बिना सुविधाओं के टोल वसूल रही मोबाइल कंपनियां

किसानों को नहीं मिल पा रही किसान कॉल सेंटर की फ्री हैल्प लाइन सुविधा

नरेंद्र कुंडू
जींद।
इसे ट्राई की लापरवाही कहें या मोबाइल कंपनियों की दादागीरी जिसके चलते किसानों को ‘किसान हैल्प लाइन’ सुविधा का लाभ  नहीं मिल पा रहा है। केंद्र सरकार द्वारा घर बैठे-बिठाए ही किसानों की समस्या के निदान के लिए 2007 में किसान हैल्प लाइन सुविधा शुरू की गई थी। किसान मोबाइल के माध्यम से किसान कॉल सेंटर में बैठे कृषि वैज्ञानिकों के सामने अपनी समस्या रखकर उसका निदान करवा सकें इसके लिए सरकार द्वारा 1551 टोल फ्री नंबर जारी किया गया। अधिक से अधिक किसान इस सुविधा का लाभ ले सकें इसके लिए सरकार द्वारा प्रचार-प्रसार पर करोड़ों रुपए खर्च किए गए थे। लेकिन ट्राई (टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी आफ  इंडिया) की सुस्ती के चलते किसान हैल्प लाइन की इस सुविधा पर प्राइवेट मोबाइल कंपनियों की लापरवाही का ग्रहण लग गया। हालांकि प्राइवेट मोबाइल कंपनियां इन सेवाओं के बदले अपने उपभोक्ताओं से कॉल रेट के माध्यम से कुछ हिस्सा वसूलती हैं। लेकिन मोबाइल कंपनियां द्वारा इस सुविधा को बंद कर सरकार व उपभोक्ता दोनों को चूना लगाया जा रहा है।
भले ही सरकार द्वारा किसानों को आर्थिक रुप से सुदृढ़ करने के लिए अनेकों योजनाएं क्रियविंत कर करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हों, लेकिन वास्तव में अगर देखा जाए तो सरकार द्वारा शुरू की गई किसान हितैषी योजनाएं किसानों तक पहुंचने से पहले ही दम तोड़ देती हैं। एक ऐसी ही किसान हितेषी योजना केंद्र सरकार द्वारा 2007 में ‘किसान हैल्प लाइन’ के नाम से शुरू की गई थी। इसके लिए 1551 नंबर निर्धारित किया गया था। सरकार द्वारा शुरू की गई इस योजना का मुख्य उद्देश्य किसान कॉल सेंटर में बैठे कृषि वैज्ञानिकों की सहायता से किसानों की समस्याओं का निदान करवाना था। इस योजना के तहत किसान घर बैठे-बिठाए ही मोबाइल के माध्यम से कॉल सेंटर में बैठे कृषि वैज्ञानिकों से संपर्क कर उनके सामने कृषि संबंधी अपनी समस्याएं रखकर उनका समाधान जान सकते थे। अधिक से अधिक किसानों तक इस योजना को पहुंचाने के लिए सरकार द्वारा इसका खूब प्रचार-प्रसार किया गया था। इसके प्रचार-प्रसार पर सरकार द्वारा करोड़ों रुपए खर्च किए गए थे। सभी  नेटवर्कों पर किसानों को यह सुविधा मिल सके इसके लिए सरकार ने ट्राई के माध्यम से सभी प्राइवेट मोबाइल कंपनियों के साथ टाईअप किया गया था। ट्राई द्वारा तय किए गए निमयों के अनुसार मोबाइल कंपनियां इस सुविधा के बदले अपने उपभोक्ताओं से कॉल रेट के माध्यम से कुछ हिस्सा वसूल सकती हैं। शुरूआत में तो सभी नेटवर्क पर ये सुविधा ठीक-ठाक चली, लेकिन बाद में ट्राई के सुस्त रवैये के चलते सभी मोबाइल कंपनियों ने इस सुविधा पर पर्दा डालना शुरू कर दिया। इस प्रकार मोबाइल कंपनियों की लापरवाही के चलते यह सुविधा अब पूरी तरह से ठप हो चुकी है। किसी भी प्राइवेट मोबाइल कंपनी के नेटवर्क से हैल्प लाइन के टोल फ्री नंबर 1551 पर कॉल नहीं हो पा रही है। प्राइवेट मोबाइल कंपनियां खुलेआम ट्राई के नियमों की धज्जियां उड़ा रही हैं। लेकिन इन्हें रोकने वाला कोई नहीं है। इस प्रकार मोबाइल कंपनियों की लापरवाही के कारण यह योजना आगाज के साथ ही दम तोड़ गई।

उपभोक्ताओं को लग रहा है चूना

सरकार द्वारा योजना शुरू करने के बाद ट्राई द्वारा तय किए गए नियमों के अनुसार मोबाइल कंपनियां किसान हैल्प लाइन की निशुल्क सेवाएं देने के बदले उपभक्ताओं से कॉल रेट में कुछ हिस्सा वसूल सकती थी। जिसके बाद प्राइवेट मोबाइल कंपनियों ने कॉल रेट में इस सुविधा के शुल्क को भी शामिल कर अपने कॉल रेट निर्धारित किए थे। लेकिन फिलहाल मोबाइल कंपनियों द्वारा यह सुविधा बंद किए जाने के कारण मोबाइल कंपनियां सरकार के साथ-साथ उपभोक्ताओं को भी मोटा चूना लगा रही हैं।      

बंद नहीं होने दी जाएंगी टोल फ्री सेवाएं

प्राइवेट मोबाइल कंपनियां किसान हैल्प लाइन की सुविधा को बंद कर खुलेआम ट्राई के नियमों की धज्जियां उड़ा रही हैं। इससे किसानों को भी काफी परेशानी हो रही है और सरकार द्वारा इस योजना पर खर्च किए गए करोड़ों रुपए भी बर्बाद हो रहे हैं। संघ इस सुविधा को दोबारा शुरू करवाने के लिए प्रयासरत है। इसके लिए उन्होंने ट्राई को इसकी शिकायत की है। संघ किसी भी कीमत पर टोल फ्री सुविधाओं को बंद नहीं होने देगा।
हितेष ढांडा, संस्थापक
हरियाणा तकनीकी संघ

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