...यहां टूट जाती हैं धर्म की सभी बेडिय़ां
मुस्लिम व हिंदू कारीगर लगभग 2 दशकों से एक साथ कर रहे हैं पुतले बनाने का काम
नरेंद्र कुंडू
जींद। दशहरे पर रावण दहन को लोग असत्य पर सत्य व बुराई पर अच्छाई की जीत मानते हैं लेकिन कहीं न कहीं यह त्यौहार ङ्क्षहदू-मुस्लिम भाईचारे का प्रतिक भी है। हिंदुओं के पर्व दशहरे पर दहन के लिए जो पुतले बनाए जा रहे हैं उन पुतलों का निर्माण करने वाले हाथ मुस्लिम कारीगरों के हैं। इतना ही नहीं यहां मुस्मिल कारीगरों के साथ-साथ हिंदू कारीगर भी पुतले निर्माण में इनका पूरा साथ दे रहे हैं। लगभग पिछले दो दशकों से ये कारीगर यहां के रामलीला क्लबों के लिए रावण, कुंभकर्ण व मेघनाद के पुतले तैयार कर रहे हैं।
हिंदू धर्म में दशहरे पर रावण दहन को लोग बुराई पर अच्छाई की जीत मानते हैं और इस पर्व को बड़ी धूमधाम से मनाते हैं क्योंकि इस दिन भगवान श्रीराम ने लंका में रावण को मार कर विजय प्राप्त की थी। लेकिन यहां पर दशहरा बुराई पर अच्छाई की जीत के साथ-साथ हिंदू-मुस्लिम भाईचारे का प्रतिक भी बना हुआ है। रामलीला क्लबों के लिए दशहरे पर दहन के लिए रावण, कुंभकर्ण व मेघनाद के पुतले बनाने वाले कारीगर मुस्लिम समुदाय के हैं और हिंदू समुदाय के कारीगर भी इनका सहयोग करते हैं। पुतलों के निर्माण के लिए जींद आए मुज्जफरनगर (यू.पी.) निवासी अनवर व चांदी ने बताया कि उन्होंने अपने पूर्वजों से यह कारीगिरी सीखी है। उनके दादा-परदादा भी इसी तरह पुतल बनाने का काम करते थे। वे पिछले करीब 2 दशकों से इसी काम से जुड़े हुए हैं। उनकी 12 सदस्यों की इस टीम में कुछ कारीगर हिंदू समुदाय के भी हैं लेकिन उनके दिल में इस दौरान कभी भी हिंदुओं के प्रति कोई दुर्भावना स्थान नहीं बना पाई है। वे सभी एक साथ मिलकर काम करते हैं। इस बार उन्होंने जींद के अलावा कैथल, पेहवा, खनौरी, पातड़ा,पेहवा में भी पुतलों का निर्माण किया है। जींद में उन्होंने 50 फीट का रावण तथा 45-45 फीट के कुंभकर्ण व मेघनाथ के पुतले तैयार किए हैं। इससे यह प्रतित होता है कि दशहरा बुराई पर अच्छाई की जीत के साथ-साथ हिंदू-मुस्लिम भाईचारे का भी प्रतिक है। इस प्रकार हिंदू व मुस्लिम समुदाय के कारीगरों के इस प्यार व भाईचारे को देखकर यह साफ हो रहा है कि धर्म की बेडिय़ां भी इन्हें जुदा नहीं कर पाई हैं। इंसानियत के रिश्ते के आगे धर्म की बेडिय़ां कच्चे धागे की तरह टूट कर बिखर गई हैं।
छोटू राम किसान कॉलेजे के सामने स्थित श्मशान घाट में पुतलों के निर्माण में लगे कारीगर। |
सावन में हरिद्वारा में करते हैं कावड़ बनाने का कार्य
अनवर ने बताया कि वे दशहरे के अलावा हिंदुओं के अन्य त्यौहारों में भी शरीक होते हैं। वे सावन माह में शिव भक्तों के लिए हरिद्वारा में कावड़ बनाने का कार्य करते हैं। इस दौरान भी हिंदू कारीगर उनके साथ काम करते हैं। अनवर ने बताया कि उन्हें हिंदू-मुस्मिल में कोई भेदभाव नजर नहीं आता बल्कि हिंदुओं के साथ उनके त्यौहारों में शरीक होकर वे अपना व अपने परिवार का गुजर-बसर करते हैं।
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