रविवार, 14 अप्रैल 2013

तारखां में हुए हादसे ने खोली सामान्य अस्पताल में चिकित्सा व्यवस्था की पोल


जहरीला पानी पीने से बीमार लोगों का खुद साथ आए लोगों ने किया उपचार 

उपचार के लिए सामान्य अस्पताल के एमरजैंसी वार्ड में नहीं थे चिकित्सक

नरेंद्र कुंडू
जींद। उचाना के तारखां गांव में जहरीले पानी से एक व्यक्ति की मौत और कई के गंभीर रुप से बीमार हो जाने के हादसे ने शुक्रवार दोपहर जींद के सामान्य अस्पताल में चिकित्सा सुविधाओं की पोल खोल कर रख दी। इतने बड़े हादसे का शिकार हुए लोग जब सामान्य अस्पताल लाए गए तो यहां एमरजैंसी वार्ड में उनके उपचार के लिए चिकित्सक नहीं थे। इसके चलते बीमार लोगों के साथ आए ग्रामीणों को खुद बीमारों का इलाज करना पड़ा। इतना ही नहीं जब अस्पताल में बीमारों को उचित चिकित्सा सुविधा नहीं मिल पाने पर ग्रामीण बीमारों को एम्बुलैंस से रोहतक पी.जी.आई. ले जा रहे थे तो बीमारों को एम्बुलैंस तक पहुंचाने के लिए स्ट्रैचर भी उपलब्ध नहीं करवाई गई। इस कारण बीमारों के साथ आए लोगों ने उन्हें अपनी गोद में उठाकर ही एम्बुलैंस तक पहुंचाया। इतने बड़े हादसे के बाद भी अस्पताल प्रशासन द्वारा बीमारों को समय पर उचित चिकित्सा सुविधा मुहैया नहीं करवाए जाने के कारण अस्पताल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी सवालिया निशान लग गया है। 

यह था मामला 

उचाना कस्बे के तारखां कोठी गांव निवासी फूलकुमार सहित परिवार के अन्य 8 सदस्यों ने संदिग्ध परिस्थितियों के चलते जहरीला पानी पी लिया था। जहरीला पानी पीने से परिवार के सदस्यों की हालत बिगडऩे लगी थी। इस हादसे में फूलकुमार की रोहतक पी.जी.आई. ले जाते समय रास्ते में ही मौत हो गई थी। जबकि परिवार के अन्य सदस्यों की सेहत खराब हो गई थी। परिवार के सभी लोगों को उपचार के लिए सामान्य अस्पताल लाया गया था। सामान्य अस्पताल में पहले 4 लोगों को पहुंचाया गया। उस समय आपातकालीन में एक डॉक्टर मौजूद था। डॉक्टर ने उक्त मरीजों का इलाज शुरू किया और उन्हें पी.जी.आई. रोहतक रैफर कर दिया। कुछ देर बाद परिवार के ही 4 अन्य पीडि़तों को अस्पताल लाया गया, लेकिन उनका इलाज करने के लिए एमरजैंसी में कोई डॉक्टर मौजूद नहीं था। डॉक्टर व हैल्पर नहीं होने के कारण मरीजों के साथ आए लोगों का पारा चढ़ गया। इस हादसे में फूलकुमार की मौत हो गई तथा फूलकुमार का भाई राजकुमार, कर्ण सिंह, फूलकुमार का पुत्र अजय, पुत्री मधू, सुनिधि, पत्नी सरोज, बहन बिमला, कर्ण सिंह की पुत्री ज्योति की हालत गंभीर है। परिवार के आठों सदस्य पी.जी.आई. में जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं। 
 सामान्य अस्पताल के एमरजैंसी में उपचार के लिए लाए गए मरीज।

