पिछले वर्ष हुई गलती से सबक ले रहा है कृषि विभाग


गेहूं की पछेती बिजाई के बाद भी अच्छे उत्पादन के लिए विशेष किस्मों पर दिया जा रहा है जोर

नरेंद्र कुंडू
जींद। पिछले वर्ष कपास की फसल की चुगाई का सीजन काफी लंबा चलने के कारण लेट हुई गेहूं की बिजाई से इस बार कृषि विभाग ने सबक लिया है। इस बार कृषि विभाग गेहूं की लेट बिजाई के बाद भी किसानों को अच्छी पैदावार दिलवाने के लिए विशेष किस्मों पर जोर दे रहा है। हालांकि कृषि विभाग गेहूं की बिजाई के अपने लक्ष्य से अभी भी दूर है। इसके अलावा विभाग द्वारा गेहूं की फसल को बीमारियों से बचाने के लिए किसानों को बीजोपचार के लिए भी प्रेरित किया जा रहा है। 

पिछले वर्ष कपास की फसल की चुगाई का सीजन दिसंबर माह के अंतिम सप्ताह तक चला था। कपास का सीजन लंबा चलने के कारण गेहूं की बिजाई का कार्य काफी लेट हो गया था। इसके चलते कृषि विभाग के अधिकारियों को गेहूं की बिजाई के अपने टारगेट तक पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ी थी। गेहूं की बिजाई लेट होने के कारण किसानों को भी पैदावार में काफी नुक्सान उठाना पड़ा था लेकिन इस बार कृषि विभाग ने अपनी पिछले वर्ष की गलती को सुधारने के लिए गेहूं की पछेती किस्मों की बिजाई पर जोर दिया है। इसके लिए विभाग द्वारा किसानों को गेहूं की इन स्पैशल किस्मों की बिजाई के लिए प्रेरित किया जा रहा है। इस बार विभाग के अधिकारियों द्वारा गेहूं की 343 किस्मों की बजाए एच.डी. 2851 व 2894 किस्मों की बिजाई के लिए प्रेरित किया जा रहा है। विभाग के अधिकारियों का मानना है कि गेहूं की इन किस्मों की बिजाई लेट करने के बाद भी ये अच्छी पैदावार देती हैं। विभाग द्वारा गेहूं की इन स्पैशल किस्मों की बिजाई के लिए किसानों को प्रेरित करने का मुख्य उद्देश्य किसानों को गेहूं की पछेती बिजाई के बावजूद भी अच्छी पैदावार दिलवाकर आॢथक रूप से समृद्ध करना है। 

बीज उपचार के लिए भी किया जा रहा है प्रेरित

कृषि विभाग द्वारा गेहूं की फसल को बीमारियों से बचाने के लिए इस बार किसानों को बीजोपचार के लिए भी प्रेरित किया जा रहा है। कृषि अधिकारियों का मानना है कि बीजोपचार के बाद गेहूं की बिजाई करने से फसल में करनल बंट व लूज समट जैसी बीमारियां आने की आशंका काफी कम हो जाती है। बीजोपचार की इस योजना को कारगर बनाने के लिए किसानों को बिजाई के लिए जो बीज दिया जा रहा है उसके साथ बीजोपचार के लिए दवाई के पाऊच दिए जा रहे हैं। इसके अलावा किसानों को पैदावार में बढ़ौतरी करने के लिए संतुलित खाद की सलाह भी दी जा रही है।

गेहूं की बिजाई के लिए  5 से 25 नवंबर तक है उपयुक्त समय 

कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा 25 अक्तूबर से 5 नवंबर तक गेहूं की बिजाई को अगेती तथा 5 नवंबर से 25 नवंबर तक के बीच के समय उपयुक्त माना गया है। इसके बाद 25 नवंबर से 15 दिसंबर तक की बिजाई के समय को विभाग के अधिकारी पछेती बिजाई मानते हैं। इसलिए इस बार विभाग द्वारा किसानों को 343 की बजाए एच.डी. 2851 व 2894 की बिजाई के लिए प्रेरित कर रहे हैं। कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यह बीज पछेती बिजाई होने पर भी अच्छी पैदावार देता है। 

1 लाख 5 हजार हैक्टेयर में हो चुकी है गेहूं की बिजाई

कृषि विभाग के अधिकारी सुनील ने बताया कि जींद जिले में रबी की फसलों की बिजाई का कुल क्षेत्र 2 लाख 40 हजार हैक्टेयर है। इसमें से अकेले 2 लाख 17 हजार हैक्टेयर में गेहूं की फसल की पैदावार होती है। बाकी बचे क्षेत्र में सरसों, हरे चारे व अन्य फसलों की पैदावार होती है। अभी तक विभाग द्वारा गेहूं के कुल रकबे में से 1 लाख 5 हजार हैक्टेयर के लगभग क्षेत्र में गेहूं की बिजाई तथा साढ़े 6 हजार हैक्टेयर में सरसों की बिजाई करवाई जा चुकी है। इस बार जिले में 343 की बजाए एच.डी. 2851 व 2894 की बिजाई ज्यादा हुई है। 

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