रविवार, 1 जुलाई 2012

....यहां तो बाड़ ही खा रही खेत

ट्रांसफार्मरों की खरीद-फरोख्त में निगम को लग रहा करोड़ों का चूना

 बिजली निगम के स्टोर में पड़े खराब ट्रांसफार्मर
नरेंद्र कुंडू
जींद।
घाटे की मार झेल रहे बिजली निगम को खुद उसके ही अधिकारी डुबोने पर तुले हुए हैं। निगम के अधिकारी अपनी जेबे गर्म करने के चक्कर में प्रति माह निगम को करोड़ों रुपए का चूना लगा रहे हैं। गर्मी के मौसम में आॅवर लोड़ के कारण प्रतिदिन निगम के दर्जनों ट्रांसफार्मर खराब हो रहे हैं। लेकिन ऐसे में निगम के अधिकारियों द्वारा खराब हुए ट्रांसफार्मरों को ठीक करवाने की बजाए कमिशन ऐंठने के चक्कर में नए ट्रांसफार्मर खरीदने के कार्यों को तवज्जों दी जा रही है। अधिकारियों द्वारा तय किए गए नए नियामों के कारण एक तरफ जहां करोड़ों रुपए के ट्रांसफार्मर जंग की भेंट चढ़ रहे हैं, वहीं दूसरी और नए ट्रांसफार्मर की खरीद-फरोख्त की आड़ में अधिकारी निगम को मोटा चूना लगा रहे हैं। नए ट्रांसफार्मरों की खरीददारी के कारण निगम के कर्मचारियों पर काम का बोझ भी बढ़ गया है।
बाड़ ही खेत को खाने वाली कहावत बिजली निगम के अधिकारियों पर स्टीक बैठ रही है। गर्मी के मौसम में आॅवर लोड होने के कारण प्रतिदिन निगम के दर्जनों ट्रांसफार्मर खराब हो रहे हैं। ट्रांसफार्मर खराब होने के कारण लोगों के सामने बिजली संकट गहरा रहा है, जिस कारण लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन निगम के अधिकारियों को लोगों की परेशानियों से कोई सरोकार नहीं है। निगम के अधिकारी खराब हुए ट्रांसफार्मरों को रिपेयर करवाने की बजाए नए ट्रांसफार्मर खरीदने के कार्य को प्राथमिकता दे रहे हैं। इसके पीछे अधिकारियों की मंशा मोटा कमिशन कमाने की होती है। नए ट्रांसफार्मर खरीदने से निगम पर आर्थिक बोझ पड़ रहा है। जिस कारण निगम कर्ज के दलदल में धंसती जा रही है। जबकि नए ट्रांसफार्मर खरीदने की बजाए पुराने ट्रांसफार्मरों को रिपेयर करवाने में निगम को नामात्र पैसे खर्च करने पड़ते हैं। अधिकारियों की नए ट्रांसफार्मर खरीदने की नीति से निगम पर दोहरी मार पड़ रही है, एक तो करोड़ों रुपए के पुराने ट्रांसफार्मर जंग की भेंट चढ़ रहे हैं तथा दूसरा निगम के कर्मचारियों पर काम का अतिरिक्त बोझ भी बढ़ रहा है। नए ट्रांसफार्मरों की खरीद-फरोख्त में अधिकारी निगम को मोटा चूना लगाकर अपनी जेबें भर रहे हैं।

गहरा सकता है बिजली संकट

बिजली निगम के अधिकारियों की लापरवाही के कारण जिले के लोगों को कभी भी बिजली संकट का सामना करना पड़ सकता है। निगम के अधिकारियों की पुराने ट्रांसफार्मरों को रिपेयर न करवा कर नए ट्रांसफार्मरों की खरीद-फरोख्त की नीति लोगों पर भारी पड़ सकती है। दरअसल नए ट्रांसफार्मरों की खरीद-फरोख्त की प्रक्रिया लंबी है तथा कर्मचारियों को नए ट्रांसफार्मरों के लिए दूसरे जिलों का रुख करना पड़ता है। जिस कारण निगम के स्टोर में समय पर ट्रांसफार्मर नहीं पहुंच पाते हैं। फिलहाल जिले के बिजली निगम के स्टोर में ट्रांसफार्मरों का भारी टोटा है। स्टोर में 25 व 100 केवीए का एक भी ट्रांसफार्मर मौजूद नहीं है। स्टोर में सिर्फ 63 केवीए के 20-25 ट्रांसफार्मर ही मौजूद हैं तथा खराब ट्रांसफार्मरों की संख्या 265 के लगभग है। स्टोर में ट्रांसफार्मरों की कमी के चलते जिला कभी भी अंधेरे की गिरफ्त में फंस सकता है।

जेई को भुगतना पड़ता है खामियाजा

ग्रामीण क्षेत्रों में ट्रांसफार्मरों पर आवर लोड़ होने के कारण ट्रांसफार्मर खराब होने का खामियाजा जेई को भुगतना पड़ता है। ट्रांसफर्मार खराब होने पर निगम के अधिकारी जेई पर लापरवाही बरतने के आरोप लगाकार उसके खाते से तीन से चार हजार रुपए की कटोती कर देते हैं। जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में लोड को कम करने तथा बिजली चोरी को रोकने के लिए निगम के अधिकारियों द्वारा कोई विशेष कदम नहीं उठाए जाते हैं। इस प्रकार बिजली चोरी से ट्रांसफार्मर पर आवर लोड़ होने से ट्रांसफार्मर खराब हो जाते हैं और फिर अधिकारियों के कोप का शिकार जेई व अन्य कर्मचारियों को होना पड़ता है।

कर्मचारियों की कमी के कारण बढ़ रहा है काम का बोझ

नए ट्रांसफार्मरों की खरीदारी के लिए कर्मचारियों को दूसरे जिलों का रुख करना पड़ता है। निगम में कर्मचारियों की कमी के कारण काम का बोझ काफी बढ़ गया है। अधिकारियों को चाहिए कि निगम से ठेका प्रथा को बंद कर सभी कच्चे कर्मचारियों को पक्का कर दिया जाए। ठेकेदारी प्रथा बंद होने से कमिशनखोरी पर भी अंकुश लग जाएगा और इससे निगम की आमदनी भी बढ़ेगी।
राजेश शर्मा, यूनिट सचिव
एचएसईबी वर्करज यूनियन

मैटीरियल की कमी आती है आड़े

गर्मी के मौसम में ट्रांसफार्मर जल्दी खराब हो जाते हैं। जिस कारण ट्रांसफार्मरों की मांग काफी बढ़ जाती है। नए ट्रांसफार्मर तैयार करने में कई प्रकार के मैटीरियल की आवश्कता पड़ती है, लेकिन वर्कशॉप में मैटीरियल उपलब्ध न होने के कारण ट्रांसफार्मर समय पर तैयार नहीं हो पाते हैं। पुराने ट्रांसफार्मरों को रिपेयर करने की जिम्मेदारी वर्कशॉप की होती है। लेकिन वर्कशॉप में पुराने ट्रांसफार्मरों को रिपेयर करने के टारगेट फिक्श होता है। टारगेट के आधार पर ही पुराने ट्रांसफार्मरों को रिपेयर किया जाता है।
राजबीर, एक्सईएन
सेंट्रल स्टोर, रोहतक

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