रविवार, 13 मई 2012

हवा हो गए साहब के आदेश

स्कूल की छुट्टी के बाद स्कूटी से घर लौटते स्कूली बच्चे

यातायाता नियमों को ताक पर रखकर बाइक चलाते स्कूली बच्चे।

सड़कों पर मौत लिए दौड़ रहे माइनर
नरेंद्र कुंडू
जींद।
पुलिस की सुस्ती से साहब के आदेश हवा हो गए हैं। पुलिस अधीक्षक के आदेशों के 6 माह बाद भी पुलिस किसी नाबालिग वाहन चालक या उसके अभिभावकों के खिलाफ किसी प्रकार की कोई कार्रवाई अमल में नहीं ला सकी है। पुलिस की इस लापरवाही से उसके अपने ही नियम कायदे ताक पर रखे जा रहे हैं। सड़कों को सुरक्षित रखने के लिए पुलिस ने बाल चालकों को सड़कों से हटाने की नीति बनाई थी। इसके लिए एसपी ने वाहन चलाने वाले बाल चालकों के चालान काटने तथा अभिभावकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के आदेश जारी किए थे। लेकिन जिला पुलिस द्वारा आज तक एक भी अभिभावक पर नकेल नहीं कसी गई है। स्कूली बच्चे सभी नियमों को दरकिनार करके तेज रफ्तार से दुपहिया वाहनों को दौड़ाते हुए नजर आते हैं। बाल वाहन चालक सड़कों पर दूसरे वाहन चालकों के लिए खतरा बनकर दौड़ रहे हैं। 

6 माह बाद भी फाइलों में दफन हैं एसपी के आदेश

बड़ रहे सड़क हादसों पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस से खास नीति बनाई थी। नाबालिग वाहन चालकों की लापरवाही से बढ़ रहे हादसों को देखते हुए पुलिस अधीक्षक अशोक कुमार ने 17 नवंबर 2011 को नाबालिग बच्चों के अभिभावकों के खिलाफ भी कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे। एसपी ने अपने निर्देश में स्पष्ट किया था कि अगर कोई भी बच्चा वाहन का प्रयोग करते पकड़ा गया तो उसके अभिभावकों के खिलाफ मामला दर्ज कर कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। इसके अलावा स्कूल टाइम में वाहन का प्रयोग करने वाले बच्चों के साथ-साथ स्कूल संचालकों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी। लेकिन एसपी के आदेशों के 6 माह बाद भी पुलिस द्वारा किसी अभिभावक व स्कूल संचालकों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।
दूसरों के लिए भी खतरा बन रहे हैं नाबालिग वाहन चालक
सड़कों पर तेज गति से दौड़ते नाबालिग वाहन चालक दूसरों के लिए भी खतरा बन रहे हैं। यातायात नियमों की जानकारी के अभाव व एक-दूसरे से वाहन आगे निकालने के हौड़ में नाबालिग वाहन चालक दुर्घटना को निमंत्रण दे देते हैं। तेज गति होने के कारण वाहन आउट आफ कंट्रोल हो जाते हैं और सड़क पर जा रहे अन्य वाहन के साथ टकरा कर दुर्घटना को अंजाम दे देते हैं। इस प्रकार नाबालिग वाहन चालक दूसरों के लिए भी खतरा बन रहे हैं।

अभिभावक भी हैं बराबर के दोषी

इसे अभिभावकों की लापरवाही कहें या उनका लाड-प्यार, जो बिना सोचे-समझे ही बच्चों के हाथों में मौत की चाबी थमा देते हैं। स्कूली बच्चे सड़कों पर बिना हेलमट के बेखौफ होकर मौत की डोर हाथों में थामे हुए इधर-उधर दौड़ते नजर आते हैं। अभिभावक बिना किसी रोक टोक के बच्चों के हाथों में वाहनों की चॉबी थमा रहे हैं और बच्चे अपने परिजनों के इस लाड-प्यारा का जमकर दुरुपयोग कर रहे हैं। बच्चे यातायात नियामों की धज्जियां उडाते हुए सड़कों पर वाहनों को सरपट दौड़ा रहे हैं। वाहन चलाते समय ये बच्चे न तो हेलमट का प्रयोग करते हैं और न ही इन बच्चों के पास लाइसेंस होता है। कई बार तो बाइकों पर एक की बजाय तीन-तीन, चार-चार बच्चे बैठ कर एक साथ कई-कई बाइकों की लंबी कतारें बनाकर बाइकों की रेश लगाते हैं, जिससे दुर्घटना होने का खतरा ओर भी बढ़ जाता है। बच्चों की इस गलती में अभिभावक भी बराबर के दोषी हैं।
मौके पर बुलाकर अभिभावकों को दिए जाते हैं सख्त निर्देश
एसपी के आदेशानुसार सभी स्कूल संचालकों को निर्देश दिए गए हैं कि अगर कोई भी नाबालिग विद्यार्थी बाइक लेकर स्कूल आता है तो उसे तुरंत स्कूल से बाहर कर दिया जाए। स्कूल में बाइक लेकर आने वाले विद्यार्थियों को स्कूल में प्रवेश नहीं करने दिए जाए। इसके अलावा अगर कोई बच्चा शहर में बाइक लेकर घुमता है तो तुरंत उस बच्चे के अभिभावकों को मौके पर बुला कर समझाया जाता है तथा भाविष्य में दोबारा पकड़े जाने पर बच्चे का चालान काट कर उनके अभिभावकों के खिलाफ भी कार्रवाई का प्रावधान किया गया है।
धूप सिंह
जिला यातायात प्रभारी, जींद



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