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कीटों की मास्टरनियों के अनुभवों को किया कैमरे में कैद

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दूरदर्शन की टीम ने ललितखेड़ा के खेतों में पहुंचकर 4 घंटों तक सांझा किए महिलाओं के अनुभव  नरेंद्र कुंडू  जींद। खाने की थाली को जहरमुक्त बनाने के लिए ललितखेड़ा गांव की महिलाओं द्वारा शुरू की गई कीट ज्ञान की मुहिम को देश के अन्य किसानों तक पहुंचाने के लिए दिल्ली दूरदर्शन की टीम महिलाओं के क्रियाकलापों की रिकर्डिंग करने के लिए वीरवार को ललितखेड़ा गांव के खेतों में पहुंची। दूरदर्शन की टीम ने लगभग 4 घंटे तक खेतों में बैठकर महिलाओं के क्रियाकलापों को देखा और उनके अनुभव को अपने कैमरे में कैद किया। इस दौरान टीम के सदस्यों ने महिलाओं द्वारा कीटों पर आधारित गीतों को भी शूट किया। टीम द्वारा शूट किए गए कार्यक्रम का प्रसारण 24 सितंबर को दिल्ली दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले कृषि दर्शन कार्यक्रम में सुबह के शैड्यूल में किया जाएगा।   दिल्ली दूरदर्शन की टीम प्रोड्यूशर श्रीकांत सैक्शेना के नेतृत्व में लगभग 1 बजे ललितखेड़ा गांव के खेतों में पहुंची। इस दौरान उनके साथ प्रसारण कार्यकारी अधिकारी विकास डबास तथा कैमरामैन डी.पी. सिंह भी थे। टीम के सदस्यों ने महिलाओं से उनके क्रियाकलापों पर विस्तार से ब

कृषि दर्शन पर देश के किसानों को कीट ज्ञान का पाठ पढ़ाएंगी कीटों की मास्टरनियां

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कीटों की मास्टरनियों के क्रियाकलापों को शूट करने के लिए आज जींद पहुंचेगी दिल्ली दूरदर्शन की टीम नरेंद्र कुंडू जींद।  ललितखेड़ा गांव की कीटों की मास्टरनियां अब दिल्ली दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले कृषि दर्शन कार्यक्रम के माध्यम से देशभर के किसानों को कीट ज्ञान का पाठ पढ़ाएंगी। इस कार्यक्रम के दौरान कीटों की मास्टरनियां देशभर के किसानों को कीट ज्ञान हासिल कर खेती में उर्वरकों और कीटनाशकों पर अप्रत्यक्ष रूप से बढ़ते खर्च को कम करने तथा खाने की थाली को जहरमुक्त करने का संदेश देंगी। इसके लिए वीरवार को दिल्ली दूरदर्शन की टीम प्रोड्यूशर श्रीकांत सैक्शेना के नेतृत्व में ललितखेड़ा गांव में पहुंचेगी। ललितखेड़ा गांव के खेतों में पहुंचकर टीम द्वारा कीटों की मास्टरनियों के क्रियाकलापों तथा खेती के तौर तरीकों को कैमरे में कैद किया जाएगा। इसके बाद शुक्रवार को टीम के सदस्य राजपुरा भैण गांव में चल रही किसान खेत पाठशाला में पहुंचकर किसानों के कार्यों को भी कैमरे में शूट किया जाएगा।     खाने की थाली को जहरमुक्त बनाने के लिए ललितखेड़ा गांव की वीरांगनाओं द्वारा शुरू की गई कीट ज्ञान की मुहिम को देश

