रविवार, 20 मई 2012

कम्प्यूटर शिक्षा के नाम पर मजाक!

आधा सत्र बीत जाने के बाद भी स्कूलों में नहीं पहुंची कम्प्यूटर की पुस्तकें

नरेंद्र कुंडू 
जींद। सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के साथ कम्प्यूटर शिक्षा के नाम पर मजाक किया जा रहा है। शैक्षणिक सत्र आधा बीत चुका है, लेकिन अभी  तक सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों तक कम्प्यूटर की किताबें ही नहीं पहुंची हैं। ऐसे में बिना पुस्तकों के विद्यार्थी किस तरह पढ़ाई कर पाएंगे। समय पर पुस्तकें न मिलने के कारण विद्यार्थी सटीक नालेज की बजाय कम्प्यूटर पर गेम खेलकर अपना टाइम पास कर रहे हैं और अध्यापक मजबूर हैं, क्योंकि सरकारी तंत्र को नींद से जगाना उनके बूते की बात नहीं है। इससे यह सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि सरकारी स्कूलों में कम्प्यूटर शिक्षा व पाठ्य सामग्री उपलब्ध करवाने वाली कंपनी द्वारा विद्यार्थियों के भविष्य के साथ सीधे तौर पर खिलवाड़ किया जा रहा है। कंपनी के अधिकारियों की लापरवाही के कारण प्रदेश सरकार व शिक्षा विभाग द्वारा सरकारी स्कूलों में कम्प्यूटर शिक्षा देकर विद्यार्थियों को हाईटेक बनाने के दावे बेमानी साबित हो रहे हैं।
शिक्षा विभाग ने सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को कम्प्यूटर शिक्षा उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से एनआईसीटी कंपनी को कॉन्ट्रेक्ट दिया था। शिक्षा विभाग के साथ हुए कॉन्ट्रेक्ट के अनुसार स्कूलों में विद्यार्थियों के लिए कम्प्यूटर उपलब्ध करवाने तथा सभी पाठ्य सामग्री उपलब्ध करवाने की जिम्मेदारी एनआईसीटी कंपनी को ही दी गई थी। इसकी एवज में सरकार द्वारा कंपनी को हर वर्ष लाखों रुपए की वितिय सहायता दी जाती है। लेकिन फिर भी कंपनी अपने वायदे पर खरी नहीं उतर रही है। कंपनी के अधिकारियों की लापरवाही के कारण रह-रहकर कंपनी की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लग रहे हैं। इस बार भी आधा शैक्षणिक सत्र गुजर चुका है, लेकिन अभी तक स्कूलों में विद्यार्थियों तक कम्प्यूटर की पुस्तकें नहीं पहुंच पाई हैं। जबकि नियम के अनुसार शैक्षणिक सत्र के आरंभ होते ही विद्यार्थियों को पुस्तकें उपलब्ध करवानी अनिवार्य होती हैं। लेकिन कंपनी सरकार के किसी भी  नियम को पूरा नहीं कर पा रही है। विद्यार्थियों को समय पर पुस्तकें न मिलने के कारण उनकी पढ़ाई बाधित हो रही है और विद्यार्थी सटीक नालेज की बजाय कम्प्यूटर पर गेम खेलकर अपना टाइम पास कर रहे हैं। इससे साफ जाहिर हो रहा है कि कंपनी द्वारा कम्प्यूटर शिक्षा के नाम पर विद्यार्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।

पिछले वर्ष भी समय पर नहीं पहुंची थी पुस्तकें

स्कूलों में कम्प्यूटर शिक्षा उपलब्ध करवाने वाली कंपनी की कार्य प्रणाली हर वर्ष डावांडोल होती जा रही है। जिस कारण विद्यार्थी व अध्यापक बार-बार विरोध करने पर मजबूर हो रहे हैं। इस वर्ष की भाति पिछले वर्ष भी विद्यार्थियों को समय पर पुस्तकें नहीं मिली थी। पिछले वर्ष लेटलतिफी के बाद भी कंपनी सभी विद्यार्थियों को पुस्तकें उपलब्ध नहीं करवा पाई थी। जिस कारण विद्यार्थियों को बिना पुस्तकों के ही काम चलाना पड़ा था। इससे यह बात साफ है कि पिछले वर्ष हुई गलती से इस बार भी कंपनी ने सीख नहीं ली है और यह इसी का परिणाम है कि आधा सत्र बीत जाने के बाद भी स्कूलों में पुस्तकें नहीं पहुंच पाई है।

विद्यार्थियों की पढ़ाई हो रही है बाधित

स्कूलों में कम्प्यूटर के प्रेक्टीकल अभयास के साथ-साथ विद्यार्थियों को पाठ्य सामग्री उपलब्ध करवाने की सारी जिम्मेदारी एनआईसीटी कंपनी की है। लेकिन आधा सत्र बीत जाने के बावजूद भी कंपनी ने स्कूलों में पुस्तकें नहीं भेजी हैं। जिस कारण विद्यार्थियों की पढ़ाई बाधित हो रही है। पिछले वर्ष भी कंपनी सभी विद्यार्थियों को पुस्तकें उपलब्ध नहीं करवा पाई थी। कंपनी के अधिकारियों की लापरवाही के कारण विद्यार्थियों का भविष्य खतरे में है।
देवेंद्र सिंह, जिला प्रधान

हरियाणा कम्प्यूटर अध्यापक व लैब सहायक संघ, जींद

छुट्टियों तक उपलब्ध करवा दी जाएंगी पुस्तकें
पिछले वर्ष सभी स्कूलों में समय पर पुस्तकें उपलब्ध करवा दी गई थी। इस वर्ष के लिए कंपनी द्वारा पुस्तकों की खरीद की जा रही है। गर्मियों की छुट्टियों तक सभी स्कूलों में पुस्तकें उपलब्ध करवा दी जाएंगी। विद्यार्थियों को अच्छी शिक्षा उपलब्ध करवाने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।
अशोक शर्मा, जिला कोर्डिनेटर
एनआईसीटी, जींद

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