कम्प्यूटर शिक्षा के पहिये पर ब्रेक

टेंडर अलाट न होने के कारण नहीं हो सकी कम्प्यूटर टीचरों की नियुक्ती

नरेंद्र कुंडू
जींद।
प्रदेश के सरकारी स्कूलों में कम्प्यूटर शिक्षा आगाज से पहले ही दम तोड़ गई है। पिछले दो वर्षो से सरकारी स्कूलों में बच्चों की कम्प्यूटर शिक्षा के नाम पर खानापूर्ति ही हो रही है। यही कारण है कि सरकारी स्कूलों में कम्प्यूटर शिक्षा के पहिये पर ब्रेक लगा हुआ है। सरकारी स्कूलों में कम्प्यूटर शिक्षा उपलब्ध करवाने के लिए सरकार द्वारा टेंडर अलाट कर प्राइवेट कंपनी के माध्यम से प्रदेश के हाई स्कूलों के लिए 2622 कम्प्यूटर शिक्षक नियुक्त किए जाने थे, लेकिन सरकार द्वारा अभी   तक किसी भी कंपनी को टेंडर ही अलाट नहीं किए गए हैं। टेंडर अलाट न होने के कारण कम्प्यूटर शिक्षा अधर में लटकी पड़ी है। आधा शैक्षणिक सत्र बीत जाने के बाद भी  कम्प्यूटर शिक्षकों की नियुक्ती न होने से सरकार की कार्य प्रणाली पर तो प्रश्न चिह्न लग ही रहा है, साथ में यह सवाल भी  खड़ा हो रहा है कि आखिर सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थी बिना गुरु के किस तरह कम्प्यूटर शिक्षा में दक्ष हो सकेंगे।
सूचना क्रांति के साथ आई कम्प्यूटर क्रांति ग्रामीण सरकारी स्कूलों में समय पर तो पहुंची, लेकिन सरकारी अव्यवस्था के कारण वह सिरे नहीं चढ़ सकी। इसके चलते विभिन्न योजनाओं के तहत स्कूलों में आए कम्प्यूटर अब प्रशिक्षक न होने के कारण धूल फांक रहे हैं। अगर फिलहाल प्रदेश के सरकारी स्कूलों की व्यवस्था पर नजर डाली जाए तो वहां पर कम्प्यूटर तो हैं, लेकिन बच्चों को इसका ज्ञान देने के लिए कोई शिक्षक उपलब्ध ही नहीं है। प्रदेश के अधिकतर स्कूलों की कम्प्यूटर लैब के कमरों पर से तो आज तक ताला ही नहीं खुल सका है। सरकारी स्कूलों में पिछले दो वर्षों से कम्प्यूटर शिक्षा के नाम पर केवल खानापूर्ति ही हो रही है। सीनियर सेकेंडरी स्कूलों को छोड कर किसी भी हाई स्कूल में अभी तक कम्प्यूटर टीचरों की नियुक्ती नहीं हो पाई है। इस वर्ष सरकारी स्कूलों में कम्प्यूटर शिक्षा उपलब्ध करवाने के लिए सरकार द्वारा टेंडर अलाट कर प्राइवेट कंपनी के माध्यम से प्रदेश के हाई स्कूलों के लिए 2622 कम्प्यूटर शिक्षक नियुक्त किए जाने थे, लेकिन सरकार द्वारा अभी तक किसी भी कंपनी को टेंडर ही अलाट नहीं किए गए हैं। आधा शैक्षणिक सत्र बीत जाने के बाद भी कम्प्यूटर शिक्षकों की नियुक्ती न होने के कम्प्यूटर लैब में पड़े-पड़े धूल फांक रहे हैं और विद्यार्थी शिक्षकों के इंतजार में हैं। शिक्षकों के अभाव में सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को अपना कम्प्यूटर शिक्षा का सपना साकार होता नहीं दिख रहा है।

चाहकर भी नहीं ले पा रहे शिक्षा

सूचना क्रांति के इस दौर में हर ग्रामीण विद्यार्थी कम्प्यूटर शिक्षा प्राप्त करना चाहता है, लेकिन सरकारी स्कूलों में व्यवस्था नहीं होने से उसे निजी इंस्टीट्यूटों में जाकर महंगे दामों पर यह शिक्षा प्राप्त करनी पड़ रही है। वे चाहकर भी सरकारी स्कूल में कम्प्यूटर भी शिक्षा नहीं ले पा रहे हैं। शिक्षकों के अभाव के कारण सरकारी स्कूलों की लैब में रखे लाखों रुपए की कीमत के कम्प्यूटर धूल फांक रहे हैं।

टेंडर नहीं हुए हैं अलाट

लैब सहायक का टेंडर सरकार ने उनकी कंपनी को दिया हुआ है। सरकारी स्कूलों में कम्प्यूटर टीचर की नियुक्ती के लिए सरकार द्वारा टेंडर निकाले गए थे। जिसके तहत प्रदेशभर में 2622 कम्प्यूटर टीचरों की नियुक्ती की जानी थी, लेकिन अभी  तक सरकार ने किसी भी  प्राइवेट कंपनी को टेंडर अलाट नहीं किए हैं। टेंडर अलाट न होने के कारण ही अभी  तक कम्प्यूटर टीचरों की नियुक्ती नहीं हो पाई है।
आकाश रस्तोगी
सीनियर मैनेजर, एनआईसीटी
 सरकारी स्कूल में कम्प्यूटर लैब पर लटका ताला

प्राइवेट कंपनी की है जिम्मेदारी

सरकारी स्कूलों में कम्प्यूटर के रखरखाव के लिए लैब सहायकों की नियुक्ती के लिए सरकार ने एनआईसीटी को टेंडर दिया हुआ है। हाई स्कूलों में कम्प्यूटर टीचरों की नियुक्ती के लिए सरकार द्वारा प्राइवेट कंपनी को टेंडर दिया जाना है। टेंडर के बाद ही स्कूलों में कम्प्यूटर टीचरों की नियुक्ती हो सकेगी। सीनियर सैकेंडरी स्कूलों में कम्प्यूटर टीचरों की नियुक्ती की जा चुकी है।
साधू राम रोहिल्ला
जिला शिक्षा अधिकारी, जींद


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

पिता की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए राजनीति में रखा कदम : धर्मपाल प्रजापत

किसानों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बना ईगराह का मनबीर रेढ़ू

सेवा भारती संस्था समाज के सहयोग से नि:स्वार्थ भाव से कार्य करती है : डॉ. सुरेंद्र पाल