शनिवार, 17 नवंबर 2012

सबसिडी के बाद भी बाजार से कम रेट पर नहीं मिल रहा है गेहूं का बीज


सरकार द्वारा सबसिडी के नाम पर हरियाणा बीज विकास निगम को दिए जाते हैं करोड़ों रुपए

नरेंद्र कुंडू
जींद। सरकार द्वारा गेहूं के बीज पर सबसिडी दिए जाने के बावजूद भी किसानों को गेहूं का बीज बाजार से कम रेट पर नहीं मिल पा रहा है। हरियाणा बीज विकास निगम (एच.एस.डी.सी.) किसानों को जिस रेट पर बीज उपलब्ध करवा रहा है, उसी रेट पर किसानों को बाजार में गेहूं का बीज मिल रहा है। जबकि निगम द्वारा सबसिडी देकर किसानों को यह बीज बाजार से कम भाव पर मुहैया करवाना होता है। निगम द्वारा किसानों को दिए जा रहे सबसिडी व बिना सबसिडी के बीज के भाव लगभग एक समान हैं। इस प्रकार निगम सरकार से बीज पर सबसिडी लेने के बाद भी किसानों को बाजार से कम रेट पर बीज मुहैया नहीं करवा रही है। 
 निगम की वेबसाइट पर दर्शाया गया सबसिडी वाले बीज का रेट चार्ट।
सरकार द्वारा किसानों को आर्थिक रूप से सुदृढ़ करने के लिए किसानों को उन्नत किस्म की फसलों के लिए प्रेरित किया जा रहा है। किसानों को अच्छी किस्म के गेहूं का बीज उपलब्ध करवाने के लिए सरकार द्वारा वर्ष 2012-13 के लिए हरियाणा बीज विकास निगम के माध्यम से किसानों को सबसिडी पर गेहूं का बीज दिया जा रहा है। इसके लिए सरकार हरियाणा बीज विकास निगम को गेहूं के बीज पर प्रति क्विंटल पर 500 रुपए की सबसिडी दे रही है। सरकार से गेहूं के बीज पर अनुदान लेने के बाद निगम द्वारा किसानों को सबसिडी पर गेहूं का बीज उपलब्ध करवाना होता है लेकिन सरकार से अनुदान मिलने के बाद भी निगम किसानों को बाजार से कम रेट पर गेहूं का बीज उपलब्ध नहीं करवा पा रही है। निगम द्वारा सबसिडी वाले बीज का रेट 2550 रुपए प्रति क्विंटल रखा गया है। 500 रुपए की सबसिडी के बाद किसानों को यह बीज 2050 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से दिया जा रहा है। इस प्रकार निगम द्वारा किसानों को उन्नत किस्म के गेहूं का 40 किलो का बैग 820 रुपए में मुहैया करवाया जा रहा है। जबकि बाजार में भी किसानों को इसी भाव पर यह बीज मिल रहा है। इसके अलावा निगम द्वारा किसानों को बिना सबसिडी वाला गेहूं का बीज 2150 रुपए प्रति क्विंटल यानि 40 किलो का बैग 860 रुपए के भाव पर दिया जा रहा है। जबकि दोनों किस्मों के बीज निगम खुद ही तैयार करती है और दोनों ही किस्मों के बीज तैयार करने पर खर्च भी एक समान ही आता है। अब यहां सवाल यह उठ रहा है कि जब दोनों ही किस्मों के बीज निगम खुद तैयार करती है और दोनों के तैयार करने पर खर्च भी बराबर ही आता है तो इनके रेटों में इतना अंतर क्यों है? निगम के अधिकारियों के इस दोहरे रवैये के कारण सरकार की किसानों को उन्नत किस्मों की खेती के लिए प्रेरित करने की योजना को करारा झटका लग रहा है। सरकार द्वारा उन्नत किस्म के बीज पर सबसिडी के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी किसानों को सरकार की इस योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। 

गेहूं की इन किस्मों पर दी जा रही है सबसिडी  

पी.बी.डब्ल्यू. 502, 509, डब्ल्यू.एच. 711, डी.बी.डब्ल्यू. 17, पी.बी.डब्ल्यू. 550, डब्ल्यू.एच. 1021, डी.बी.डब्ल्यू. 621, एच.डी. 2851, 2894, पी.बी.डब्ल्यू. 590
बिना सबसिडी के बीज का रेट प्रति क्विंटल 2550 व 500 रुपए की सबसिडी के बाद 2050
बिना सबसिडी वाले बीज
डब्ल्यू.एच. 283, पी.बी.डब्ल्यू. 343, यू.पी. 2338, डब्ल्यू.एच. 542 
प्रति क्विंटल बीज का रेट 2150 रुपए 

ऊपर से होते हैं रेट तय 

सबसिडी व बिना सबसिडी वाले बीज के रेट विभाग के उच्च अधिकारियों द्वारा तय किए जाते हैं। बीज के रेट निर्धारित करते समय कृषि विभाग के उच्च अधिकारियों से भी विचार-विमर्श किया जाता है। बीज की क्वालिटी के आधार पर ही बीज के रेट तय किए जाते हैं। 
राजबीर धनखड़, रीजनल मैनेजर
हरियाणा बीज विकास निगम, हिसार


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