रविवार, 1 जुलाई 2012

3 माह, 96 सैंपल, 9 की रिपोर्ट

सैंपलों की आड़ में विभाग कर रहा खानापूर्ति, किसान बेबस

 उप कृषि अधिकारी कार्यालय का फोटो।
नरेंद्र कुंडू
जींद।
जिले में नकली बीज व दवाइयों का गोरखधंधा पूरे यौवन पर है। इसके लिए पूरी तरह से कृषि विभाग की सुस्ती जिम्मेदार है। विभाग द्वारा क्वालिटी कंट्रोल अभियान चलाकर नकली बीज व दवा विक्रेताओं पर नकेल डालने की बजाए सैंपलों की आड़ में केवल खानापूर्ति की जा रहा है। आलम यह है कि अप्रैल माह से अब तक विभाग द्वारा जिलेभर की दुकानों से महज 96 सैंपल ही लिए गए हैं और इनमें से भी मात्र 9 सैंपलों की रिपोर्ट ही विभाग द्वारा मंगवाई गई है। जिसमें मात्र एक सैंपल ही फेल दिखाया गया है। इस प्रकार विभाग की कछुआ चाल के कारण बीज किसानों को मोटा चूना लग रहा है। बाकि सैंपलों की रिपोर्ट जब तक विभाग के पास पहुंचेगी तब तक सारा का सारा नकली बीज व कीटनाशक किसानों में बट चुका होगा और विभाग के पास खाली लकीर पीटने के सिवाए कुछ नहीं बचेगा।
खरीफ सीजन की बिजाई के साथ ही नकली बीज व कीटनाशक तैयार करने वाला गिरोह सक्रीय हो चुका है। बेहतर फसल उत्पादन हासिल करने की तमन्ना दिल में पाले किसान जब बीज बिक्री केंद्र पर पहुंचते हैं तो अधिकांश किसानों के हाथों में बेखौफ होकर बीज और कीटनाशकों के डुप्लीकेट उत्पाद थमा दिए जाते हैं। लेकिन कृषि विभाग के अधिकारी आराम से मुकदर्शक बने तमाशा देखते रहते हैं। विभागीय अधिकारियों की लापरवाही के कारण जिले में नकली बीज व कीटनाशकों का कारोबार पूरे यौवन पर है। कृषि विभाग के अधिकारियों द्वार क्वालिटी कंट्रोल अभियान के नाम पर केवल खानापूर्ति ही की जाती है। इससे नकली बीज व कीटनाशक बेचने वाले डीलरों के हौंसले बुलंद हो चुके हैं। कृषि विभाग के अधिकारी नकली बीज विक्रेताओं पर नकेल डालने के लिए कितने सक्रीय हैं इसका पता खुद उनके द्वारा ही प्रस्तुत की गई रिपोर्ट से चल रहा है। विभागीय अधिकारियों द्वारा उपायुक्त के समक्ष प्रस्तुत की गई रिपोर्ट में दर्शाया गया है कि विभाग ने अप्रैल माह से अब तक जिलेभर की दुकानों से केवल 96 सैंपल ही लिए हैं। इन 96 सैंपलों में से अब तक मात्र 9 ही सैंपलों की रिपोर्ट विभाग के पास पहुंची है। इन 9 सैंपलों में से केवल एक ही सैंपल फेल दिखाया गया है। बाकि बचे सैंपलों की रिपोर्ट जब तक विभाग के हाथों में पहुंचेगी तब तक सारा का सारा नकली बीज व कीटनाशक किसानों के हाथों में पहुंचकर फसल पर अपना प्रभाव भी दिखा चुका होगा। उस वक्त किसानों के पास सिवाए रोने व विभाग के पास खाली लकीर पीटने के अलावा कुछ नहीं बचेगा। विभाग की कछुआ चाल के कारण आज जिले में नकली बीज व कीटनाशक विक्रेता जमकर चांदी कूट रहे हैं और भोलेभाले किसान जानकारी के अभाव में इनके चुंगल में फंस कर लुट रहे हैं। नकली बीज व कीटनाशकों के प्रयोग से किसान पर दोहरी मार पड़ रही है। एक तो किसान को आर्थिक नुकसान हो रहा है और दूसरा फसल की गुणवत्ता पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।

अभी मीटिंग में हूं

इस बारे में जब कृषि विभाग के उप कृषि अधिकारी आरपी सिहाग से उनके मोबाइल पर बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि अभी मैं मीटिंग में हूं थोड़ी देर बाद बात करना, लेकिन जब उनसे दोबारा संपर्क किया गया तो उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया।

समय-समय पर चलाए जाते हैं अभियान

नकली बीज व कीटनाशकों की बिक्री पर रोक लगाने के लिए विभाग द्वारा समय-समय पर जिले में क्वालिटी कंट्रोल अभियान चलाए जाते हैं। दुकानों पर जाकर बीज व कीटनाशकों के सैंपल भी लिए जाते हैं। लेकिन प्रक्रिया लंबी होने के कारण सैंपल की रिपोर्ट आने में एक माह से भी  ज्यादा का समय लग जाता है।
अनिल नरवाला, एपीपीओ
कृषि विभाग, जींद

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