स्मार्ट कार्ड के नाम पर हो रही लूट
फार्म भरने की एवज में डिपो होल्डर उपभोक्ताओं से वसूल रहे हैं फीस
नरेंद्र कुंडू
जींद। डिपो होल्डरों द्वारा स्मार्ट कार्ड बनाने के नाम पर लोगों के साथ जमकर लूट की जा रही है। डिपो होल्डर उपभोक्ता से फार्म भरने की एवज में पैसे वसूल रहे हैं लेकिन उपभोक्ताओं को खाद्य एवं आपूर्ति विभाग की स्मार्ट कार्ड की योजना की पूरी प्रक्रिया के बारे में जानकारी नहीं होने के चलते उपभोक्ता चुपचाप डिपो होल्डर की जालसाजी का शिकार हो रहे हैं। हालांकि खाद्य एवं आपूॢत विभाग द्वारा स्मार्ट कार्ड बनाने का कार्य प्राइवेट कंपनी को ठेके पर दिया हुआ है और स्मार्ट कार्ड के लिए फार्म भरने की जिम्मेदारी भी खाद्य एवं आपूर्ति विभाग तथा संबंधित कंपनी की ही है। डिपो होल्डर के पास फार्म भरने की आथोरिटी नहीं है लेकिन खाद्य एवं आपूॢत विभाग द्वारा स्मार्ट कार्ड के इस कार्य में केवल मदद के तौर पर डिपो होल्डर को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है और डिपो होल्डर विभाग की मदद करने की आड में लोगों की जेबें तरास रहे हैं। जबकि विभाग द्वारा स्मार्ट कार्ड के लिए फार्म भरने की कोई फीस ही निर्धारित नहीं की गई है। विभाग द्वारा उपभोक्ताओं के फार्म निशुल्क भरवाए जाने हैं।
खाद्य एवं आपूर्ति विभाग द्वारा राशन वितरण प्रणाली में पारदर्शिता लाने तथा डिपो होल्डरों पर नकेल कसने के लिए राशन वितरण के पूरे कार्य को कम्प्यूटरिकृत करने की योजना तैयार की गई है। इस योजना के तहत सभी राशन कार्ड धारकों के स्मार्ट कार्ड बनाए जाने हैं। खाद्य एवं आपूर्ति विभाग द्वारा स्मार्ट कार्ड बनाने का कार्य मुम्बई की वकरांगी साफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को ठेके पर दिया गया है। विभाग द्वारा स्मार्ट कार्ड बनाने के लिए राशनकार्ड धारकों से फार्म भरवाए जा रहे हैं। खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के अधिकारियों द्वारा फार्म भरने के झंझट से पिंड छुटवाने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में फार्म भरवाने का कार्य डिपो होल्डरों को सौंप दिया गया है। जबकि स्मार्ट कार्ड के लिए फार्म भरने की जिम्मेदारी खुद विभाग के अधिकारियों व सम्बंधित कंपनी के कर्मचारियों की है। इस प्रकार विभाग की मदद की आड में डिपो होल्डर खुलेआम उपभोक्ताओं की जेबों पर कैंची चला रहे हैं। उपभोक्ताओं के फार्म भरने के लिए डिपो होल्डरों ने अपनी मनमर्जी के मुताबिक फीस निर्धारित की हुई है। हालांकि विभाग द्वारा स्मार्ट कार्ड के लिए फार्म भरकर जमा करवाने तक की पूरी प्रक्रिया निशुल्क है लेकिन लोगों को विभाग की पूरी पॉलिसी की जानकारी नहीं होने के कारण उपभोक्ता बड़ी आसानी से डिपो होल्डरों के इस जाल में फंस रहे हैं। सूत्रों से प्राप्त जानकारी पर विश्वास किया जाए तो अलग-अलग डिपो होल्डरों द्वारा फार्म भरने के लिए अलग-अलग फीस निर्धारित की गई है। कई डिपो होल्डर फीस के तौर पर 20 रुपए ले रहा है तो कोई डिपो होल्डर उपभोक्ता से 50 रुपए फीस के वसूल रहा है। चूंकि फार्म भरवाने की जिम्मेदारी खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के अधिकारियों की है। इसलिए शिकायत मिलने पर विभाग के अधिकारी भी शिकायत को गोल कर देते हैं, ताकि वो खुद फार्म भरने के इस पचड़े से बचे रह सकें। इस प्रकार विभाग के अधिकारियों की इस लापरवाही के चलते ही डिपो होल्डर उपभोक्ताओं की जेबें तरास कर जमकर चांदी कूट रहे हैं और उपभोक्ता चुपचाप इनका शिकार हो रहे हैं।
पुराने राशन कार्डों की बढ़ाई गई है अवधि
स्मार्ट कार्ड बनाने की प्रक्रिया काफी लंबी होने के कारण उपभोक्ताओं को स्मार्ट कार्ड मुहैया करवाने में विभाग को काफी वक्त लगेगा। हालांकि विभाग ने स्मार्ट कार्ड बनाने का कार्य प्राइवेट कंपनी को ठेके पर दिया गया है लेकिन फिर भी इस प्रक्रिया में लंबा वक्त लगने के कारण विभाग ने पुराने राशन कार्डों की अवधि एक साल तक बढ़ाई गई है। ताकि उपभोक्ताओं को राशन खरीदने में किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं आए।
समय पर पूरा नहीं हो पाएगा फार्म भरने का कार्य
खाद्य एवं आपूर्ति विभाग द्वारा स्मार्ट कार्ड के लिए फार्म भरने की तिथि 31 दिसम्बर तक तय की गई है लेकिन अभी फार्म भरने की प्रक्रिया कछुआ चाल से चलने के चलते 31 दिसम्बर तक यह कार्य पूरा होना संभव नहीं है। इसलिए विभाग को स्मार्ट कार्ड के लिए फार्म भरने की अपनी समयावधि में बदलाव करना होगा।
शिकायत मिलने पर डिपो होल्डर के खिलाफ होगी सख्त कार्रवाई
स्मार्ट कार्ड के लिए फार्म भरने की पूरी प्रक्रिया निशुल्क है। इसके लिए विभाग द्वारा कोई फीस निर्धारित नहीं की गई है। अगर कोई डिपो होल्डर फार्म भरने की एवज में फीस ले रहा है तो शिकायत मिलने पर उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। स्मार्ट कार्ड के लिए फार्म भरने के कार्य को समयावधि में पूरा करने के लिए डिपो होल्डरों की मदद ली जा रही है।
अशोक कुमार
खाद्य एवं आपूर्ति नियंत्रक, जींद
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