....टूट रही सांसों की डोर

एम्बुलेंस के साथ नहीं मिलती ईएमटी की सुविधा

 सामान्य अस्पताल में खड़ी एम्बुलेंस का फोटो
नरेंद्र कुंडू
जींद।
अस्पताल में बढ़ती मरीजों की संख्या पर सुविधाओं का टोटा हावी हो रहा है। खासकर दुरुह स्थिति में गंभीर मरीजों को तुरंत यहां से बाहर रेफर कर देना यहां की नियति बन गई है। अस्पताल प्रशासन द्वारा मरीजों को एम्बुलेंस की सुविधा तो दी जा रही है, लेकिन एम्बुलेंस के साथ मैडीकल टैक्नीशियन की ड्यूटी नहीं लगाई जाती है, जोकि नियम के अनुसार सबसे पहले जरुरी होती है। आपातकालीन परिस्थितियों में मरीज को समय पर प्राथमिक चिकित्सा उपलब्ध न होने के कारण अधिकतर मरीज अस्पताल तक पहुंचने से पहले ही दम तोड़ देते हैं। इस प्रकार अस्पताल प्रशासन की लापरवाही के कारण मौत मरीज के सिर पर तांडव करती रहती है और मरीज के तामीरदारों के पास सिवाए आंसू बहाने के कोई रास्ता नहीं होता।
जिले के सामान्य अस्पताल में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया न होने के कारण लोगों का विश्वास अस्पताल प्रशासन से उठ चुका है। अस्पताल में वर्तमान में एमरजेंसी एवं आईसीयू दोनों जगह गहन चिकित्सीय सुविधा का अभाव बना हुआ है। डाक्टरों की कमी एवं आधुनिकतम सुविधा के अभाव में अधिकांश मरीज बाहर रेफर कर दिए जाते हैं। खासकर दुर्घटना एवं हाइपरटेंशन के शिकार मरीजों को तो यहां किसी भी हाल में नहीं रखा जाता है। ऐसे थोड़ी सी गंभीर स्थिति में मरीजों को रोहतक पीजीआई रेफर करने की यहां आदत बनी हुई है। मरीज को रेफर करते वक्त एम्बुलेंस में चालक के अलावा ईएमटी या स्टाफ नर्स मौजूद नहीं रहती। जबकि नियम के अनुसार गंभीर परिस्थितियों के दौरान साधान एम्बुलेंस में भी एक ईएमटी होना अनिवार्य होता है। लेकिन शहर के सामान्य अस्पताल में ऐसा कोई नियम लागू नहीं होता। एम्बुलेंस में प्राथमिक चिकित्सा के आधुनिक उपकरण न होने व तकनीशियन की कमी के कारण मरीज को पीजीआई तक मौत के साए में सफर तय करना पड़ता है। रेफर के दौरान समय पर प्राथमिक चिकित्सा न मिलने के कारण कई बार मरीज भय के कारण ही अपने प्राण त्याग देता है। इस प्रकार अस्पताल प्रशासन की लापरवाही के कारण मरीज के जीवन की रक्षक एम्बुलेंस खुद ही मरीज के लिए भक्षक बन जाती है।

ऐसे जाती है जान

हाई रिस्की केश व एक्सिडेंट के अधिकतर मामलों में चिकित्सक घायल को प्राथमिक चिकित्सा उपलब्ध करवा पीजीआई रेफर कर देते हैं। लेकिन साधारण एम्बुलेंस में प्राथमिक चिकित्सा उपकरण व अन्य सुविधाएं मौजूद न होने के कारण कई बार मरीज पीजीआई तक पहुंचने से पहले ही दम तोड़ देते हैं, तो वहीं कई मरीज घंटों तक तड़पते रहते हैं। गंभीर परिस्थितियों को देखते हुए भी अस्पताल प्रशासन द्वारा किसी ईएमटी या स्टाफ नर्स को साथ नहीं भेजा जाता। जिस कारण बीच रास्ते में ही तड़फ-तड़फ कर मरीज अपनी जान दे देता है।

हर कोई उदासीन

मरीजों को तत्काल उपचार की अच्छी व्यवस्थाओं को लेकर कोई भी चिंतनशील नहीं है। अस्पताल प्रशासन संसाधनों की कमी बताकर पल्ला झाड़ लेते हैं तो डॉक्टर स्थिति की नजाकत को देखते हुए मरीज को रेफर कर देते हैं। स्थानीय जनप्रतिनिधि व आला अधिकारी प्रदेश सरकार से अस्पताल में पर्याप्त चिकित्सकीय उपकरणों की व्यवस्था कराने में अब तक सफल नहीं हो पाए हैं।

क्या-क्या सुविधाएं हैं अनिवार्य

किसी भी हादसे में घायल हुए मरीज को सही सलामत अस्पताल तक पहुंचाने के लिए एम्बुलेंस में सबसे पहले फर्स्ड एड बॉक्स होना अनिवार्य है। ताकि अस्पताल पहुंचाने से पहले घायल को प्राथमिक उपचार देकर बचाया जा सके। इसके अलावा एम्बुलेंस में आक्सिजन सिलेंडर, चिकित्सा संबंधी सभी उपकरण व एमरजेंसी मेडीकल टेक्नीशियन (ईएमटी) होना चाहिए, जो घायल को समय पर सही उपचार देकर उसकी सांसों की डोर को टूटने से बचा सके।

चालकों को भी दिया जाएगा प्रशिक्षण

गंभीर परिस्थतियों में मरीज के साथ एक ईएमटी होना अनिवार्य होता है। अस्पताल प्रशासन द्वारा गंभीर परिस्थितियों के दौरान मरीज के साथ ईएमटी भेजने का प्रावधान किया गया है। लेकिन अब मरीजों की इस समस्या को खत्म करने के लिए अस्पताल प्रशासन द्वारा ईएमटी के अलावा एम्बुलेंस के चालकों को भी प्राथमिक उपचार की ट्रेनिंग दी जाएगी, ताकि रेफर करते समय अगर रास्ते में मरीज को किसी प्रकार की परेशानी होती है तो चालक उसे प्राथमिक उपचार देकर बचा सके।
डा. राजेंद्र प्रसाद
सिविल सर्जन, जींद

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