अब विश्व में लहराएगा हरियाणा का परचम
हरियाणा के गौरव पूर्ण इतिहास की विश्व में पहचान बनाने के लिए तीन भाषाओं में किया वेबसाइट का निर्माण
नरेंद्र कुंडू
नरेंद्र कुंडू
इंटरनेट पर निडाना हाईटस के नाम से तैयार की गई वेबसाइट का फोटो। |
जींद। हरियाणवी संस्कृति को विश्व में पहचान दिलाने तथा इंटरनेट पर भी हरियाणवी विश्वकोष बनाने के उद्देश्य से जींद जिले के एक होनहार ने विदेश में बैठकर एक वेबसाइट तैयार की है। फ्रांस के लीली शहर में ई-विपणन और वेब प्रबंधन सलाहकार के पद पर नौकरी कर रहे फूलकुमार ने डब्ल्यूडब्ल्यूडब्लयू डॉट निडानाहाईटस डाट कॉम वेबसाइट पर निडाना के गौरवशाली इतिहास व जींद जिले की उपलब्धियों के अलावा हरियाणवी संस्कृति से जुड़ी सभी जानकारियां उपलब्ध करवाई हैं। वेबसाइट का निर्माण अंग्रेजी, हिंदी व हरियाणवी तीन भाषाओं में किया गया है। इस वेबसाइट की सबसे खास बात यह है कि इस वेबसाइट पर हरियाणवी संस्कृति के अलावा किसानों के लिए मौसम व कृषि संबंधि जानकारी, पाठकों के लिए ई-लाइब्रेरी, विद्यार्थियों के लिए नौकरियों से संबंधित जानकारी, हरियाणवी मुहावरे, हरियाणवी संस्कृति, तीज-त्योहारों से संबंधित जानकारियां, मनोरंजन के लिए हरियाणवी रागनियां तथा कन्या भ्रूण हत्या जैसी सामाजिक कुरीतियों के प्रति लोगों में जागरुकता लाने के लिए संदेश डाले गए हैं। इस प्रकार इस होनहार की सोच से लोगों को एक ही वेबसाइट पर काफी जानकारियां उपलब्ध हो जाएंगी। विद्यार्थियों के अलावा किसानों को भी इस वेबसाइट से काफी लाभ मिलेगा। फूलकुमार ने वेबसाइट तैयार करने की शुरूआत 23 जनवरी 2012 को सुभाष चंद्र बोस की जयंती से की और 19 अप्रैल 2012 को पहली बार इंटरनेट पर परीक्षण के लिए अपलोड किया गया। वेबसाइट के प्रति लोगों में अच्छा रूझान बना हुआ है। इसी का परिणाम है कि मात्र 18 दिन में इस वेबसाइट को 5693 लोग देख चुके हैं। फूलकुमार द्वारा तैयार की गई इस वेबसाइट से अब निडाना गांव भी हाईटेक हो गया है। वेबसाइट तैयार होने के बाद लोगों को एक ही जगह पर कई प्रकार की जानकारियां तो मिलेंगी ही, साथ-साथ हरियाणवी संस्कृति का परचम भी अब विश्व में लहराएगा।
कैसे मिली प्रेरणा
जींद जिले के निडाना गांव निवासी फूलकुमार का बचपन गांव में ही बीत तथा पढ़ाई-लिखाई भी ग्रामीण आंचल में ही हुई। फूलकुमार को हरियाणवी संस्कृति के प्रति प्रेम व लगाव की भावना अपने स्वर्गीय दादा फतेह सिंह मलिक व स्वर्गीय दादी धनकौर से विरास्त में मिली है। गांव में पढ़ाई-लिखाई करने के बाद 2005 में नौकरी के लिए फूलकुमार फ्रांस में चला गया। इसके बाद वहां से नवंबर 2011 में अपनी बहन की शादी में शरीक होने के लिए फूलकुमार वापिस गांव में आया। गांव में कृषि विभाग के एडीओ डा. सुरेंद्र दलाल के सानिध्य में चल रही महिला कीट साक्षरता केंद्र में महिलाओं की उपलब्धियों को देखकर ही फूलकुमार को अपनी संस्कृति को विश्व में पहचान दिलाने की प्रेरणा मिली।
कैसे मिली प्रेरणा
जींद जिले के निडाना गांव निवासी फूलकुमार का बचपन गांव में ही बीत तथा पढ़ाई-लिखाई भी ग्रामीण आंचल में ही हुई। फूलकुमार को हरियाणवी संस्कृति के प्रति प्रेम व लगाव की भावना अपने स्वर्गीय दादा फतेह सिंह मलिक व स्वर्गीय दादी धनकौर से विरास्त में मिली है। गांव में पढ़ाई-लिखाई करने के बाद 2005 में नौकरी के लिए फूलकुमार फ्रांस में चला गया। इसके बाद वहां से नवंबर 2011 में अपनी बहन की शादी में शरीक होने के लिए फूलकुमार वापिस गांव में आया। गांव में कृषि विभाग के एडीओ डा. सुरेंद्र दलाल के सानिध्य में चल रही महिला कीट साक्षरता केंद्र में महिलाओं की उपलब्धियों को देखकर ही फूलकुमार को अपनी संस्कृति को विश्व में पहचान दिलाने की प्रेरणा मिली।
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