रविवार, 1 जुलाई 2012

कीट व किसानों के झगड़े को निपटाने के लिए पंचायत के प्रतिनिधियों ने किया मंथन

 सर्व खाप पंचायत की महिला विंग की प्रधान पंचायत में अपने विचार रखते हुए।
पंचायत प्रतिनिधियों को स्मृति चिह्न •ोंट करते कीट साक्षरता केंद्र के किसान।

नरेंद्र कुंडू
जींद। आप ने खाप पंचायतों को सामाजिक तानेबाने को बनाए रखने तथा आपसी भाईचारे को कामय रखने के लिए लोगों के बड़े-बड़े झगड़े निपटाते देखा होगा, लेकिन अब खाप पंचायतें पिछले 40-45 वर्षों से कीटों व किसानों के बीच चले आ रहे झगड़े को निपटाने में अपना सहयोग करेंगी। निडाना गांव के स्थित कीट साक्षरता केंद्र के कीट मित्र किसानों के आह्वान पर मंगलवार को निडाना गांव के जोगेंद्र मलिक के खेत पर एक पंचायत का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता दाड़न खाप के प्रधान देवा सिंह ने की तथा पंचायत के सही संचालन की जिम्मेदारी बराह कलां बाहरा के प्रधान कुलदीप सिंह ढांडा को सौंपी गई। पंचायत में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि कीटों व किसानों के इस झगड़े को निपटाने के लिए सप्ताह के हर मंगलवार को सर्व खाप पंचायत की ओर से एक पंचायत का आयोजन किया जाएगा। 18 बैठकों के बाद 19वीं बैठक में सर्व जातीय सर्व खाप महापंचायत बुलाकर इस मुद्दे पर अपना फैसला सुनाएंगे। कीट साक्षरता केंद्र के किसानों ने बैठक में पहुंचे खाप प्रतिनिधियों का हथजोड़े (प्रेइंगमेंटीस) कीट का स्मृति चिह्न देकर स्वागत किया।
सर्व जातीय सर्व खाप महापंचायत द्वारा आयोजित पंचायत में कीटों की तरफ से पक्ष रखते हुए कीट मित्र किसान रणबीर मलिक ने कहा कि आज किसानों द्वारा फसल में कीटनाशकों के अंधाधूंध प्रयोग के कारण दूध, पानी, सब्जी व अन्य खाद्य पदार्थों सहित सब कुछ जहरीला होता जा रहा है। मलिक ने कहा कि किसान ज्ञान के अभाव के कारण फसल में मौजूद कीटों को ही अपना दुश्मन समझते हैं, जबकि वास्तविकता इसके विपरित है। मलिक ने कहा कि फसल में शाकाहारी व मासाहारी दो प्रकार के कीट होते हैं। मलिक ने कहा कि 2001 में जब बीटी कपास में अमेरिकन सुंडी आई तो कोई भी कीटनाशक उस पर काबू नहीं पा सका। उन्होंने कहा कि खुद कृषि वैज्ञानिक यह मानते हैं कि कीटनाशकों के प्रयोग से सिर्फ सात प्रतिशत ही रिकवरी होती है । लेकिन अब वैज्ञानिकों द्वारा किए गए सोध से यह साबित हो चुका है कि कीटनाशकों के अधिक प्रयोग से हमारा खानपान तो जहरीला हुआ ही है साथ-साथ फसलों में 95 प्रतिशत नुकसान भी बढ़ा है। मलिक ने कहा कि वे खुद पिछले सात साल से देसी कपास की खेती कर रहे हैं और इन सात सालों के दौरान उन्होंने एक बार भी अपनी फसल में कीटनाशक का प्रयोग नहीं किया है। इगराह से आए मनबीर रेढू ने कहा कि वह पिछले 5 वर्षों से कीटनाशक रहित खेती कर रहा है और उसे हर बार अच्छा उत्पादन मिल रहा है। कीट साक्षरता केंद्र के संचालक डा. सुरेंद्र दलाल ने कहा कि कृषि वैज्ञानिकों के रिकार्ड के अनुसार इस धरती पर 14 लाख किस्म के कीट हैं। जिनमें तीन लाख 8 हजार शाकाहारी व साढ़े चार लाख किस्म के मासाहारी कीट हैं। इन कीटों के पालन के लिए तीन लाख 65 हजार किस्म के पौधे धरती पर मौजूद हैं। दलाल ने कहा कि एक फसल के सीजन के दौरान देश में 1800 करोड़ रुपए के कीटनाशकों की बिक्री होती है और अकेले हरियाणा प्रदेश में 100 से ज्यादा किसानों की मौत कीटनाशक के छीड़काव के दौरान हो रही है। किसानों का पक्ष सुनने के बाद सर्व खाप पंचायत के सभी प्रतिनिधि उनसे सहमत नजर आए और उन्होंने लगातार 18 पंचायतों का आयोजन करने की मांग पर सहमती जताई। इस अवसर पर पंचायत में बैठक में कंडेला खाप के प्रधान टेकराम कंडेला, दाड़न खाप उचाना के प्रधान देवा सिंह, बराह कलां बाहरा के प्रधान कुलदीप सिंह ढांडा, कुंडू खाप के प्रधान महावीर सिंह कुंडू, नरवाना खाप के प्रतिनिधि अमृतलाल चौपड़ा, ढुल खाप के प्रधान इंद्र सिंह ढुल, चहल खाप के संरक्षक दलीप सिंह चहल, नगर पालिक उचाना के प्रधान फूलू राम तथा सर्व जातीय सर्व खाप महापंचायत की महिला विंग की प्रधान प्रो. संतोष दहिया ने महापंचायत की तरफ से प्रतिनिधित्व किया।
कीट बई खाता किया जा रहा है तैयार
कीटों व किसानों के इस झगड़े में पंचायत सही न्याय कर सके इसके लिए कीट साक्षारता केंद्र के किसानों द्वारा पूरी योजना तैयार की गई है। पंचायत के समक्ष कीटों के पक्ष में सभी साक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए किसानों के 5 ग्रुप बनाए गए हैं। कीट प्रबंधन के मास्टर ट्रेनर को प्रत्येक ग्रुप का लीडर बनाया गया है। प्रत्येक ग्रुप 10-10 पौधों की गिनती करता है और एक पौधे पर मौजूद सभी पत्तों व उन पर मौजूद कीटों की पहचान कर उनका आंकड़ा तैयार करता है। सभी ग्रुपों द्वारा गिनती की जाने के बाद उनका अनुपात निकाला कर कीट बई खाते में दर्ज किया जाता है। मंगलवार को तैयार की गई रिपोर्ट में किसानों ने कपास की फसल में मौजूद रस चुसने वाली सफेद मक्खी 1.3 अनुपात, हरा तेला 0.5 व चूरड़ा 1.64 अनुपात तथा शाकाहारी कीटों में डाकू बुगड़ा 0.5 और मकड़ी 0.40 के अनुपात में मौजूद है। डा. दलाल ने कहा कि अभी ये कीट फसल को नुकसान पहुंचाने की स्थित में नहीं हैं।
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