थाली को जहरमुक्त करने की मुहिम में ईगराह गांव के किसानों ने भी बढ़ाया हाथ
ईगराह गांव में भी शुरू हुई डा. सुरेंद्र दलाल किसान खेत पाठशाला
नरेंद्र कुंडू
जींद।किसानों को फसल में मौजूद शाकाहारी और मांसाहारी कीटों की पहचान करवाकर थाली को जहरमुक्त बनाने के लिए डा. सुरेंद्र दलाल द्वारा शुरू की गई कीट ज्ञान की मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए अब ईगराह गांव के किसान आगे आए हैं। अधिक से अधिक किसानों को कीट ज्ञान अर्जित करवाकर इस मुहिम के साथ जोडऩे के लिए ईगराह गांव के किसानों ने अपने स्तर पर निडाना, ललीतखेड़ा और राजपुरा भैण गांव के किसानों की तर्ज पर ईगराह गांव में भी डा. सुरेंद्र दलाल के नाम से किसान खेत पाठशाला की शुरूआत की है। ईगराह गांव के किसान रमेश के खेत में पाठशाला का आयोजन किया जा रहा है। सप्ताह के हर मंगलवार को लगातार 18 सप्ताह तक पाठशाला का आयोजन किया जाएगा। कृषि विभाग के एस.एम.एस.एंड आई. देवेंद्र बाजवा ने किसानों को राइटिंग पैड व पैन देकर पाठशाना का शुभारंभ किया। इस अवसर पर उनके साथ कृषि विभाग के ए.पी.पी.ओ. डा. अनिल नरवाल, ए.डी.ओ. डा. पवन भारद्वाज और डा. कमल सैनी भी विशेष रूप से मौजूद थे। कृषि विभाग के अधिकारियों के पाठशाला में पहुंचने पर किसानों की तरफ से कीटाचार्य मनबीर रेढ़ू ने विभाग के अधिकारियों का स्वागत किया।
पाठशाला का सुभारम्भ करते मुख्यातिथि |
पाठशाला के शुभारंभ अवसर पर किसानों की तादात को देखते हुए मुख्यातिथि देवेंद्र बाजवा ने कहा कि पाठशाला के प्रति किसानों में काफी उत्साह नजर आ रहा है। उन्होंने कहा कि इस पाठशाल से किसान फसल में मौजूद मांसाहारी तथा शाकाहारी कीटों की पहचान तथा उनके क्रियाकलापों के बारे में ज्ञान हासिल कर फसलों में रासायनिकों पर होने वाले अपने खर्च को तो कम कर ही सकेंगे, साथ-साथ देश को जहर मुक्त खाद्यान्न प्रदान कर स्वास्थ्य पर अप्रत्यक्ष रूप से खर्च होने वाले धन को भी बचाएंगे। पाठशाला के आरंभ में किसानों ने 5-5 किसानों के 5 ग्रुप बनाकर कपास की फसल में कीटों का अवलोकन किया। कीट अवलोकन के बाद कीट बही खाता तैयार कर कीटों के नुक्सान पहुंचाने के स्तर का आकलन किया। कपास की फसल में मौजूद कीटों के बारे में जानकारी हासिल कर किसान फूले नहीं समा रहे थे। किसानों ने कहा कि जानकारी के अभावा में वे आज तक कीटों को अपना दुश्मन समझते थे और फसल में कीटों की बढ़ती तादात से घबराते थे। कीटों को लेकर उनके मन में भय व भ्रम की स्थित बनी हुई थी लेकिन पाठशाला में आने के बाद कीटों के प्रति उनकी घबराहट खत्म हो गई है। किसानों ने बताया कि कीट अवलोकन के दौरान उन्होंने क्राइसोपा के अंडे तथा बच्चे देखे। इसके अलावा उन्होंने एक लाल चिचड़ी नामक कीट को हरे तेले का खून चूसते हुए भी देखा। किसानों ने कहा किमंगलवार को पाठशाला में उनके सामने कीटों की जो तस्वीर उभर कर आई है उससे यह बात साफ हो गई है कि फसल के लिए कोई भी कीट नुक्सानदायक नहीं हैं। कीट तो फसल में केवल अपना जीवन यापन करने के लिए आते हैं। उन्होंने कहा कि कीटों को नियंत्रित करने में कीट ही सबसे बड़ा हथियार हैं। इस अवसर पर पाठशाला में लगभग 35 किसान भी मौजूद थे।
कपास की फसल में कीटों का अवलोकन करते किसान |
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