मंगलवार, 8 जनवरी 2013

विवाह-शदियों के सीजन में बढ़ी नोटों की कालाबाजारी


नोटों के कारोबार से जुड़े लोग सरेआम उड़ा रहे हैं आर.बी.आई. के नियमों की धज्जियां

नरेंद्र कुंडू
जींद। 
विवाह-शादियों के सीजन के चलते इन दिनों शहर में नए नोटों की कालाबाजारी जोरों पर है। नोटों के कारोबार से जुड़े लोग सरेआम भारतीय रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। इस कारोबार से जुड़े लोग नोटों की कालाबाजारी के साथ-साथ करंसी को भी खराब करने पर तुले हुए हैं। 
 स्टैपल करके बनाई गई नोटों की माला दुकानों के आगे लगी हुई।
विवाह-शदियों के दौरान नए नोटों की कालाबाजारी को रोकने तथा करंसी को खराब होने से बचाने के लिए आर.बी.आई. ने देश के सभी बैंकों को आदेश जारी किए हुए हैं कि नोटों को स्टैपल नहीं किया जा सकता और न ही नोटों पर किसी भी प्रकार का पदार्थ लगाया जा सकता है लेकिन नोटों के कारोबार से जुड़े लोग खुलेआम आर.बी.आई. के नियमों को ठेंगा दिखा रहे हैं। दुकानदार आर.बी.आई. के नियमों के विपरित जाकर नोट को स्टैपल करने से लेकर उसे धागे में पिरोकर माला बनाने का कार्य कर रहे हैं। जबकि आर.बी.आई. के कायदे कानूनों के अनुसार यह एक दंडनीय अपराध है। इससे न केवल नोट फट जाते हैं, बल्कि खराब भी हो जाते हैं। इसकेे बाद भी बिना किसी रोक टोक के नोटों का यह व्यापार जोरों से चल रहा है लेकिन इस कारोबार पर रोक लगाने वाले जिम्मेदार अधिकारी इस पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। वहीं इस कारोबर से जुड़े लोग मोटी कमाई कर रहे है और प्रत्येक नोटों की माला व नए नोटों पर 15 से 20 प्रतिशत ज्यादा राशि वसूल रहे हैं। दूसरी तरफ शादी-विवाह में दूल्हे के परिजन व रिश्तेदार भी दूल्हे के स्वागत में हजारों रुपए से बने नोटों की मालाओं का प्रयोग कर रहे हैं। इस प्रकार दुल्हे के नोटों की माला डालने की परंपरा आर.बी.आई. के नियमों पर भारी पड़ रही हैं। दूल्हे के स्वागत की इस परम्परा को पूरा करने के लिए जहां दूल्हे के परिजनों व रिश्तेदारों को अपनी जेब ढीली करनी पड़ रही है, वहीं शादी का सीजन पूरी चरम पर होने के कारण नोटों के कारोबारियों का धंधें ने भी गति पकड़ ली है। शादी के इस सीजन में नोटों का करोड़ों रुपए का कारोबार होना है, एेसे में नोटों की कालाबाजारी करने के कारण इस धंधे से जुड़े लोगों की जेब में लाखों रुपए चले जाएंगे। हालांकि बैंकों में स्टैपल होकर आने वाली नोटों की गड्डियों को लेने से बैंक कर्मचारी मना कर देते हैं और उनकी पिनों को निकालकर रबड् के छल्लों में डालकर लाने की हिदायत देते हंै। नोटों के स्टैपल के प्रति बैंकों द्वारा कड़ा रुख अपनाने के कारण नोटों की गड्डियां तो स्टैपल होनी बंद हो गई, लेकिन नोटों की माला बनाने के कारोबार से जुड़े लोग इन नियमों को पलीता लगाकर करंसी को बर्बाद करने पर तुले हुए हैं। शहर में नोटों की माला का कार्य सबसे ज्यादा पटियाला चौक व मेन बाजार में होता है। नोटों का यह कारोबार शहर में किसी से छुपा नहीं है, क्योंकि पिनों व धागों में पिरोई गई यह नोटों की मालाएं खुलेआम दुकानों के बाहर दुकान की शोभा बढ़ती रहती हैं लेकिन सरेआम हो रहे इस धंधे पर रोक लगाने के लिए जिम्मेदार बैंक अधिकारी सामने नहीं आ रहे है।  

नए नोटों के लेन-देन पर तय होता है कमीशन

नोटों की कालाबाजारी से जुड़े लोग पुराने नोटों के बदले नए नोट लेने पर भी मोटा कमीशन ऐठ रहे हैं। शहर में नए नोट लेने पर 100 रुपए पर 15 से 20 रुपए अतिरिक्त कमीशन लिए जा रहा है। वहीं शहर से दूर के कस्बों में यह कमीशन बढ़कर 25-30 प्रतिशत हो जाता है। ऐसे में दूल्हे व दुल्हन को माला पहनाना लोगों को महंगा पड़ रहा है। इसके अलावा नोटों की बड़ी माला को 10 रुपए की नोटों से बनाया जाता है तो उस पर कमीशन ओर भी ज्यादा बढ़ जाता है। नोटों के ये कारोबारी बैंक अधिकारियों व कर्मचारियों से सांठ-गांठ करके नए नोट ले लेते हैं और उन्हें भी कमीशन के तौर पर कुछ प्रतिशत दे दिया जाता है। इसके अलावा नोटों से बनी मालाओं के धंधे में नोटों की खरीद-फरोख्त का काम भी सरेआम होता है। जो आर.बी.आई. के नियम कानूनों के खिलाफ  है। नोटों को किसी भी तरह से स्टैपल करने व उन्हें धागे में पिरोने पर रोक है। ऐसा करने से नोट फट जाते हैं। इसे करंसी खराब हो जाती है। इसके अलावा आर.बी.आई. के नियमों के अनुसार नोट को फाडऩा व हवा में लहराना अपराध की श्रेणी में आता है। 
निर्धारित किया हुआ कमीशन

माला मूल्य 

100 115
500 550
1000 1100
5000 5500



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