शुक्रवार, 1 जून 2012

खुलेआम बट रहा मौत का सामान

 शाम होते ही सजने लगती हैं नशे की दुकानें

नरेंद्र कुंडू
जींद।
पिल्लूखेड़ा क्षेत्र में स्मैक का गोरखधंधा खूब फल-फूल रहा है। नशे के सौदागर कस्बे में अपनी जड़ें जमा चुके हैं। शाम होते ही सार्वजनिक स्थानों पर स्मैक की महफिलें सज जाती हैं और यहां खुलेआम मौत का सामन बटता है। मंडी में ही दर्जभर से ज्यादा प्वाइंट हैं, जहां पर स्मैक की धड़ल्ले बिक्री की जा रही है। नशे के सौदागरों का निशाना कम उम्र के युवा वर्ग पर सबसे ज्यादा है। इसकी का परिणाम है कि यहां का युवा वर्ग सबसे ज्यादा नशे की गिरफ्त में आ चुका है। पुलिस सब कुछ जानकर भी अनजान बनी बैठी है। हैरानी की बात यह है पुलिस ने नशे के सौदागरों के नेटवर्क को तोड़ने के लिए आज तक कोई कार्रवाई नहीं की है। इससे पुलिस की कार्य प्रणाली भी संदेह के घेरे में आ रही है।
शहर में नशे का कारोबार दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। स्मैक के नशे ने युवाओं में अपनी पकड़ मजबूत बना ली है। इसीलिए नशे के कारोबारी भी अपने कारोबार को बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। स्मैक के अलावा कस्बे में अफीम, गांजा, चरस का कारोबार भी खुल चल रहा है। नशे के सौदागर नशे के साथ-साथ लोगों को कई प्रकार की बीमारियां भी परोस रहे हैं। शहर के अनेक सम्पन्न व गरीब परिवार के लोग अपने बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित हैं। इस व्यवसाय के बढ़ते कारोबार से कस्बे के होनहार बच्चों का भविष्य खतरे में हैं।

किस-किस जगह पर सजती हैं महफिलें

पिल्लूखेड़ा क्षेत्र में पिछले काफी समय से नशे का कारोबार लगातार पैर पसार चुका है। जिस कारण कस्बे में एक दर्जन से भी ज्यादा स्थानों पर खुलेआम नशे का कारोबार चलता है। इनमें सबसे प्रमुख स्थान कस्बे का प्रभूनगर, सत्यम कॉलोनी, रेलवे फाटक, रेलवे स्टेशन, धड़ोली मोड़, अमरावली रोड, तहसील कैंप के पास, नई अनाज मंडी, रेलवे कॉलोनी, कालवा रोड मुख्य अड्डे बन चुके हैं। इन अड्डों पर शाम होते ही खुलेआम मौत का सामान बटने लगता है।   

आपराधिक घटनाओं में संलिप्त हो रहे हैं युवा

इन दिनों शहर के युवा कम उम्र में ही नशे की गिरफ्त में फंसते जा रहे हैं। नशे के सौदागर कम उम्र के युवकों पर अपने निशाने पर लेते हैं, क्योंकि जानकारी के अभाव के कारण ये आसानी से इनकी गिरफ्त में आ जाते हैं। नशे के सौदागर युवाओं को अपने जाल में फांसने के लिए पहले युवाओं में नशे का शोक पैदा करते हैं और नामात्र कीमत पर इन्हें नशा उपलब्ध करवा देते हैं। बाद में जब ये नशे के आदि हो जाते हैं तो नशे के बदले में इनसे मुहं मांगे दाम वसूले जाते हैं। जिस कारण अधिकतर युवा अपनी लत को पूरा करने के लिए गलत रास्ते का सहारा लेकर आपराधिक घटनाओं में संलिप्त हो जाते हैं।

खत्म हो जाती है स्मरण शक्ति

स्मैक का नशा काफी खतरनाक होता है। एक बार इसकी लत लगने के  बाद यह आसानी से नहीं छुटती है। स्मैक की जकड़ में आने के बाद व्यक्ति की सोचने समझने की शक्ति खत्म हो जाती है। शरीर कमजोर पड़ जाता है। वजन काफी तेजी से घटने लगता है। व्यक्ति का अपने शरीर पर कोई कंट्रोल नहीं रहता। व्यक्ति मानसिक व शारीरिक रूप से पूरी तरह से टूट जाता है।
दिलबाग दूहन, प्रोजैक्ट डायरेक्टर
नशा मुक्ति केंद्र, जींद

पुलिस नहीं उठा रही सख्त कदम

कस्बे में कई स्थानों पर नशे का कारोबार खुलेआम चल रहा है। लेकिन नशे की दुकानों को बंद करवाने में पुलिस की भूमिका सक्रीय नहीं है। पुलिस के ढुलमुल रवैये के कारण नशे के कारोबारी अपने कारोबार को चमकाने में जुटे हुए हैं। पुलिस सब कुछ जानते हुए भी अनजान बनी हुई है। पुलिस की नकारात्मक भूमिका के कारण कस्बे के लोगों में पुलिस प्रशासन के प्रति गहरा रोष पनप रहा है। 
नवीन गोयल, प्रधान
भारत विकास मंच, पिल्लूखेड़ा

शिकायत मिलने पर की जाती है कार्रवाई

कस्बे में कई लोग स्मैके के कारोबार में शामिल हैं। पुलिस नशे के सौदागरों की हर गतिविधियों पर पैनी नजर रखे हुए है। नशे के कई कारोबारियों को पुलिस सलाखों के पीछे पहुंचा चुकी है। शिकायत मिलने पर पुलिस तुरंत रेड डाल कर आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करती है।
राजेंद्र सिंह थाना प्रभारी
पिल्लूखेड़ा

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