मंगलवार, 8 जनवरी 2013

सोलर लालटेन बनी उपभोक्ताओं के गली की फांस


घटिया बैटरी के कारण जल्द ही बुझ गए अक्षय ऊर्जा विभाग के शिक्षा दीप

नरेंद्र कुंडू
जींद। अक्षय ऊर्जा विभाग द्वारा लोगों को रियायती दर पर बेची गई सोलर लालटेन अब उनके लिए गले की फांस बन गई हैं। सोलर लालटेन की खरीद-फरोखत में विभाग द्वारा की गई लापरवाही का खामियाजा अब उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ रहा है। कंपनी द्वारा विभाग को नकली बैटरी वाली सोलर लालटेन सप्लाई करने के कारण ये अक्षय ऊर्जा विभाग की लालटेन जल्द ही बुझ गई हैं। इस प्रकार सोलर लालटेन सप्लाई करने वाली कंपनी ने जहां नकली बैटरी वाली सोलर लालटेन विभाग को देकर विभाग को करोड़ों रुपए का चूना लगाया है, वहीं अब रियायती दर पर सोलर लालटेन खरीदने वाले उपभोक्तओं को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जेब से पैसे खर्च करने के बाद भी उपभोक्ताओं को सोलर लालटेनों को ठीक करवाने के लिए अक्षय ऊर्जा विभाग कार्यालय के चक्कर काटने पड़ रहे हैं लेकिन अक्षय ऊर्जा विभाग के कार्यालय पर भी उपभोक्ताओं की परेशानी का समाधान नहीं हो रहा है। अक्षय ऊर्जा विभाग के अधिकारी कार्यालय में आने वाले उपभोक्ताओं को विभाग के उच्चाधिकारियों की तरफ से निर्देश मिलने की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ रहे हैं। इस प्रकार पैसे खर्च कर सोलर लालटेन खरीदने वाले उपभोक्ता अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे हैं, वहीं अक्षय ऊर्जा विभाग की योजना को भी गहरा झटका लगा है।

यह था मामला

प्रदेश सरकार की हाई पावर परचेज कमेटी ने गुजरात की गांधीनगर बेस्ड कंपनी आर.जी.वी.पी. एनर्जी सोर्सेस को पिछले साल अक्षय ऊर्जा विभाग के लिए करीब 60 हजार सोलर लालटेन सप्लाई करने का ठेका दिया था। विभाग द्वारा कंपनी को ठेका देते वक्त तय किए गए नियमों के अनुसार सभी सोलर लालटेन में ल्यूमिनस ब्रांड की बैटरियां लगानी थी लेकिन लालटेन सप्लाई करने वाली कंपनी ने ल्यूमिनस ब्रांड की बैटरियां लगाने की बजाए नकली बैटरियां लगाकर अक्षय ऊर्जा विभाग को यह लालटेन सप्लाई कर दी और विभाग के अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं लगी। विभाग के अधिकारियों ने भी इन सोलर लालटेनों की जांच किए बिना ही आगे बच्चों को यह सोलर लालटेन अनुदान पर दे दी। विभाग द्वारा लोगों को अनुदान पर लालटेन देते वक्त 2 साल की वारंटी भी दी गई थी। बाद में जब सोलर लालटेनों ने समय से पहले ही जवाब देना शुरू कर दिया तो विभाग के पास इसकी शिकायतें पहुंचने लगी तो विभाग ने अधिकारियों ने इसे गंभीरता से लेते हुए पूरे मामले की जांच करवाई। इस जांच में ही इस पूरे मामले से पर्दा उठा और लालटेन सप्लाई करने वाली कंपनी का असली चेहरा विभाग के सामने आया।

2350 रखी गई थी लालटेन की कीमत

अक्षय ऊर्जा विभाग द्वारा सोलर लालटेन की कीमत 2350 रुपए रखी गई थी। विभाग द्वारा अधिक से अधिक लोगों को सौर ऊर्जा की इन लालटेनों के प्रयोग के लिए प्रेरित करने के लिए अनुदान पर लालटेन देने की योजना शुरू की गई थी। विभाग की योजना के अनुसार एस.सी. वर्ग के बच्चों को एक लालटेन पर 1400 रुपए का अनुदान तथा सामान्य वर्ग के बच्चों को एक हजार रुपए का अनुदान दिया गया था। इसके अलावा विभाग द्वारा शिक्षा दीप योजना के तहत 5वीं, 8वीं व 10वीं कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले बच्चों को पूरे अनुदान पर यह लालटेन दी गई थी।

जींद में आई थी 888 लालटेन

जींद जिले में अक्षय ऊर्जा विभाग द्वारा 888 सोलर लालटेन मंगवाई गई थी। इनमें से 208 लालटेन एस.सी. वर्ग के बच्चों, 195 लालटेन सामान्य वर्ग के बच्चों तथा शिक्षा दीप योजना के तहत 5वीं, 8वीं तथा 10वीं कक्षा में प्रथम आने वाले 485 बच्चों को यह लालटेन दी गई थी।

विभाग द्वारा करवाया जा रहा है सर्वे

विभाग द्वारा लालटेन सप्लाई करने वाली कंपनी के खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज करवाकर विभाग को कार्रवाई के लिए पत्र भेजा गया है। विभाग के उच्चाधिकारियों द्वारा कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। अब विभाग द्वारा डोर-टू-डोर जाकर सर्वे करवाया जा रहा है। जिन लालटेनों में शिकायत मिल रही है उनकी लिस्ट तैयार की जा रही है। ताकि उच्चाधिकारियों के पास लिस्ट भेजकर उपभोक्ताओं की समस्या का समाधान करवाया जा सके।
ओ.डी. शर्मा, प्रोजैक्ट आफिसर
अक्षय ऊर्जा विभाग, जींद


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