प्रशासन के गले की फांस बने ‘फांस’


खेतों में अवशेष जलाने के बाद सड़क किनारे जले पेड़-पौधे।
खेतों में अवशेष जलाने के लिए लगाई गई आग।
प्रशासन द्वारा नियमों का उल्लंघन करने वाले किसानों के खिलाफ नहीं उठाए गए ठोस कदम
नरेंद्र कुंडू
जींद।
जिले में किसानों द्वारा खुलेआम खेतों में फसल के बचे हुए अवशेषों को आग के हवाले कर प्रशासनिक अधिकारियों के आदेशों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं, लेकिन प्रशासनिक अधिकारी नियमों को ठेंगा दिखाने वाले किसानों के खिलाफ कार्रवाई करने से गुरेज कर रहे है। किसानों की मनमर्जी के कारण प्रशासनिक अधिकारियों के आदेश अवशेषों के साथ आग में जलकर राख हो रहे हैं। किसानों द्वारा अवशेष जलाने के लिए खेतों में लगाई गई आग से अब तक हजारों पेड़-पौधे भी  जलकर दम तोड़ चुके हैं। हालांकि राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व कृषि विभाग द्वारा हर वर्ष किसानों को जागरुक करने के लिए जागरुकता अभियानों पर लाखों रुपए खर्च किए जाते हैं, लेकिन किसानों की सेहत पर विभाग द्वारा चलाए जा रहे जागरुकता अभियानों का भी कोई असर नहीं है। राज्य प्रदूषण बोर्ड व जिला प्रशासन द्वारा खेतों में अवशेष जलाने वाले किसानों के खिलाफ जुर्माने व सजा का प्रावधान किया हुआ है, लेकिन आज तक इस कानून की अवहेलना करने वाले किसानों को जुर्माना नहीं किया गया है।
राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व कृषि विभाग किसानों को अवशेष न जलाने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से जागरुकता अभियानों पर दोनों हाथों से पैसे लूटा रहा है। विभाग द्वारा किसानों को जागरुक करने के उद्देश्य से हर वर्ष लाखों रुपए खर्च किए जाते हैं। लेकिन विभाग के सारे अभियान केवल कागजों तक ही सीमित रहते हैं। किसानों पर विभाग के इन प्रयासों का कोई असर नहीं होता है। किसान उपजाऊ क्षमता की बर्बादी की परवाह किये बगैर तमाम किसान कटाई के बाद खेतों में आग लगा रहे है। सरकार द्वारा खेतों में अवशेष जलाने के कार्य को गैर कानूनी घोषित किए जाने के बावजूद भी किसान इस गैर कानूनी कार्य को अंजाम देकर खुलेआम कानून को ठेंगा दिखा रहे हैं। लेकिन ताज्जूब की बात तो यह है कि विभाग द्वारा ऐसे किसानों के खिलाफ किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। जुर्माने व सजा के प्रावधान के बाद भी विभाग द्वारा किसी किसान के खिलाफ किसी तरह का जुर्माना नहीं किया गया है।
जुर्माने व सजा का भी है प्रावधान
खेतों में गेहूं के अवशेष जलाने पर पूर्ण प्रतिबंध लगा हुआ है। लेकिन सरकार द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने के बावजूद भी किसान अपनी हरकतों से बाज नहीं आते हैं। इसके लिए पर्यावरण प्रदूषण एक्ट के तहत दोषी व्यक्ति को सजा के साथ-साथ एक लाख रुपए तक का जुर्माना भी हो सकता है।
बंजर हो जाती है जमीन
कृषि विभाग के एसडीओ डा. सुरेंद्र दलाल ने बताया कि खेत में फसल के बचे हुए अवशेष जलाना गैर कानूनी है। इसलिए किसानों को गैर कानूनी कार्य कर कानून की उल्लंघना नहीं करनी चाहिए। गेहूं की कटाई के बाद खेतों में बचे अवशेषों को जलाने से जमीन को नुकसान होता है। दलाल ने बताया कि खेतों में आग लगाने से कार्बनिक पदार्थ नष्ट हो जाते हैं। साथ ही मित्र कीट व सूक्ष्म जीव नष्ट हो जाते हैं और जमीन की उर्वरा शक्ति कमजोर हो जाती है, जिस कारण फसलों में बीमारियों का प्रकोप बढ़ जाता है। इसके अलावा खुले में लगी आग किसी बड़े हादसे का कारण भी बन सकती है। इससे दूसरे किसानों को भी नुकसान हो सकता है। आग से फैलने वाले धुएं से बड़ी मात्रा में पर्यावरण भी प्रदूषित होता है।

विभाग द्वारा रखी जाती है कड़ी नजर

वैसे इस तरह के मामलों में कार्रवाई का अधिकार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों को ही है, लेकिन विभाग भी खेतों में आग लगाने वालों पर कड़ी नजर रख रहा है। अपने खेत में आग लगाने वाले व्यक्ति के खिलाफ  शिकायत मिलने पर विभाग द्वारा पुलिस में मामला दर्ज करवाया जाएगा। गेहूं के अवशेषों में आग लगाने से धीरे-धीरे जमीन की उत्पादकता कम होती चली जाती है। इसलिए हमें तुरंत अवशेष जलाने से किसानों को रोकना होगा। विभाग द्वारा किसानों को खेती की जानकारी उपलब्ध करवाते समय साथ-साथ खेतों में बचे हुए अवशेष न जलाने के लिए भी प्रेरित किया जाता है।
आरपी सिहाग, उप कृषि निदेशक
कृषि विभाग, जींद

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