सोमवार, 28 जनवरी 2013

यहां कर्मचारी नहीं खुद तलाशने होते हैं जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र


6-6 कर्मचारियों की तैनाती के बावजूद यहां सब कुछ राम भरोसे

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी यहां की बदइंतजामियों पर रोक लगाने में नाकाम

नरेंद्र कुंडू
जींद। यहां कर्मचारी नहीं खुद उन लोगों को अपनों के जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र तलाशने होते हैं, जिन्होंने इनके लिए आवेदन किया होता है। यहां 6-6 कर्मचारियों की नियुक्ति के बावजूद सब कुछ राम भरोसे है। कोई किसी का जन्म-मृत्यु प्रमाण  पत्र ले जाए तो यहां के कर्मचारियों की बला से। उन्हें इससे कोई सरोकार नहीं है। 
यह कड़वी और चौंकाने वाली सच्चाई है जींद के सामान्य अस्पताल की जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने वाली उस  ङ्क्षवग की, जो सिविल सर्जन से लेकर स्वास्थ्य विभाग के दूसरे अधिकारियों की नाक हर मौके पर कटवाने का काम करती रही है। वीरवार को 'पंजाब केसरी' की टीम ने यहां का मुआयना किया तो यहां इसी तरह का नजारा था जब यहां का बेहद अहम रिकार्ड कार्यालय से बाहर बरामदे में पटक दिया गया था। इस रिकार्ड से लोग अपनों के जन्म और मृत्यु के प्रमाण पत्र खंगालने और तलाशने में लगे हुए थे। यहां प्रमाण पत्र लेने के लिए आए लोगों को कर्मचारियों का काम खुद ही करना पड़ रहा था। लोगों के सामने फाइलों का ढेर लगा हुआ था और लोग उन फाइलों से खुद ही अपने प्रमाण पत्र ढुंढ़ रहे थे। 'पंजाब केसरी' की टीम ने जब इन लोगों से बातचीत की तो इन लोगों ने टीम के सामने अपना दुखड़ा रोते हुए अपनी परेशानी ब्यां की।
गांव गांगोली निवासी महाबीर ने बताया कि उसने अपने बेटे का जन्म प्रमण पत्र लेने के लिए उसने 3 नवंबर को फार्म भरकर जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र कार्यालय में जमा करवा था। वह पिछले एक माह से कार्यालय के चक्कर काट रहा है लेकिन कार्यालय में मौजूद कर्मचारी उसे प्रमाण पत्र देने की बजाए एक-दो दिन में दोबारा आने की बात कह कर टरका देते हैं। यहां उसकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। महाबीर ने बताया कि आज जब वह कार्यालय में जन्म प्रमाण पत्र लेने के लिए पहुंचा तो कार्यालय के कर्मचारियों ने कई फाइल उसके हाथ में थमाते हुए कह दिया कि बाहर बैठकर इन फाइलों में से अपना प्रमाण पत्र खुद ढुंढ़ लो, लेकिन इन फाइलों में भी जब उसे उसके बेटे का जन्म प्रमाण पत्र नहीं मिला तो कर्मचारियों ने उसे दो-चार दिन में दोबारा आने की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ दिया। एक माह बाद भी उसे जन्म प्रमाण पत्र नहीं मिल पाया है। कार्यालय में कार्यरत कर्मचारियों का रवैया ठीक नहीं है।
नारायणगढ़ निवासी अजय तथा इस्माइलपुर निवासी मोहन लाल ने बताया कि उन्हें पासपोर्ट बनवाना है। पासपोर्ट बनवाने के लिए उन्हें अपने जन्म प्रमाण पत्र की जरूरत है। अजय तथा मोहन लाल ने बताया कि उन्होंने लगभग 3 माह पहले जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र कार्यालय में जन्म प्रमाण पत्र लेने के लिए फार्म जमा करवाया था। फार्म जमा करवाने के बाद कार्यालय के कर्मचारियों ने उन्हें एक माह का समय दिया था। अब वह पिछले 2 माह से अपना प्रमाण पत्र लेने के लिए कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं लेकिन अभी तक उन्हें उनका जन्म प्रमाण पत्र नहीं मिल पाया है। उन्हें हर बार या तो यह कहकर टाल दिया जाता है कि अभी उनका प्रमाण पत्र तैयार नहीं हुआ है, या फिर उनके हाथों में फाइल थमा कर इन फाइलों में से अपना प्रमाण पत्र ढुंढऩे के लिए कह देते हैं। उन्होंने बताया कि कार्यालय के कर्मचारियों की लापरवाही से उनका पासपोर्ट का काम नहीं हो पा रहा है। 
गांव डूमराखां निवासी प्रदीप ने बताया कि वह डेढ़ माह से जन्म प्रमाण पत्र के लिए कार्यालय के चक्कर काट रहा है लेकिन अभी तक उसे जन्म प्रमाण पत्र नहीं मिला है। कार्यालय में कार्यरत कर्मचारी उसे फाइलों में से स्वयं अपना जन्म प्रमाण पत्र ढुंढऩे की बात कह देते हैं लेकिन कार्यालय में फाइलों का ढेर लगा हुआ है। इनती फाइलों में से वह किस तरह से अपना प्रमाण पत्र ढुंढ़े उसे कुछ समझ नहीं आ रहा है। गांव बराहा खुर्द निवासी दरवेश ने कहा कि उसे दाखिले के लिए जन्म प्रमाण पत्र की जरूरत है लेकिन वह पिछले 3 माह से जन्म-प्रमाण पत्र कार्यालय के चक्कर काट रहा है उसे अभी तक न तो जन्म प्रमाण पत्र मिला है और ना ही कर्मचारी कोई संतुष्ट जवाब दे रहे हैं। कर्मचारियों की लापरवाही से उसका दाखिले का काम रूका हुआ है। 

