विभाग की लापरवाही से लुट रहे किसान
बाजार में बिक रहा नकली बीज का पैकेट |
जींद। जिले का कृषि विभाग कुंभकर्णी नींद सोया पड़ा है और बीज विक्रेता खुलेआम धरतीपुत्रों को लूट रहे हैं। डीलर कपास के बीज के नाम पर किसानों को घटिया बीज थमा रहे हैं और भोले-भाले किसान जानकारी के अभाव में बड़ी आसानी से इनके चुंगल में फंस रहे हैं। इन बीजों के पैकेटों पर ब्रांडनेम के साथ-साथ निर्माता कंपनियों का नाम भी नदारद होता है। बीज अनुमोदित कमेटी के निमयों को दरकिनार कर बाजार में धड़ल्ले से नकली बीज उतारा जा रहा है। डीलर किसानों को नकली बीज थमाकर जमकर चांदी कूट रहे हैं। बाजार में नकली बीज आने से किसान तो ठगी का शिकार हो ही रहे हैं साथ-साथ फसल की गुणवत्ता भी प्रभावित हो रही है। ताज्जुब की बात तो यह है कि बीज विक्रेता इस तरह के बीजों की बिक्री के बाद किसानों को बिल भी नहीं दे रहे हैं, ताकि भविष्य में अगर किसान की फसल में कोई नुकसान होता है तो कानूनी से कार्रवाई से बचा जा सके। लूट का यह खेल कृषि विभाग की ठीक नाक के तले खेला जा रहा है और विभागीय अधिकारी कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति कर रहे हैं।
गजट नोटिफिकेशन के बाद होती है बीज की बिक्री
बीज अधिनियम 1966 के तहत बीज अनुमोदित कमेटी समनवीत परीक्षणों के जरिए बीज अनुमोदित करती हैं। समनवीत परीक्षणों में अव्वल रहने पर ही कमेटी बीज को क्षेत्र अनुसार सिफारिश कर सरकार के पास गजट नोटिफिकेशन के लिए भेजती है। बीज अनुमोदित कमेटी के अनुमोदन पर ही सरकार बीज को अपने गजट नोटिफिकेशन में अधिसूचित करती है और गजट नोटिफिकेशन के बाद ही बाजार में बीजों की बिक्री की जा सकती है।बीज अनुमोदित कमेटी को कर दिया गया दरकिनार
हिंदूस्तान में बीटी के बीज की बिक्री के लिए इजाजत देने के लिए बीज अनुमोदित कमेटी को दरकिनार करते हुए सरकार ने अनुवांशिकीय अभियंत्रिकी अनुमोदन समिती का गठन किया। समिति के गठन के बाद पर्यावरण सुरक्षा अधिनियम 1986 के तहत सरकार ने विशेष शर्तों के साथ इस सदी की शुरूआत में ही बीटी की 6 किस्मों को बैचने की इजाजत दे दी। इसके साथ ही इन बीजों के दुष्प्रभाव की निगरानी रखने के लिए जिला व राज्य स्तर पर पर्यावरण कमेटियों का गठन करने के निर्देश भी जारी कर दिए। सरकार के निर्देशानुसार पर्यावरण कमेटियों के गठन के बाद ही बीटी के बीजों की बिक्री शुरू करने का प्रावधान किया गया था। प्रदेश में 2005 में इन कमेटियों का गठन किया जाना था। इसके साथ दूसरी शर्त यह भी रखी गई थी कि जो भी डीलर इस बीज की बिक्री करेगा वह किसान को बीज देने से पहले उसकी जमीन का नंबर लेकर पर्यावरण सुरक्षा कमेटियों को देगा, ताकि कमेटियां समय-समय पर किसान के खेत में जाकर यह सुनिश्चित कर सकें कि कहीं इन बीजों से किसी प्रकार के दुष्प्रभाव तो सामने तो नहीं आ रहे हों। लेकिन सरकार के ढीले रवैये व नए नियमों की आड़ में नकली बीज कंपनियों ने बाजार में पूरी तरह से अपनी जड़ें जमा ली हैं। आज बाजार में 6 किस्मों के अलावा 200 से भी ज्यादा किस्म के बीज बाजार में आ चुके हैं। इन बीज के पैकेटों पर न तो कंपनी के निर्माता का नाम है और न ही रेट का उल्लेख किया जाता है। इस प्रकार सरकार के नियमों की आड़ में नकली बीज कंपनियां खुलेआम किसानों की आंखों में धूल झोंक रही हैं और कृषि विभाग कार्रवाई के नाम पर केवल खानापूर्ति कर रहा है।पर्यावरण कमेटियों के बारे में भी नहीं है जानकारी
सरकार ने अनुवांशिकीय अभियंत्रिकी अनुमोदन समिती का गठन कर पर्यावरण सुरक्षा अधिनियम 1986 के तहत बीटी के बीजों के दुष्प्रभावों पर निगरानी रखने के लिए जिला व राज्य स्तर पर पर्यावरण सुरक्षा कमेटियों का गठन करने के निर्देश जारी किए थे। इन कमेटियों के गठन के बाद ही बीटी के बीज की बिक्री करने का प्रावधान था। प्रदेश में 2005 में जिला व राज्य स्तर पर कमेटियों का गठन किया जाना था, लेकिन खुद कृषि विभाग के अधिकारियों को भी अभी तक इन कमेटियों के बारे में पता नहीं है।
बिल देने से भी बच रहे हैं दुकानदार
बीज विक्रेता किसानों को नकली बीज देकर जमकर चांदी कूट रहे हैं। इतना ही नहीं बीज देने के बाद दुकानदार किसानों को बिल देने में भी आनाकानी करते हैं। ताकि अगर भविष्य में किसान की फसल में किसी प्रकार का नुकसान होता है तो वे कानूनी कार्रवाई से आसानी से बच सकें।
शिकायत मिलने पर होगी कार्रवाई
विभाग द्वारा समय-समय पर बाजार में जाकर जांच की जाती है। बाजार में नकली बीज की बिक्री का अभी तक कोई भी मामला उनके सामने नहीं आया है। अगर इस तरह की कोई शिकायत उन्हें मिलती है तो वे दुकानदार के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करेंगे।
आरपी सिहाग
कृषि उपनिदेशक, जींद
आरपी सिहाग
कृषि उपनिदेशक, जींद
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