हमारी जीवनदायनी वस्तुएं हो चुकी हैं जहरीली

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एक दिवसीय किसान संगोष्ठी में किसानों ने सांझा किए अपने अनुभव नरेंद्र कुंडू जींद।   दूरदर्शन हिसार के तकनीकि डिप्टी डायरैक्टर जिले सिंह जाखड़ ने कहा कि किसी भी जीव को जीवित रहने के लिए 2 चीजें सबसे ज्यादा जरुरी हैं। एक स्वच्छ वातावरण और दूसरा शुद्ध भोजन लेकिन आज हमारी ये जीवनदायनी दोनों ही वस्तुएं जहरयुक्त हो चुकी हैं। जाखड़ सोमवार को कृषि विभाग तथा ईंटल कलां के किसानों द्वारा ईंटल कलां गांव में आयोजित एक दिवसीय विचार संगोष्ठी में बतौर मुख्यातिथि बोल रहे थे। इस अवसर पर कार्यक्रम में जिला कृषि उप-निदेशक डा. रामप्रताप सिहाग, आल इंडिया रेडियो रोहतक से सम्पूर्ण, कृषि विभाग के बी.ई.ओ. जे.पी शर्मा, ए.डी.ओ. राजेंद्र, रमेश, डा. कमल सैनी, बराह खाप प्रधान कुलदीप ढांडा, मैडम कुसुम दलाल, अक्षत दलाल, आई.पी.एम. सैंटर फरीदाबाद से डा. एस.सी. शर्मा, डा. विनोद, बी.पी. सिंह जगपाल, सुनील कंडेला तथा ईंटल कलां के सरपंच महाबीर सिंह विशेष रूप से मौजूद थे। किसानों ने अतिथिगणों को पगड़ी पहनाकर स्वागत किया। जाखड़ ने कहा कि आज हालात ऐसे हो गए हैं कि इंसान को पैसे देने के बावजूद भी शुद्ध भोजन नहीं मिल रहा ह

शौक को बना लिया रोजगार

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मूर्ति कला के दम पर प्रदेशभर में मनवाया प्रतिभा का लोहा नरेंद्र कुंडू जींद। आधुनिकता के इस युग में एक तरफ जहां मूर्ति कला का कार्य दम तोड़ रहा है और बड़े-बड़े मूर्ति कलाकर मूर्ति निर्माण के अपने पुस्तैनी कार्य को छोड़कर अपनी इच्छा के विपरित काम करने को मजबूर हैं, वहीं गांव बुराडहर-बुआना निवासी मूर्ति कलाकार अजमेर जांगड़ा अपनी कला के दम पर दूर-दूर तक अपना लोहा मनवा चुका है। अजमेर जांगड़ा मूर्ति कला के क्षेत्र में आज भी अपनी एक अलग पहचान बनाए हुए है। पूर्वजों से विरासत में मिली मूर्ति निर्माण की कला को अजमेर जांगड़ा आज भी पूरे उत्साह के साथ संजोए हुए है। अपनी मूर्ति कला के बूते आज अजमेर जांगड़ा मूर्ति निर्माण का अपना शौक पूरा करने के साथ-साथ अपने परिवार का पालन-पौषण भी ठीक तरह सेकर रहा है। 26 वर्षीय अजमेर पिछले 10 वर्षों से मूर्ति निर्माण का कार्य कर रहा है और अजमेर द्वारा निर्मित बहुत सी मूर्तियां तो आज प्रदेश के भिन्न-भिन्न जिलों में मंदिरों की शोभा बढ़ा रही हैं।   गांव बुराडहर-बुआना में एक गरीब परिवार में जन्मे अजमेर जांगड़ा को बचपन से ही मूर्ति निर्माण का शौक था। अजमेर को यह कला

कीटनाशकों से होती है महज 7 प्रतिशत ही रिकवरी

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अज्ञान के कारण किसान फसलों में कर रहा है अंधाधुंध कीटनाशकों का प्रयोग नरेंद्र कुंडू  जींद।  कीटाचार्य किसान रणबीर मलिक ने कहा कि अगर कृषि वैज्ञानिकों की मानें तो किसान फसलों में कीटों को नियंत्रित करने के लिए अर्थार्त कीटों से फसल को होने वाले नुक्सान को रोकने के लिए जो कीटनाशकों का प्रयोग करता है, उससे महज 7 प्रतिशत की ही रिकवरी होती है लेकिन इस 7 प्रतिशत अधिक उत्पादन से जो आमदनी किसान को होती है, उससे ज्यादा पैसे तो किसान इन कीटनाशकों पर खर्च कर देता है। इस तरह बिना जानकारी के किसान को दोहरा नुक्सान होता है। एक तो किसान का पैसा बर्बाद होता है और दूसरा उसकी थाली में जहर का स्तर बढ़ रहा है। रणबीर मलिक शनिवार को गांव राजपुरा भैण में आयोजित डा. सुरेंद्र दलाल बहुग्रामी किसान खेत पाठशाला में मौजूद किसानों को सम्बोधित कर रहे थे। इस अवसर पर पाठशाला में कृषि विकास अधिकारी डा. कमल सैनी तथा मल्टीपलैक्स फर्टीलाइजर कंपनी के एस.आर. संजय कुमार भी मौजूद थे।   कपास की फसल में कीटों का अवलोकन करते किसान। रणबीर मलिक ने कहा कि किसान के पास न तो खुद का ज्ञान और न ही खुद के औजार हैं। इसलिए तो

