सोमवार, 28 जनवरी 2013

सुविधाओं के अभाव में बिगड़ रही कलाकारों के कैरियर की लय

सोनू निगम ने जींद की धरती से ही शुरू किया था कैरियर का पहला पड़ाव

नरेंद्र कुंडू
जींद। जींद जिला विकास के क्षेत्र में ही नहीं बल्कि संगीत के क्षेत्र में भी पिछड़ चुका है। जिले में संगीत के उभरते कलाकारों को अच्छा प्लेटफार्म नहीं मिलने के कारण कलाकारों के कैरियर की लय बिगड़ रही है। बिना सुर-ताल के जिले के कलाकारों का जीवन रूपी राग बेसुरा हो रहा है। हालांकि संगीत की दुनिया में जींद जिले का विशेष महत्व है और जिले के कई गांवों के नाम संगीत के रागों व तालों के नाम पर ही रखे गए हैं। इसके अलावा संगीत के आसमान पर सोनू निगम जैसे चमकते सितारे ने भी अपने कैरियर का पहला पड़ाव जींद की धरती से ही शुरू किया था। जींद के इतिहास में संगीत रचा-बसा हुआ है लेकिन सुविधाओं के अभाव के कारण संगीत के कई उभरते सितारे टूट कर बिखर चुके हैं। 

निगम ने जींद की धरती से ही शुरू किया था जीवन का पहला पड़ाव। 

लगभग 4 दशक पहले जींद के रॉयल क्लब द्वारा लोगों के मनोरंजन के लिए हर वर्ष जींद में एक बड़े कार्यक्रम का आयोजन किया जाता था। इस कार्यक्रम में हर वर्ष देश के बड़े-बड़े कलाकारों को आमंत्रित किया जाता था। सोनू निगम के पिता अगम कुमार निगम उस वक्त रंगरंगीला नामक पार्टी चलाते थे और हर वर्ष वो भी जींद के कार्यक्रमों में अपनी प्रस्तुती देने आते थे। इसी बीच 1976 में अगम कुमार निगम के साथ उनका बेटा सोनू निगम भी जींद आया था। सोनू निगम ने 1976 में आयोजित एक कार्यक्रम में ही 'क्या हुआ तेरा वादा' गीत गाकर अपने कैरियर का पहला पड़ाव शुरू किया था। जिस वक्त सोनू निगम ने जींद में अपनी पहली परफोरमैंश दी थी उस वक्त सोनू निगम की उम्र लगभग 4 वर्ष थी। 

संगम कला ग्रुप जगा रहा है उम्मीद की किरण

भले ही जिले में कलाकारों के लिए संगीत की दुनिया में उतरने के लिए कोई प्लेटफार्म नहीं हो लेकिन ऐसे में जिले के उभरते कलाकारों के लिए संगम कला ग्रुप उम्मीद की किरण जगाए हुए है। वर्ष 2005 से संगम कला ग्रुप द्वारा मां सरस्वती की अराधना के इच्छुक असमर्थ व गरीब बच्चों को निशुल्क संगीत की शिक्षा दिलवाकर उन्हें परफोरमैंश के लिए बड़े-बड़े कार्यक्रमों तक पहुंचाने के लिए एक अच्छा प्लेटफार्म दे रहा है। संगम कला ग्रुप द्वारा हर वर्ष जिला स्तर पर कार्यक्रम का आयोजन कर सुरों के बादशाहों का चयन कर उन्हें परफोरमैंशन के लिए राज्य से बाहर भी कार्यक्रमों में भेजा जाता है। 
सुविधाओं के अभाव में टूट रहे हैं संगीत के तारे
संगम कला ग्रुप के कोर्डिनेटर विनय अरोड़ा ने बताया कि उन्हें भी बचपन से संगीत का शौक था। विनय ने बताया कि वे सुविधाओं के अभाव के बावजूद भी अपने बलबूते पर 'सारे गामा' व 'इंडियन आइडल' जैसे कार्यक्रमों में अपनी प्रस्तुती दे चुके हैं लेकिन समय के अनुसार उन्हें अच्छी सुविधा व सही प्लेटफार्म नहीं मिलने के कारण उनकी प्रतिभा ने बीच रास्ते में ही दम तोड़ दिया। विनय ने बताया कि  अब वे संगम कला ग्रुप के साथ जुड़कर दूसरे बच्चों को संगीत की दुनिया में आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं। ताकि सुविधाओं के अभाव में उनकी तरह संगीत की दुनिया का कोई ओर तारा नहीं टूटे। प्रधान नरेश शर्मा ने बताया कि गांव पोकरी खेड़ी निवासी अमित ढुल व शहर की टपरीवास कालोनी निवासी खन्ना भी आज आर्थिक कमजोरी व सुविधाओं के अभाव के कारण अच्छा मुकाम हासिल नहीं कर पाए हैं। फिलहान उनके ग्रुप द्वारा शहर के रूद्र शर्मा व जय रोहिल्ला को भी संगीत की दुनिया के लिए तरासने का काम किया जा रहा है। शर्मा ने कहा कि सरकार को चाहिए कि जिले में भी संगीत सिखाने के लिए अच्छे इंस्टीच्यूट की व्यवस्था करे तथा आर्थिक कमजोरी के कारण पिछड़ रहे कलाकारों की फाइनैंस मदद कर उन्हें आगे बढऩे के लिए अवसर मुहैया करवाए। 

जींद के इतिहास में संगीत रचा-बसा हुआ है।

जींद के इतिहास में संगीत किस तरह से रचा-बसा हुआ है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जिले के कई गांवों के नाम संगीत के राग व तालों के नाम पर रखे हुए हैं। गांव का नाम राग का नाम
पिल्लूखेड़ा पिल्लू 
जैजवंती जैजवंती 
श्रीराग खेड़ा राग
भैरोखेड़ा भैरवी 
कलावती कलावती
नोट इसके अलावा भी कई गांवों के नाम संगीत के तालों के नाम पर भी रखे गए हैं। 
जींद में आयोजित कार्यक्रम में अपने पिता अगम कुमार निगम के साथ सोनू निगम का फाइल फोटो। 


 जी.टी.वी. के सैट पर प्रस्तुति देती जींद की कलाकार का फाइल फोटो।

सारे गामा कार्यक्रम में सोनू निगम के साथ मौजूद जींद के विनय अरोड़ा व उनके साथी का फाइल फोटो। 




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