लड़कियों के प्रति लोगों की सोच बदलने के लिए एक विधवा ने समाज को दिखाया आईना

बिना मां की लड़की को गोद लेकर दे रही है मां का प्यार
खुद की 2 बेटियां होने के बावजूद भी एक अनजान लड़की को लिया गोद
लड़कों की तरह कर रही है तीनों लड़कियों का पालन-पोषण

नरेंद्र कुंडू
जींद। आज देश में गिर रहे लिंगानुपात को सुधारने तथा लड़कियों के प्रति लोगों की सोच बदलने के लिए जींद जिले के धड़ौली गांव की एक अनपढ़ विधवा ने समाज को आईना दिखाने का काम किया है। धड़ौली गांव निवासी स्व. जगत सिंह की पत्नी शीलादेवी ने खुद की 2 लड़कियां होने के बाद भी एक बिना मां की गरीब लड़की को गोद लेकर समाज के सामने एक मिशाल पेश की है। अगर जिला प्रशासन शीला देवी के समाजहित के इस अनोखे प्रयास की तरफ ध्यान दे तो लड़कियों के प्रति लोगों की सोच बदलने में यह अनपढ़ महिला पूरे जिले के लिए रोल मॉडल की भूमिका निभा सकती है।
आज समाज में लड़कियों तथा महिलाओं पर बढ़ती आपराधिक वारदातों तथा लोगों की ओछी मानसिकता के कारण बढ़ रही कन्या भ्रूण हत्याओं के कारण देश के लिंगानुपात का ग्राफ तेजी से नीचे गिर रहा है। आज लड़का-लड़की के बीच असमानता की खाई लगातार बढ़ती जा रही है। सरकार तथा सामाजिक संस्थाओं द्वारा कन्या भ्रूण हत्या के मामलों को रोकने के लिए लोगों को जागरुक करने के प्रयास केवल अभियानों तक ही सीमित रह गए हैं। लाख कोशिशों के बावजूद भी इन जागरुकता अभियानों से कोई सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आना कहीं न कहीं इस तरफ इशारा कर रहा है कि कन्या भ्रूण हत्या के नाम पर चलाए जा रहे जागरुकता अभियान लोगों के लिए केवल सुर्खियों में बने रहने का एक माध्यम बन गए हैं। क्योंकि जागरुकता अभियानों पर लाखों-करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद भी लोग इनसे कोई सबक नहीं ले रहे हैं लेकिन लड़कियों के प्रति लोगों की सोच बदलने के लिए जींद जिले के धड़ौली गांव की एक विधवा महिला आगे आई है। ग्रामीण परिवेश में रहने वाली स्व. जगत सिंह की पत्नी शीला देवी को खुद की 2 लड़कियां ज्योति (14) और प्रमिला (12) हैं। शीला देवी ने खुद की 2 लड़कियां होने के बाद भी एक ओर लड़की को गोद लेकर समाज के सामने एक मिशाल पेश की। इस महिला ने जिस लड़की को गोद लिया है, उस लड़की से इस महिला का न तो कोई खून का रिश्ता है और न ही यह इसकी किसी रिश्तेदारी से सम्बंध रखती है। खुद की 2 लड़कियां होने के बाद भी एक अनजान लड़की को अपनाकर शीला देवी ने इंसानियत का परिचय दिया है। यहां सबसे खास बात यह है कि शीला देवी अपनी तीनों ही लड़कियों को खिलाड़ी बनाना चाहती है। इसके लिए यह बकायदा तीनों लड़कियों को गांव के ही एक अखाड़े से कबड्डी का प्रशिक्षण दिलवा रही है और इसकी तीनों लड़कियां कबड्डी की बड़ी अच्छी खिलाड़ी हैं। इन तीनों लड़कियों में से 2 लड़कियां तो कबड्डी प्रतियोगिताओं में नैशनल स्तर तक अपना दमखम दिखा चुकी हैं और सबसे छोटी जो लड़की है अभी कबड्डी का प्रशिक्षण प्राप्त कर रही है। लड़कियों के प्रति शीला की सोच पूरी तरह से सकारात्मक है और यह अपनी तीनों लड़कियों का पालन-पोषण बिल्कुल लड़कों की तरह कर रही है। जुलाना हलके के किलाजफरगढ़ गांव की रीतू नामक जिस लड़की को शीला ने गोद लिया है, उसके सिर से मां का साया उठ चुका है और वह बिल्कुल ही गरीब परिवार से सम्बंध रखती है। रीतू के पालन-पोषण के साथ-साथ शीला देवी ने इसकी पढ़ाई की जिम्मेदारी भी अपने कंधों पर ले रखी है। बी.ए. प्रथम वर्ष में पढ़ाई करने वाली रीतू भी शीला को अपनी मां और इसकी दोनों लड़कियों को अपनी सगी बहनों से भी ज्यादा प्यार करती है। रीतू का कहना है कि उसे यहां रहते हुए लगभग एक वर्ष से भी ज्यादा का समय बीत चुका है लेकिन इस दौरान उसे कभी भी यहां परायापन महसूस नहीं हुआ है।
 शीला देवी का फोटो।