रेप जैसे संगिन आरोपों के कारण धूमिल हो रही साधु-संतों की छवि

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नरेंद्र कुंडू जींद।  भारत की धरती सदियों से संत-महात्माओं की धरती रही है। यहां लोग भगवान की तरह संत-महात्माओं की पूजा करते हैं। यहां पर संत-महात्माओं को सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है लेकिन समय के साथ-साथ हो रहे इस बदलवा में संत-महात्माओं का रुप भी बदलता जा रहा है। आए दिन संतों पर लगे रहे रेप जैसे संगिन आरोपों के कारण संत-महात्माओं की छवि भी लगातार धूमिल होती जा रही है। हाल ही में आशाराम पर एक नाबालिग के साथ रेप के आरोप ने फिर से साधु-संतों का एक अलग रुप समाज के सामने पेश किया है। लोग जगह-जगह आशाराम के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं और पुतले फूंक रहे हैं। इससे यह बात साफ हो रहा है कि कभी संत-महात्माओं की धरा के नाम से जानी जाने वाली यह धरती अब धीरे-धीरे अपनी पहचान खो रही है। जिन संत-महात्माओं को कभी यहां के लोग सम्मान की दृष्टि से देखते थे आज उन संत-महात्माओं को लोग हीन दृष्टि से देखने लगे हैं। सबके लिए समान हो कानून आम आदमी हो या कोई संत या नेता कानून सबके लिए एक समान होने चाहिएं। आशाराम पर रेप के आरोप लगने के बावजूद आशाराम को समन देकर बुलाने का कोई औचित्य नहीं बचता, क्योंकि कानून

मकडिय़ों ने किया फसलों से हर किस्म के कीटों का सफाया

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पाठशाला में किसानों ने की शाकाहारी कीटों पर चर्चा नरेंद्र कुंडू  जींद।  इस समय धान व कपास की फसल में आने वाले मांसाहारी तथा शाकाहारी कीटों से किसानों को भयभीत होने की जरुरत नहीं है। क्योंकि इस समय फसलों में मकडिय़ों की संख्या काफी ज्यादा है। कपास की फसल में इस समय मकडिय़ों की औसत प्रति पौधा 4-5 दर्ज की जा रही है और मकडिय़ां हर प्रकार के कीटों को अपना भोजन बना लेती हैं। बशर्त यह की किसान द्वारा अपनी फसल में किसी प्रकार के कीटनाशकों का इस्तेमाल नहीं किया गया हो। यह बात कृषि विकास अधिकारी डा. कमल सैनी ने शनिवार को गांव राजपुरा भैण में आयोजित डा. सुरेंद्र दलाल किसान खेत पाठशाला किसानों को सम्बोधित करते हुए कही। पाठशाला के आरंभ में किसानों ने कपास की फसल में मौजूद मांसाहारी तथा शाकाहारी कीटों का अवलोकन कर कीटों का बही खाता भी तैयार किया। पाठशाला में किसानों ने कपास की फसल में अब तक देखे गए शाकाहारी कीटों पर भी विस्तार से चर्चा की। फसल में पाई जाने वाली मकडिय़ों का फोटो। डा. कमल सैनी ने कहा कि मकड़ी किसी भी कीट को खाने से परहेज नहीं करती है। यह हर प्रकार के कीट को आसानी से अपना शिका