बेटे के जन्म पत्र में नाम ठीक करवाने के लिए 23 जुलाई 2012 को यहां फाइल जमा करवाई थी। फाइल जमा करवाए उसे 5 माह हो चुके हैं लेकिन अभी तक उसका काम नहीं हुआ है। 5 माह से वह बेटे का नाम ठीक करवाने के लिए कार्यालय के चक्कर काट रहा है लेकिन नाम ठीक करना तो दूर की बात यहां मौजूद कर्मचारी उसे उसकी फाइल की स्थिति के बारे में ही जानकारी नहीं दे रहे हैं। 
बूरा राम का फोटो।
बूराराम
गांव रेवर


जन्म प्रमाण पत्र में नाम ठीक करवाने के लिए 4 अक्तूबर को फाइल जमा करवाई थी लेकिन अभी तक जन्म प्रमाण पत्र में नाम ठीक नहीं किया है। वह कार्यालय के चक्कर लगा-लगाकर थक गया है लेकिन कार्यालय में मौजूद कर्मचारी कब तक उसका काम कर देंगे इसके बारे में कुछ बताने को तैयार नहीं हैं। 
कृष्ण
गांव शामदो
कृष्ण कुमार का फोटो।

जन्म प्रमाण पत्र लेने के लिए 19 अक्तूबर को जींद कार्यालय में फाइल जमा करवाई थी। वह पिछले 2 माह से जन्म प्रमाण पत्र लेने के लिए कार्यालय के चक्कर काट रहा है लेकिन अभी तक उसे जन्म प्रमाण पत्र नहीं मिल पाया है। आज जब वह जन्म प्रमाण पत्र लेने के लिए यहां कार्यालय में पहुंचा तो उसे यह बताया गया कि अब उसे जन्म प्रमाण पत्र जींद की बजाए कैथल से मिलेगा। उसे यह बात समझ नहीं आ रही है कि जब उसका गांव जींद जिले में पड़ता है तो उसे जन्म प्रमाण पत्र के लिए कैथल क्यों भेजा जा रहा है।
 आत्माराम पेगां का फोटो।
आत्मा राम 
गांव पेगां


जन्म प्रमाण पत्र लेने के लिए 3 माह पहले कार्यालय में फार्म जमा करवाया था लेकिन अभी तक जन्म प्रमाण पत्र नहीं मिला है। आज जब वह प्रमाण पत्र लेने के लिए यहां कार्यालय में पहुंचा तो कार्यालय में कार्यरत कर्मचारियों ने उसे खुद ही फाइलों से अपना जन्म प्रमाण पत्र ढुंढऩे के लिए कह कर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया। 
सुरेंद्र, नरवाना 
सुरेंद्र का फोटो।

बुधवार को नहीं मिलते प्रमाण पत्र

अस्पताल प्रशासन की लापरवाही के चलते जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र कार्यालय में कार्यरत कर्मचारियों के हौंसले इतने बुलंद हैं कि इन्होंने अपनी मनमर्जी के मुताबित नियम तय कर रखे हैं। कर्मचारियों ने कार्यालय के बाहर पोस्टर चस्पा कर लिखा हुआ है कि यहां बुधवार के दिन जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र लेने-देने का कार्य नहीं होगा। यहां सवाल यह उठता है कि आखिरी बुधवार को जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र लेने देने का कार्य क्यों बंद रखा जाता है। 

सिविल सर्जन के पास नहीं कुछ जवाब

इस बारे में जब सिविल सर्जन डा. राजेंद्र प्रसाद से बातचीत की गई तो उनके पास कोई ठोस जबाव नहीं था। डा. राजेंद्र प्रसाद ने बताया कि आज जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र कार्यालय के इंचार्ज छुट्टी पर हैं। छुट्टी से लोटने के बाद ही इस बारे में उनसे बातचीत की जाएगी।  









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