किसानों के लिए सिर दर्द बनी ‘योजना’

टंकियों के नाम पर होता है फर्जीवाड़ा

नरेंद्र कुंडूजींद। कृषि विभाग द्वारा किसानों के उत्थान के लिए हर वर्ष अनेकों योजनाएं धरातल पर उतारी जाती हैं, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही व लंबी प्रक्रिया के कारण विभाग की अधिकतर योजनाएं धरातल पर आने से पहले ही धराशाही हो जाती हैं। कृषि विभाग द्वारा अन्न के सुरक्षित भंडारण के लिए सब्सिडी पर किसानों को टंकियां मुहैया करवाने के लिए शुरू की गई यह योजना भी खामियों का शिकार हो चुकी है। किसानों को लाभावित करने के लिए शुरू की गई यह योजना किसानों के लिए सिर का दर्द बन चुकी है। यह इसी का परिणाम है कि इस वर्ष कृषि विभाग द्वारा रखे गए 1195 टंकियों के टारगेट में से सिर्फ 450 टंकियां ही किसानों तक पहुंच पाई हैं। बाकी बचे हुए किसानों को टंकियों के लिए आए दिन सरकारी बाबूओं के दरवाजे खटखटाने पड़ रहे हैं। अधिकतर किसान तो इस लंबी प्रक्रिया से परेशान होकर बीच में ही योजना से मुहं मोड़ लेते हैं।
रबी के सीजन के दौरान कृषि विभाग किसानों को अन्न के सुरक्षति भंडारण के लिए मैटलिक बीन के लिए प्रेरित करता है। ताकि अन्न भंडारण के दौरान किसानों का अन्न सुरक्षित रह सके। किसानों को प्रेरित करने के लिए विभाग सब्सिडी पर करोड़ों रुपए खर्च कर देता है। इसके लिए कृषि विभाग द्वारा हर वर्ष जिलानुसार टारगेट भी  दिया जाता है। इस वर्ष कृषि विभाग द्वारा जिले में एससी व जरनल के कुल 1195 किसानों को धातु की टंकियों मुहैया करवाने का टारगेट निर्धारित किया गया है। विभाग द्वारा 75 व 50 प्रतिशत अनुदान पर किसानों को टंकियां उपलब्ध करवाई जा रही हैं। टंकियों के निर्माण का कार्य विभाग हरियाणा कृषि उद्योग निगम से करवाता है। कृषि विभाग के अधिकारी कृषि उद्योग निगम के अधिकारियों से बिना तालमेल बनाए ही किसानों को परमिट दे देते हैं, लेकिन जब किसान टंकियां लेने के लिए निगम के कार्यालय पहुंचते हैं तो वहां उन्हें निराशा के सिवाए कुछ हाथ नहीं लगता है। फसल की कटाई यानि एक अप्रैल से ही टारगेट के अनुसार टंकियां बांटने का कार्य शुरू हो जाता है। लेकिन इसे अधिकारियों की लापरवाही कहें या आपसी तालमेल का अभाव जो अभी  तक कृषि विभाग अपना टारगेट पूरा नहीं कर पाया है। विभाग द्वारा इस वर्ष निर्धारित किए गए 1195 टंकियों के टारगेट में से विभाग सिर्फ 450 किसानों को ही टंकियां मुहैया करवा पाया है। बाकी बचे किसान हर रोज टंकियां लेने के लिए अधिकारियों के कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन उनकी तरफ से भी उन्हें कोई संतुष्ट जवाब नहीं मिल रहा है। किसानों के हाथ में परमिट तो पहुंच गए हैं, लेकिन अभी टंकियां मिलने की कोई संभावना नजर नहीं आ रही है।

फार्म के नाम पर भी  होता है घोटाला

योजना का लाभा  लेने के लिए किसानों को फार्म मुहैया करवाने की जिम्मेदारी कृषि विभाग की होती है, लेकिन कृषि विभाग के अधिकारी टारगेट के अनुसार फार्म तैयार नहीं करवाते। अधिकारी नामात्र फार्म तैयार करवा एडीओ को दे देते हैं। उन्हीं फार्मों से किसानों को अपना काम चलाना पड़ता है। एडीओ किसान को फार्म भरने के लिए नहीं सिर्फ फोटो कॉपी करवाने के लिए ही देते हैं। किसानों को अपनी जेब से पैसे खर्च कर फार्म की फोटो कॉपी करवानी पड़ती है और फार्म के लिए जो पैसा विभाग की तरफ से जारी होता है उसे अधिकारी चट कर जाते हैं। इस प्रकार फार्म के नाम पर भी  अधिकारी घोटाला करने से नहीं चुकते।

इस वर्ष कितना है टारगेट

कृषि विभाग द्वारा इस वर्ष जिले के सभी किसानों के लिए 1195 टंकियां वितरित करने का टारगेट रखा गया है। टारगेट के आधार पर 10 क्विंटल की 500 टंकियां जरनल व 600 टंकियां एससी के लिए निर्धारित की गई हैं। इसके अलावा 5.6 क्विंटल की 95 टंकियां एससी को दी जानी हैं।

बाहर से नहीं खरीद सकते टंकियां

टारगेट के आधार पर किसानों को टंकियां दी जाती हैं। विभाग किसानों के लिए बाहर से टंकियां नहीं खरीद सकता। टंकियों का निर्माण विभाग द्वारा हरियाणा कृषि उद्योग निगम द्वारा करवाया जाता है। टंकियों के निर्माण में प्रयोग होने वाला मैटीरियल विभाग चंडीगढ़ से खरीद कर भेजता है। समय पर मैटीरियल न मिलने के कारण टंकियों के निर्माण में देरी हो जाती है। जिस कारण समय पर किसानों को टंकियां नहीं मिल पाती। विभाग सभी  किसानों को टंकियां मुहैया करवाने के हर संभव प्रयास करता है।
अनिल नरवाल, एपीपीओ
कृषि विभाग, जींद

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