लकीर का फकीर बना जींद का जिला प्रशासन

एक सप्ताह बाद भी नहीं शुरू हो पाया आवारा पशुओं को पकडऩे का अभियान
कृष्ण जन्माष्टमी पर प्रशासनिक अधिकारियों की अनदेखी का शिकार हुई सड़कों से पकड़ी गई बेसहारा गायें 

नरेंद्र कुंडू 
जींद। शहर की सड़कों पर लोगों के लिए मुसिबत बनकर घूम रहे आवारा पशुओं को तथा बेसहारा गायों को पकड़कर गौशाला में छोडने के लिए जिला प्रशासन द्वारा 23 अगस्त से शुरू किए जाने वाला अभियान अभी तक धरातल पर नहीं उतर पाया है। वहीं जिला प्रशासन की मदद के लिए सामाजिक संगठनों द्वारा 23 अगस्त से अपने स्तर पर शुरू किया गया आवारा पशुओं तथा बेसहारा गायों को पकडऩे का अभियान भी प्रशासन के सहयोग के बिना दम तोड़ रहा है। सामाजिक संगठनों द्वारा पिछले एक सप्ताह से अपने स्तर पर आवारा पशुओं और बेसहारा गायों के लिए चारे व पीने के पानी की व्यवस्था की जा रही है। यहां तक की कृष्ण जन्माष्टी पर भी जिला प्रशासन को बेसहारा गायों की याद नहीं आई। जिला प्रशासन द्वारा इस मुहिम से हाथ पीछे खींचने के कारण अब सामाजिक संगठनों में भी जिला प्रशासन के खिलाफ रोष पनपने लगा है। जिला प्रशासन की तरफ से हो रही इस अनदेखी के चलते अब सामाजिक संगठनों ने प्रशासनिक अधिकारियों की नींद तोडऩे के लिए पूरे जिले में इस अभियान को शुरू करने तथा पकड़े गए आवारा पशुओं को सरकारी कार्यालयों में रोकने की रणनीति तैयार की है।
 तालाब में रोकी गई सामाजिक संगठनों द्वारा सड़कों से पकड़ी गई बेसहारा गायें।

शहर की सड़कों पर घूम रहे आवारा पशु तथा बेसहारा गायें शहर के लोगों तथा राहगीरों के लिए भय का प्रयाय बने हुए हैं। इसके चलते कई बार शहर में बड़े हादसे भी हो चुके हैं। लोगों को इस भय से मुक्त करवाने के लिए जिला प्रशासन द्वारा 23 अगस्त से शहर में आवारा पशुओं तथा बेसहारा गायों को पकडऩे के लिए विशेष अभियान चलाने का निर्णय लिया गया था। इसकी जिम्मेदारी नगर परिषद को सौंपी गई थी लेकिन जिला प्रशासन द्वारा इस अभियान चलाने के लिए रणनीति तैयार किए हुए आज एक सप्ताह बीत चुका है और अभी तक जिला प्रशासन की तरफ से इस तरफ कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। जिला प्रशासन के इस अभियान को सफल बनाने के लिए शहर के कई सामाजिक संगठन भी आगे आए थे और इन सामाजिक संगठनों ने इस अभियान को सफल बनाने के लिए 23 अगस्त से ही आवारा पशुओं तथा बेसहारा गायों को पकडऩे की मुहिम शुरू कर दी थी। पकड़े गए आवारा पशुओं तथा बेसहारा गायों को रोकने के लिए  कोई स्थान नहीं होने के कारण सामाजिक संगठनों ने सभी गायों तथा सांडों को शहर के ऐतिहासिक स्थल रानी तालाब में रोका था। गायों के लिए चारे तथा पानी की व्यवस्था भी सामाजिक संगठनों ने अपने स्तर पर ही की थी। सामाजिक संगठनों द्वारा इस अभियान को शुरू किए आज एक सप्ताह बीत चुका है लेकिन अभी तक जिला प्रशासन की तरफ से इन संगठनों को कोई सहयोग नहीं मिला है। जिला प्रशासन की अनदेखी के कारण सामाजिक संगठनों के सामने अब गायों के लिए खाने के लिए चारे की व्यवस्था का संकट खड़ा हो गया है। जिला प्रशासन की अनदेखी के चलते अब सामाजिक संगठनों का यह अभियान भी दम तोडऩे लगा है। प्रशासनिक अधिकारियों की अनदेखी के चलते सामाजिक संगठनों में गहरा रोष पनपने लगा है।

कृष्ण जन्माष्टमी पर प्रशासन ने नहीं ली गायों की सुध

जिला प्रशासन द्वारा आवारा पशुओं तथा बेसहारा गायों को पकडऩे के लिए 23 अगस्त से शुरू किए जाने वाला यह अभियान एक सप्ताह बाद भी धरातल पर नहीं उतर पाया। एक तरफ जहां जिले में बुधवार को हर्षोल्लास के साथ कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जा रहा था, वहीं दूसरी तरफ गोपाल की गायें जिला प्रशासन की अनदेखी का शिकार बनी हुई थी। जिला प्रशासन द्वारा गायों के चारे तथा पानी के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई थी। प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही के चलते गौभक्तों में गहरा रोष था।

प्रशासन का नहीं मिल रहा सहयोग

अन्ना टीम के संयोजक हितेष हिंदुस्तानी ने कहा कि जिला प्रशासन द्वारा इस अभियान में पूरी तरह से सामाजिक संगठनों की अनदेखी की जा रही है। जिला प्रशासन की तरफ से कोई सहयोग नहीं मिल रहा है। गायों के लिए चारे की व्यवस्था भी उन्हें खुद ही करनी पड़ रही है। हिंदुस्तानी ने कहा कि जिलेभर की गौशालाओं के सदस्यों की बुधवार को बैठक हुई है और बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया है कि प्रसाशनिक अधिकारियों को नींद से जगाने के लिए नरवाना, उचाना, जुलाना, पिल्लूखेड़ा, सफीदों में बेसहारा गायों को पकडऩे के लिए अभियान चलाया जाएगा और अभियान के दौरान पकड़ी गई गायों को सरकारी कार्यालयों के प्रांगण में रोका जाएगा। हिंदुस्तानी ने आरोप लगाया कि 26 अगस्त को जिला प्रशासन के साथ सभी गौभक्तों की बैठक हुई थी लेकिन बैठक में प्रशासनिक अधिकारियों की तरफ से उन्हें कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला है।

गौभक्तों के साथ दोबारा होगी बैठक

इस बारे में जानकारी लेने के लिए जब उपायुक्त राजीव रत्न से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि अभी वह किसी दूसरे मामले में फंसे हुए हैं। इस अभियान को सही तरीके से शुरू करने के लिए वीरवार को दोबारा से सभी गौभक्तों की बैठक बुलाई गई है और इस बैठक में गौभक्तों से विचार-विमर्श करके अभियान की अगली रुपरेखा तैयार की जाएगी।

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