मंगलवार, 8 जनवरी 2013

सबसिडी के नाम पर लुट रहे किसान


सबसिडी के बाद भी बाजार से महंगे भाव पर मिल रहा है बीज

नरेंद्र कुंडू
जींद। उद्यान विभाग द्वारा सबसिडी के नाम पर प्रदेश के किसानों के साथ जमकर लूट की गई है। एक तरफ तो उद्यान विभाग किसानों को मसालेदार खेती के प्रति प्रेरित करने के  लिए सबसिडी पर लहसुन का बीज मुहैया करवाने का ङ्क्षढढोरा पीट रहा है लेकिन दूसरी तरफ विभाग द्वारा किसानों को सबसिडी देने के बाद भी बाजार से महंगे भावों पर लहसुन का बीज दिया गया है। विभाग द्वारा किसानों को बाजार से 400 से 500 रुपए प्रति ङ्क्षक्वटल महंगे भाव पर बीज दिया गया है। इस प्रकार विभागीय अधिकारियों ने इस दोहरी नीति के कारण प्रदेश के किसानों की जेब पर जमकर डाका डाला है।   
 उद्यान विभाग कार्यालय में रखा बचा हुआ लहसून का बीज। 
उद्यान विभाग ने प्रदेश के किसानों को आर्थिक रूप से सुदृढ़ करने के लिए परम्परागत खेती के अलावा मसालेदार खेती के प्रति आकॢषत करने के लिए 50 प्रतिशत सबसिडी पर लहसुन का बीज मुहैया करवाने की योजना तैयार की थी। विभाग ने अपनी इस योजना के तहत प्रदेश के किसानों के लिए लगभग 5 हजार ङ्क्षक्वटल लहसुन का बीज खरीदकर सभी जिलों के उद्यान अधिकारियों के पास भेजा था। योजना के तहत विभाग के अधिकारियों द्वारा किसानों से बीज की पूरी कीमत लेकर लहसुन का बीज दिया गया था तथा बिजाई के बाद ही किसानों को सबसिडी दी जानी थी। लेकिन विभाग द्वारा किसानों को जिस कीमत पर बीज दिया गया वह कीमत बाजार से काफी ज्यादा थी। विभाग द्वारा किसानों को 50 प्रतिशत सबसिडी देने के बाद 1450 रुपए प्रति ङ्क्षक्वटल के रेट पर किसानों को बीज मुहैया करवाया गया। जबकि बाजार में किसानों को यह बीज बिना सबसिडी के भी 900 से 1000 रुपए प्रति ङ्क्षक्वटल के भाव पर मिल रहा था। इस प्रकार विभाग द्वारा सबसिडी के नाम पर किसानों के साथ जमकर लूट की गई। विभाग ने किसानों से 400 से 500 रुपए पर ङ्क्षक्वटल ज्यादा रुपए वसूले। विभागीय अधिकारियों की इस दोहरी प्रणाली के कारण विभाग की यह योजना किसानों के गले की फांस बन गई और किसानों को मसालेदार फसलों की खेती की तरफ नहीं खींच पाई है। 

पहले मुफ्त दिया जाता था बीज

उद्यान विभाग द्वारा लगभग 2 साल पहले किसानों को मुफ्त में बीज मुहैया करवाया जाता था। किसान द्वारा जितने एकड़ में लहसुन की बिजाई की जाती विभाग उसका आधा बीज किसान को मुफ्त में देता था लेकिन ज्यादातर किसान विभाग से मुफ्त में बीज लेकर उसे बाजार में बेच देते थे। इस प्रकार विभाग किसानों को मुफ्त बीज देने के बावजूद भी अपना टारगेट पूरा नहीं कर पाता था। बाद में विभाग ने अपनी नीति में बदलाव कर किसानों को 50 प्रतिशत सबसिडी पर बीज देना शुरू कर दिया। अब विभाग द्वारा किसानों से पूरे बीज के पैसे लेकर फसल की बिजाई के बाद आधे पैसे चैक के माध्यम से वापिस कर दिए जाते हैं।

बाजार में सस्ता मिला किसानों को बीज 

उद्यान विभाग से सबसिडी के बाद जहां किसानों को एक ङ्क्षक्वटल बीज 1450 रुपए में मिल रहा है, वहीं यह बीज किसानों को बाजार में सस्ते दामों पर मिल रहा है। विभाग द्वारा जहां किसानों को 1450 रुपए प्रति ङ्क्षक्वटल के भाव पर बीज दिया जा रहा है, वहीं किसानों को यह बीज बाजार में 900 से 1000 रुपए प्रति ङ्क्षक्वटल मिल रहा है। लहसुन के बीज में विभाग व बाजार के भावों में भारी अंतर के कारण किसानों ने उद्यान विभाग के कार्यालय से बीज खरीदने की बजाए बाहर से ही बीज लेना बेहतर समझा। 

अच्छी क्वालिटी के बीज करवाया जाता है मुहैया

फसल व बीज के भावों के भाव ऊपर-नीचे होते रहते हैं। विभाग द्वारा एन.एच.आर.डी.एफ. से अच्छी क्वालिटी का बीज खरीद कर किसानों को दिया जाता है। जिस वक्त विभाग ने एन.एच.आर.डी.एफ. के साथ बीज खरीद के रेट तय किए थे उस वक्त बाजार में भी लहसुन के रेट हाई थे। विभाग द्वारा किसानों को 14.50 रुपए प्रति किलो के रेट पर बीज खरीदने पर भी यह बाजार से सस्ता पड़ता है क्योंकि विभाग 50 प्रतिशत सबसिडी के अलावा किसानों को फसल की बिजाई के लिए प्रति एकड़ पर 2125 रुपए की राशि भी दे रहा है।  
डा. बलजीत भ्याण
जिला उद्यान अधिकारी, जींद

जिला टारगेट

अम्बाला 250 क्विटल
भिवानी 800 क्विटल
फतेहाबाद 175 क्विटल
गुडग़ांव 100 क्विटल
हिसार 400 क्विटल
झज्जर 150 क्विटल
जींद 200 क्विटल
करनाल 750 क्विटल
कुरुक्षेत्र 110 क्विटल
मेवात 150 क्विटल
नारनौल 150 क्विटल
पलवल 60 क्विटल
पंचकूला 150 क्विटल
पानीपत 60 क्विटल
सिरसा 305 क्विटल
सोनीपत 150 क्विटल
यमुनानगर 1000 क्विटल
कुल 4960 क्विटल



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