शुक्रवार, 9 नवंबर 2012

सावधान ! कहीं सेहत पर भारी न पड़ जाए पनीर व मावे का शौक

त्यौहारी सीजन पर बढ़ी दूध की मांग, सिंथेटिक दूध माफिया सक्रिय

गंदगी में तैयार हो रहा है पनीर, गिरोह के गिरेबान तक नहीं पहुंच रहे अधिकारियों के हाथ

नरेंद्र कुंडू
जींद। त्यौहारी सीजन शुरू होते ही दूध की मांग भी बढ़ गई है। दूध की बढ़ती मांग को देख सिंथेटिक दूध माफिया सक्रिय हो गए हैं। सिंथेटिक दूध माफिया कैमीकल की सहायता से ऐसा दूध तैयार कर रहे हैं, जिसकी पहचान आसान नहीं है। ऐसे में फूड सेफ्टी विभाग की टीम के हाथ भी इनके गिरेबान तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। इससे लोगों के स्वास्थ्य पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है।
त्यौहारों की वजह से अचानक बाजार में दूध, घी और मावा की डिमांड कई गुना बढ़ गई है। यही डिमांड मिलावट को जन्म देती है। लोगों की डिमांड को पूरा करने के लिए नकली दूध, घी और मावा बनाने वाले त्यौहारों के मौसम में हरकत में आ जाते हैं। नकली मिठाई और थेटिक दूध से गंभीर बीमारियां होने का खतरा बना रहता है। फिलहाल दीपावली पर्व को देखते हुए कारीगर दूध से बनने वाली वस्तुओं को बनाने में लगे हुए हैं, वहीं शादी समारोह का सीजन शुरू होने के कारण भी दूध की डिमांड को ओर बढ़ा दिया है। जिसके चलते दूध के उत्पादन व डिमांड में भारी अंतर हो गया है। ऐसे में दूध की बढ़ती डिमांड को पूरा करने के लिए जिले में सिंथेटिक दूध माफिया ने अपने पांव पसारने शुरू कर दिए हैं। त्यौहारों व शादी के सीजन के कारण इन दिनों पनीर और खोआ की डिमांड अधिक होने लगी है। ऐसे में इस कारोबर से जुड़े लोग लगातार लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रहे हैं। लेकिन फूड सेफ्टी विभाग की टीम के हाथ भी इन माफियाओं के गिरेबान तक नहीं पहुंच रहे हैं। हैरानी की बात तो यह है कि विभाग द्वारा भी सैंपल लेने के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है। इससे सिंथेटिक दूध माफियाओं के हौंसले ओर भी बुलंद हो रहे हैं। शहर में जहां पर मावा व पनीर तैयार किया जा रहा है वहां की स्थिति को देखा जाए तो पनीर को खाने के शौकिन लोगों का निवाला गले नहीं उतरेगा। जहां पनीर को बनाने में मिलावट की जा रही है, वहीं इसको असली पनीर का रूप देने के लिए तरह-तरह के रसायनों का प्रयोग किया जा रहा है। शहर में अमरहेड़ी रोड पर ही सबसे ज्यादा पनीर बनाने का काम किया जाता है। जहां पर एक दर्जन से अधिक पनीर बनाने की दुकानें चल रही हैं। पनीर के इस कारोबार से जुड़े लोगों का दावा है कि वह पूरी तरह से असली दूध से ही और शुद्ध पनीर का निर्माण कर रहे हैं। पनीर के लिए दूध अमरहेड़ी रोड पर चल रही पशु डायरियों से लिया जाता है, लेकिन अगर इन डायरियों की स्थिति देखी जाए तो इन डायरियों में घरों में दूध ले जाने वाले लोगों का ही पूरा दूध नहीं हो रहा है। ऐसे में इन पनीर के कारोबार से जुड़े लोगों के पास दूध कैसे पहुंच सकता है। इसलिए दूध का उत्पादन व डिमांड समान न होने के चलते इस पर शक की सूई घूम रही है।

गंदगी में तैयार किया जा रहा पनीर

शहर के अमरहेड़ी रोड पर चल रही पनीर बनाने की दुकानों के पास गंदगी का आलम है। कारीगरों द्वारा जिन बर्तनों में पनीर बनाया जा रहा है उनमें कई-कई दिनों की गंदगी जमी हुई। ऐसे में इन्हीं बर्तनों में हर रोज पनीर तैयार किया जा रहा है। ऐसे में इन बर्तनों में मक्खियां व मच्छर भिनभिनाने के साथ-साथ दुर्गंध उठी रहती है। ऐसे में दूध व पनीर की मिलावट के साथ-साथ गंदगी भी पनीर के माध्यम से लोगों को परोसी जा रही है। दूध के कारोबर से जुड़े एक व्यक्ति ने नाम ने छापने की शर्त पर बताया कि दीपावली पर्व व शादी समारोह का सीजन शुरू होने के साथ ही नकली दूध व पनीर के कारोबार ने गति पकड़ ली है। सिंथेटिक दूध में पोस्टर कलर, डेस्ट्रीजन पाउडर, रिफाइंड, मिल्क पाउडर, हाइड्रोजन पर ऑक्साइड, फार्मलीन का प्रयोग किया जाता है। इन वस्तुओं का प्रयोग करके लोग मिनटों में ही हजारों लीटर दूध तैयार कर देते हैं। जिसके बाद इसका प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा पनीर बनाने में रसानियक पदार्थों का प्रयोग किया जाता है। अगर कोई दुकानदार असली दूध से पनीर भी बनाता है तो उसमें रासानिक पदार्थ ज्यादा डाले जाते हैं, ताकि जल्द से जल्द पनीर तैयार हो सके।

सख्ती से निपटा जाएगा मिलावट खोरों से 

इस बारे में फूड इंस्पैक्टर एन.डी. शर्मा से बात की गई तो उन्होंने कहा कि खाद्य वस्तुओं में किसी भी प्रकार की मिलावट करना कानूनी जूर्म है। मिलावटखोरों पर नकेल डालने के लिए दुकानों पर  छापेमारी की जा रही है। मिठाइयों के अलावा दूध व पनीर के सैंपल लेकर जांच के लिए भेजे गए हैं। मिलावटखोरों से सख्ती से निपटा जाएगा।
फोटो कैप्शन
07जेएनडी 13, 14 व 15 : गंदगी में पनीर व मावा तैयार करते हुए कारीगर। (सुनील)

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