सड़क हादसे में हो गई थी पति और बेटे की मौत

धड़ौली गांव की शीला ने आज से लगभग 8 वर्ष पहले एक सड़क हादसे में अपने पति जगत सिंह तथा अपने बेटे को खो दिया था। जिस समय यह दुर्घटना घटी उस समय इनका पूरा परिवार शादी समारोह में शामिल होने के लिए जा रहा था। इस दर्दनाक सड़क हादसे में इनके परिवार के 5 लोगों की मौत हो गई थी। इतने बड़े हादसे के बाद भी शीला ने अपना धैर्य नहीं खोया। शीला ने कड़ी मेहनत कर अपनी दोनों बेटियों का पालन-पोषण किया और अब पिछले वर्ष रीतू को गोद लेने के बाद से 3 लड़कियों का पालन-पोषण कर रही है। शीला का एक सपना है कि उसकी तीनों लड़कियां कबड्डी में देश के लिए गोल्ड मैडल लेकर आएं और गांव, जिले तथा प्रदेश का नाम रोशन करें।

अखाड़े के लिए दान कर दी करोड़ों की जमीन 

धड़ौली गांव की शीला देवी एक अच्छी मां ही नहीं, बल्कि एक सामाजिक महिला का भी फर्ज निभा रही है। शीला के पास खुद की 8 एकड़ जमीन थी लेकिन शीला ने इस 8 एकड़ जमीन में से करोड़ों रुपए कीमत की एक एकड़ जमीन बच्चों को खेल क्षेत्र में निपुर्ण करने के लिए अखाड़े को दान कर दी। जो जमीन शीला ने सालभर पहले दान की है आज उस जमीन में कृष्ण अखाड़ा चल रहा है और इस अखाड़े में आस-पास के दर्जनभर से ज्यादा गांवों के करीबन 100 लड़के व लड़कियां प्रशिक्षण लेने के लिए आते हैं। इस अखाड़े का कोच कृष्ण आर्य यहां लड़के तथा लड़कियों को निशुल्क कबड्डी और कुश्ती का प्रशिक्षण दे रहा है। इसकी बदौलत आज धड़ौली गांव की लड़कियों की कबड्डी की टीम पूरे प्रदेश में ख्याति प्राप्त कर चुकी है।
 अपनी तीनों बेटियों रीतू, ज्योति व प्रमिला के साथ शीला देवी।

खेतीबाड़ी के सहारे कर रही है लड़कियों का पालन-पोषण

धड़ौली गांव निवासी शीला देवी के पास खुद की लगभग 7 एकड़ जमीन है और इसी जमीन पर शीला खेतीबाड़ी कर अपना तथा अपनी बेटियों का गुजर-बसर कर रही है। शीला देवी की तीनों बेटियां रीतू, ज्योति व प्रमिला खेतीबाड़ी के काम में भी उसका बराबर का हाथ बटाती हैं।

उपेक्षा का दंश झेल रहा है शीला का परिवार

लड़कियों के प्रति लोगों की सोच बदलने के लिए पराई लड़की को अपनाकर समाज को आईना दिखाने वाली शीला का परिवार आज भी जिला प्रशासन व सामाजिक संस्थाओं की उपेक्षा का दंश झेल रहा है। ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाली इस विधवा ने भले ही आज इतनी बड़ी कुर्बानी दी हो लेकिन उसकी यह कुर्बानी न तो जिला प्रशासन को नजर आती है और न ही सामाजिक संस्थाओं को। कन्या भ्रूण हत्या के प्रति लोगों की सोच बदलने के लिए जागरुकता अभियानों पर करोड़ों खर्च करने वाले किसी भी सामाजिक संगठन के सदस्य ने आज तक एक बार भी शीला देवी के घर पर जाकर उसके इस सामाजिक कार्य के लिए उसकी पीठ नहीं थपथपाई है और न ही आज तक कभी भी जिला प्रशासन की तरफ से किसी कार्यक्रम में शीलादेवी को आमंत्रित कर सम्मानित किया गया है।




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