तथा जिलों को दिया जाता है। समग्र स्वच्छता अभियान का उद्देश्य खुले में शौच से मुक्ति हेतु ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता सुविधाओं को व्यापक बनाना है तथा लोगों के स्वास्थ्य एवं जीवन स्तर को बेहतर बनाना है।
पुरस्कार के लिए पात्रता
1.    खुले में शौच रहित पंचायत।
2.    सभी परिवारों के पास शौचालय सुविधा।
3.    सभी विद्यालयों में छात्र व छात्राओं के लिए अलग-अलग शौचालय एवं मूत्रालय।
4.    आंगनबाड़ी केंद्रों में बाल उपयोगी शौचालय।
5.    शौचालयों का उपयोग एवं नियमित रखरखाव।
6.    ग्राम में पर्यावरणीय स्वच्छता।
7.    ग्राम में मैला ढोने की कूप्रथा की समाप्ति।
8.    गांव में सौ प्रतिशत शौचालय व सबके लिए स्वच्छ पेयजल उपलब्ध होना चाहिए।



दोबारा करवाया जाएगा गांव का सर्वे
 निर्मल गाँव भूरायण में गली में जमा कीचड़
निर्मल गाँवजीवनपुर गांव में फैली गंदगी

 निर्मल गांव रामगढ़ के बीच में बना गंदे पानी का तालाब।

निर्मल गाँवरामगढ़ गांव में सरकारी स्कूल के पास लगे गंदगी के ढेर।
निर्मल गाँव रामगढ़ गांव में गली में जमा गंदगी।
निर्मल गांव के लिए नाम प्रस्तावित किए जाने के बाद सर्वे टीम ने जिले के आठों गांवों का दौरा किया था। सर्वे टीम ने खुद इन गांवों में जाकर सभी औपचारिकताएं पूरी की थी और उसके बाद ही सरकार को इन गांवों के नाम पुरस्कार के लिए भेजे गए थे। अगर सर्वे के दौरान किसी प्रकार की गड़बड़ी हुई है तो वे दोबारा से टीमें भेज कर इसकी जांच इन गांवों की जांच करवाएंगे। 
 निर्मल गाँव भूरायण में गली में  गांव में फैली गंदगी।
अरविंद महलान
अतिरिक्त उपायुक्त, जींद
निर्मल गांव जीवनपुर  में गली में जमा कीचड़।





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