सोमवार, 28 जनवरी 2013

सरकार के चहेतों ने बिगाड़ी जाट आंदोलन की चाल


मुख्यमंत्री पर लगाए खाप प्रतिनिधियों की लाबिंग के आरोप

नरेंद्र कुंडू
जींद। अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के प्रदेशाध्यक्ष धर्मपाल छोत ने कहा कि सरकार के चहेतों ने जाट आंदोलन की चाल बिगाड़ी है। प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा ने खाप के कुछ प्रतिनिधियों को अपना प्यादा बनाकर पहले से ही आंदोलन के इस चक्रव्यहू को तोडऩे की पूरी प्लाङ्क्षनग तय कर रखी थी। छोत ने हुड्डा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ने 13 सितम्बर को नरवाना के दनौदा गांव के ऐतिहासिक चबूतरे पर हुए सर्व जाट खाप की पंचायत के बाद से ही खाप प्रतिनिधियों की लाबिंग करनी शुरू कर दी थी। ताकि समय आने पर आंदोलन को बीच में ही बाधित करवाया जा सके। छोत ने सर्व जाट खाप के प्रधान नफे ङ्क्षसह नैन व समिति के पूर्व जरनल सैक्रेटरी कुलदीप ढांडा पर आरोप लगाते हुए कहा कि आंदोलन की बागडोर ऐसे नेताओं को हाथों में सौपी गई थी जो मुख्यमंत्री के काफी करीबी थे। उन्हें तो पहले ही इन पर विश्वास नहीं था। छोत ने पंजाब केसरी से विशेष बातचीत में कहा कि खाप प्रतिनिधियों ने अपने निजी स्वार्थों व मुख्यमंत्री के दरबार में अपने नंबर बनाने की फेर में यह फैसला लिया है। उन्होंने कहा कि खाप प्रतिनिधियों ने अपनी कौम के साथ गद्दारी की है। अगर उन्होंने मुख्यमंत्री के साथ हुई बैठक में इतना अच्छा फैसला लिया था तो उन्हें जत्थों में शामिल लोगों के बीच जाकर अपना फैसला सुनाना चाहिए था। मुख्यमंत्री के साथ बैठक के लिए 21 सदस्यों की कमेटी का गठन किया गया था लेकिन बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने पहले से ही अपने लोगों को वहां शामिल किया हुआ था। बैठक में ऐसे लोग मौजूद थे जिनका आंदोलन से कोई लेना-देना ही नहीं था। छोत ने कहा कि वे अपनी कौम के लोगों का विश्वास नहीं टूटने देंगे। इसके लिए चाहे उन्हें दोबारा से आंदोलन क्यों ना शुरू करना पड़े। आगामी कार्रवाई की रूपरेखा तैयार करने के लिए आगामी 30 दिसम्बर को जींद की जाट धर्मशाला में अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति की राज्य स्तरीय बैठक बुलाई जाएगी। बैठक में सभी प्रतिनिधियों से विचार-विमर्श करने के बाद ही अगला फैसला लिया जाएगा। छोत ने कहा कि आरक्षण की अलगी लड़ाई में खापों को आंदोलन से दूर रखा जाएगा और यह लड़ाई हरियाणा की धरती पर ही लड़ी जाएगी। उन्होंने कहा कि अब उनका विश्वास खापों से उठ चुका है, क्योंकि कुछेक समाज के ठेकेदारों ने उनको गुमराह कर उनका फायदा उठाया है। उन्होंने कहा कि उनका मुख्य उद्देश्य गुरूनाम ङ्क्षसह आयोग की रिपोर्ट के अनुसार जाटों को प्रदेश व केंद्र में दोबारा से आरक्षण दिलवाना है। भविष्य में अगर आंदोलन हुआ तो वह अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के बैनर तले ही होगा। 
उधर सर्व जाट खाप आरक्षण समिति के प्रधान नफे ङ्क्षसह नैन ने सभी आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि उन्होंने 21 सदस्यीय कमेटी के सदस्यों की सहमती के बाद ही यह फैसला लिया है। जिस वक्त फैसला हुआ उस वक्त धर्मपाल छोत भी वहीं मौजूद थे लेकिन उस वक्त उन्होंने इस फैसले से इंकार क्यों नहीं किया। नैन ने कहा कि कमेटी में सभी पाॢटयों के लोग शामिल थे और उन्होंने बैठक में हुए फैसले के बाद सभी जत्थों को फोन के माध्यम से सूचना दे कर वापिस लौटने का निर्णय किया था। 
धर्मपाल छोत का फोटो।



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