गुरुवार, 17 मई 2012

नालियों को ही डकार गए अधिकारी

गली बनाई पर नालियां नहीं, गली के साथ ही प्रस्तावित था नालियों के निर्माण का कार्य

नरेंद्र कुंडू
जींद।
पंचायती राज विभाग पर रह-रहकर भ्रष्टाचार के छींटे पड़ रहे हैं। विभाग द्वारा करवाए गए निर्माण कार्य सवालों के घेरे में रहते हैं। पंचायती राज विभाग की देखरेख में शहर के सामान्य अस्पताल में निर्माणाधीन आयुष विभाग की बिल्डिंग के निर्माण कार्य में हो रहे फर्जीवाड़े के बाद अब पिल्लूखेड़ा खंड के गांव भूरायण में तैयार की गई गली के निर्माण पर सवालिया निशान लग गया है। यहां पर विभाग द्वारा 2008 में 10,82110 रुपए की राशि खर्च कर गली का निर्माण करवाया गया था। विभाग ने गांव में गली का निर्माण तो करवा दिया, लेकिन यहां पर गंदे पानी की निकासी के लिए नालियों का निर्माण नहीं करवाया, जबकि विभाग द्वारा कागजों में नालियां तैयार की गई हैं। नियमों के अनुसार गलियों से पहले नालियां बनाना जरूरी होता है, लेकिन विभाग ने यहां पर गली का निर्माण करवाते समय सभी नियमों का ताक पर रख दिया।
पंचायती राज विभाग में भ्रष्टाचार अपनी जड़ें गहरी कर चुका है। यह इसी का परिणाम है कि विभाग द्वारा करवाए जा रहे निर्माण कार्यों से बार-बार फर्जीवाड़े की बू आती रहती है। पिल्लूखेड़ा खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी की देखरेख में भूरायण गांव में करवाए गए गली के निर्माण कार्य में हुए फर्जीवाड़े से अब विभाग की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में आ गई है। विभाग द्वारा भूरायण गांव में पेयमेंट आफ स्ट्रीट स्कीम के तहत 2008 में इंटर लोकिंग गली का निर्माण करवाया गया था। गली के निर्माण का कार्य विभाग ने ठेके पर दिया था। इस गली के निर्माण पर 10,82110 रुपए की राशि खर्च की गई थी। विभाग ने यहां पर गली का निर्माण तो करवा दिया, लेकिन गली में गंदे पानी की निकासी के लिए नालियां ही नहीं बनाई। जबकि नियम के अनुसार गली के निर्माण से पहले नालियां बनानी जरुरी होती हैं। नियम के अनुसार ही इस गली के निर्माण से पहले भी यहां नालियां बनाना प्रस्तावित था। लेकिन विभाग के अधिकारियों ने ठेकेदार के साथ मिलीभगत कर बिना नालियों के निर्माण के ही गली पास कर ठेकेदार को 10,82110 रुपए की पेमेंट भी कर दी। गली के निर्माण के चार वर्ष बाद भी विभाग यहां नालियों का निर्माण नहीं करवा सका। विभाग की इस लापरवाही का खामियाजा अब ग्रामीणों को भूगतना पड़ रहा है। गली में गंदे पानी की निकासी के लिए नाली न होने से गंदा पानी गली में ही इकट्ठा हो रहा है।

कैसे हुआ मामले का खुलासा

आरटीआई कार्यकर्त्ता द्वारा पिल्लूखेड़ा खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी से सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत गली निर्माण के बारे में सूचना मांगी गई। सूचना में विभाग से पूछा गया कि गली के निर्माण पर किस योजना के तहत करवाया गया है तथा इसके निर्माण पर कितनी राशि खर्च की गई है। गली के निर्माण में गंदे पानी की निकासी के लिए नालियां बनाना प्रस्तावित था या नहीं। विभाग की तरफ से आवेदक को दिए गए जवाब में बताया गया कि गली का निर्माण पेयमेंट आफ स्ट्रीट स्कीम के तहत करवाया गया है। इसका निर्माण कार्य ठेके पर दिया गया था और इसके लिए विभाग की तरफ से 10,82110 रुपए की राशि खर्च की गई है। गली के निर्माण के दौरान नालियां बनाना प्रस्तावित था। विभाग अपने रिकार्ड में तो गली में नालियों के निर्माण करवाने की बात स्वीकार कर रहा है, लेकिन उधर विभाग द्वारा गली में नालियों का निर्माण करवाया ही नहीं गया है। इस प्रकार गली के निर्माण में हुए फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ।

विभाग की कार्यप्रणाली पर उठ रहे हैं सवाल

गली के निर्माण कार्य में हुए फर्जीवाड़े से खंड विकास एवं पंचायत कार्यालय सवालों के घेरे में है। इसमें सबसे पहला सवाल तो यही उठता है कि जब गली के निर्माण के दौरान नालियां बनाना प्रस्तावित था तो नालियां क्यों नहीं बनाई गई। दूसरा सवाल यह है कि नालियां प्रस्तावित होने के बाद भी जब ठेकेदार ने नालियां नहीं बनाई तो विभाग के अधिकारियों ने गली को पास कर ठेकेदार को पेमेंट क्यों की गई। इन सब सवालों से यह बात तो साफ है कि गली के निर्माण कार्य में जमकर फर्जीवाड़ा किया गया है और इस फर्जीवाड़े में खंड विकास एवं पंचायत कार्यालय के अधिकारी भी बराबार के हिस्सेदार हैं।

मैं अभी ट्रेफिक में हूं

इस बारे में जब पिल्लूखेड़ा खंड के बीडीपीओ नरेंद्र मल्होत्रा से उनके मोबाइल पर संपर्क कर इस बारे में जानकारी लेनी चाही तो उन्होंने कहा कि अभी में ट्रेफिक में हूं, 10 मिनट बाद बात करना। लेकिन जब उनसे दोबारा संपर्क किया गया तो उन्होंने फोन ही नहीं उठाया।
भूरायण गांव में बिना नाली के बनाई गई गली।




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