बुधवार, 7 अगस्त 2013

प्रशासन की जिद बच्चों के स्वास्थ्य पर पड़ रही भारी

प्रशासन के हिटलरशाही रवैये से अभिभावकों में रोष 

आयरन की गोलियां खाने से अब राजपुरा भैण गांव के स्कूल की छात्राओं की तबीयत बिगड़ी

नरेंद्र कुंडू
जींद। जिला प्रशासनिक अधिकारियों की जिद बच्चों के स्वास्थ्य पर भारी पड़ रही है। प्रशासनिक अधिकारी बच्चों को आयरन की गोलियां खिलाने की जिद पर अड़े हुए हैं। प्रशासनिक अधिकारियों के दबाव के कारण आयरन की गोलियां लेने के बाद छात्राओं के बीमार होने के मामले सामने आ रहे हैं। आयरन की गोलियां खाने से छात्राओं के बीमार होने के मामलों के बाद भी प्रशासन कुछ सबक नहीं ले रहा है। प्रशासन के हिटलरशाही रवैये के कारण अभिभावकों में भी भारी रोष बना हुआ है। मंगलवार को जिले के गांव राजपुरा भैण के 
 सामान्य अस्पताल में उपचाराधीन राजपुरा गांव की छात्राएं।
राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में आयरन की गोलियां लेने से 4 छात्राओं की तबीयत बिगडऩे का मामला प्रकाश में आया है। छात्राओं की हालत बिगड़ती देख स्कूल स्टाफ के सदस्यों ने चारों छात्राओं को उपचार के लिए जींद के सामान्य अस्पताल में भर्ती करवाया। यहां पर चारों छात्राओं का उपचार चल रहा है। 
छात्राओं में खून की कमी को दूर करने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा शुरू किए गए विफस अभियान के तहत मंगलवार को राजपुरा भैण गांव के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में छात्राओं को आयरन की गोलियां बांटी गई थी। स्कूल की आधी छुट्टी के बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम की मौजूदगी में छात्राओं को गोलियां खिलाई गई। गोलियां लेने के कुछ देर बाद 4 छात्राओं को पेट दर्द की शिकायत शुरू हो गई। देखते ही देखते छात्राओं का दर्द बढ़ता चला गया। आयरन की गोलियां खाने से बीमार होने वाली छात्राओं में 7वीं कक्षा की आशा, 9वीं कक्षा की रीना, काजल, दिनेश थी। छात्राओं की हालत बिगड़ती देख स्कूल स्टाफ के सदस्यों के

15 दिन पहले नगूरां गांव के स्कूल में गोली लेने के अभी तक बीमार पड़ी छात्रा सामान्य अस्पताल में उपचाराधीन।
हाथ-पांव फूल गए। स्कूल स्टाफ के सदस्यों ने तुरंत चारों छात्राओं को उपचार के लिए जींद के सामान्य अस्पताल में दाखिल करवाया और मामले की सूचना छात्राओं के परिजनों को दी। अपनी बच्चियों की हालत बिगडऩे की सूचना पाकर परिजन भी अस्पताल में पहुंच गए। आयरन की गोलियां खाने के बाद चारों छात्राएं पेट दर्द से बुरी तरह से कराह रही थी। छात्राओं की हालत ऐसी थी कि वो मारे दर्द के कुछ बता भी नहीं पा रही थी। 

मना किया था कि नहीं खानी हैं गोलियां

आयरन की गोलियां खाने के बाद बीमार हुई छात्राओं के साथ आए परिजनों में स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन के प्रति गहरा रोष था। महिला बबली और गुड्डी ने कहा कि उन्होंने तो अपनी लड़कियों को पहले ही मना किया था कि अगर स्कूल में उन्हें आयरन की गोलियां खिलाई जाएं तो वो गोलियां नहीं लें लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों के दबाव के कारण उनकी बच्चियों को जबरदस्ती गोलियां खिलाई जा रही हैं। उन्होंने कहा कि जिस दवा से मर्ज बढ़े ऐसी दवा फिर किस काम की। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन के अधिकारियों को कोसते हुए कहा कि उनके खुद के बच्चों के साथ ऐसा नहीं हो रहा है। इसलिए वो बच्चों को जबरदस्ती गोलियां खिला रहे हैं। अगर उनके बच्चों के साथ यह सब हो जाए तो तभी उन्हें एक मां का दर्द समझ में आएगा। 

नगूरां स्कूल की एक छात्रा की हालत अब भी गंभीर

लगभग 15 दिन पहले आयरन की गोलियां खाने से बीमार हुई नगूरां स्कूल की छात्राओं में से एक छात्रा की हालत अब भी गंभीर बनी हुई है। नगूरां निवासी बलवान ने कहा कि 22 जुलाई को नगूरां स्कूल में छात्राओं को आयरन की गोलियां खिलाई गई थी। उस दौरान उसकी भतीजी मोना ने भी गोली ली थी। बलवान ने बताया कि उसके बाद से ही उसकी भतीजी की हालत बिगड़ी हुई है। वह उसके उपचार के लिए रोहतक पी.जी.आई. तक धक्के खा चुके हैं लेकिन उसकी भतीजी की हालत में कोई सुधार नहीं है। उन्होंने कहा कि उसकी भतीजी को आयरन की गोली लिए 15 दिन का समय बीत चुका है लेकिन 15 दिन बाद भी आयरन की गोली का प्रभाव कम नहीं हुआ है। आज भी उनकी लड़की की हालत खराब है।

स्वास्थ्य विभाग की टीम की देखरेख में दी थी गोलियां

विद्यालय के प्राचार्य सुरेंद्र चहल ने कहा कि उनके स्कूल में गोलियां बांटने के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम पहुंची थी। उन्होंने आधी छुट्टी होने से पहले ही सभी छात्राओं को आधी छुट्टी में खाना खाने के लिए बोल दिया था। ताकि सभी छात्राओं को गोलियां दी जा सकें। आधी छुट्टी के बाद सभी छात्राओं से खाना खाने के बारे में पूछा गया था और इसके बाद ही उन्हें गोलियां दी गई थी। स्वास्थ्य विभाग की टीम की देखरेख में पूरे नियमों के अनुसार सभी छात्राओं को गोलियां दी गई थी। गोलियां लेने के कुछ देर बाद 4 छात्राओं ने पेट दर्द की शिकायत की थी। चारों छात्राओं को उपचार के लिए जींद के सामान्य अस्पताल में भर्ती करवा दिया गया है। 

मामले पर अधिकारियों ने साधी चुप्पी

इस बारे में जब स्वास्थ्य विभाग के जिला अधिकारियों का पक्ष जानने के लिए जब जिला स्कूल हैल्थ अधिकारी डा. अंशुल दलाल से संपर्क किया गया तो उन्होंने इस मामले पर चुप्पी साधते हुए कुछ भी बताने से मना कर दिया। डा. अंशुल दलाल ने कहा कि इस बारे में केवल सिविल सर्जन ही बता सकते हैं। इसलिए आप उनसे ही संपर्क करें। इस बारे में जब सिविल सर्जन डा. दयानंद के मोबाइल पर संपर्क किया गया तो सिविल सर्जन ने फोन ही रिसिव नहीं किया। सामान्य अस्पताल प्रशासन के अधिकारियों द्वारा इस तरह मामले में चुप्पी साधने से यह सवाल खड़ा होता है कि कहीं ना कहीं दाल में कुछ काला जरुर है। 



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