बीमारों के साथ आए लोगों ने खुद ही किया उपचार

गांव तारखां के फूलकुमार के परिवार के सदस्यों को गंभीर हालत में उपचार के लिए सामान्य अस्पताल में लाया गया था लेकिन यहां पर बीमारों को समय पर उचित उपचार नहीं मिल पाया। एमरजैंसी में डॉक्टर मौजूद नहीं होने के कारण साथ आए लोग डॉक्टरों को बुलाने के लिए चीख पुकार करते रहे लेकिन वहां उनकी सुनने वाला कोई नहीं थी। बार-बार डॉक्टरों को बुलाए जाने पर भी जब कोई डॉक्टर वहां नहीं पहुंचा तो मरीजों के साथ लोगों ने खुद ही मरीजों का फस्र्ट एड शुरू कर दिया। मरीज के साथ आए गांव के वीरभान व एक अन्य युवक ने चारों मरीजों को पहले प्राथमिक उपचार दिया। ड्रिप से लेकर अन्य जरूरी प्राथमिक उपचार उन्होंने खुद ही किया। 
एमरजैंसी में डॉक्टर नहीं होने के कारण खुद ही बीमारों को प्राथमिक चिकित्सा देते साथ आए लोग।








4 मरीजों के लिए एक ही एम्बुलैंस करवाई गई उपलब्ध

उपचार के लिए सामान्य अस्पताल लाए गए गांव तारखां के फूलकुमार के परिवार के सदस्यों की हालत बेहद गंभीर थी लेकिन सामान्य अस्पताल में बीमारों को समय पर उचित उपचार नहीं मिलने के कारण लगभग आधे घंटे के बाद ही साथ आए लोगों ने चारों को रोहतक पी.जी.आई. ले जाने का निर्णय लिया। पी.जी.आई. ले जाने के कारण उन्होंने अस्पताल प्रशासन से एम्बुलैंस की व्यवस्था की मांग की। हद तो उस वक्त हो गई, जब चारों मरीजों को पी.जी.आई. ले जाने के लिए अस्पताल प्रशासन द्वारा एक एम्बुलैंस की उपलब्ध करवाई गई। इसके बाद गंभीर रूप से बीमार चारों मरीजों को एक ही एम्बुलैंस में डालकर रोहतक पी.जी.आई. के लिए ले जाया गया।

स्ट्रेचर भी नहीं करवाई गई उपलब्ध

उपचार के लिए सामान्य अस्पताल में लाए गए कई मरीजों की हालत तो इतनी खराब थी कि वह स्वयं खड़े भी नहीं हो पा रहे थे। मरीजों को प्राथमिक उपचार दे रहे गांव के ही 2 युवकों ने मरीजों को उठा-उठाकर एम्बुलैंस तक पहुंचाया। मरीजों को एम्बुलैंस तक पहुंचाने के लिए अस्पताल प्रशासन द्वारा स्टे्रचर भी उपलब्ध नहीं करवाई गई। यहां तक कि आपातकालीन में मौजूद अन्य सरकारी कर्मचारी भी इलाज कराने में किसी प्रकार की सहायता करते नजर नहीं आए। जब उनसे इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि जब गांव वाले खुद ही प्राथमिक उपचार में लगे हैं तो वह हाथ क्यों लगाएं?
बीमारों को पी.जी.आई. ले जाने के लिए एम्बुलैंस में ले जाते साथ आए लोग।

टी.बी. मरीज को भी नहीं मिला उपचार

सामान्य अस्पताल में चिकित्सकों की लापरवाही का आलम यह है कि यहां शुक्रवार अल सुबह से उपचार के लिए आए टी.बी. के मरीज की भी डॉक्टरों ने सुध नहीं ली। सामान्य अस्पताल में उपचार के लिए पहुंचे नरवाना निवासी नरेश ने बताया कि वह टी.बी. का मरीज है और वह अपने इलाज के लिए अस्पताल आया था। नरेश ने बताया कि सुबह जब वह अपने उपचार के लिए 
बीमार बच्ची को पी.जी.आई. ले जाने के लिए गोद में उठाए एम्बुलैंस में ले जाती साथ आई महीला। 
डॉक्टर से मिला तो डॉक्टर ने उसे एक्स-रे लेकर आने को कहा। नरेश ने बताया कि जब वह एक्स-रे करवाकर दोबारा से चिकित्सक के पास पहुंचा तो वहां पर उसे कोई डॉक्टर नहीं मिला। नरेश ने बताया कि वह अपने उपचार के लिए सुबह से ही डॉक्टर के इंतजार में यहां बैठा हुआ है लेकिन यहां कोई भी चिकित्सक उसकी सुध नहीं ले रहा है। 

सामान्य अस्पताल में डॉक्टरों द्वारा कोई सुनवाई नहीं करने के बाद आपबीती सुनाता डी.बी. पेसैंट।









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