कीट ज्ञान में कृषि वैज्ञानिकों को भी मात दे रहे कीट कमांडो किसान

आज से पहले कीटों पर नहीं हुआ इस तरह का कोई शोध : डी.सी.
निडानी गांव में किया जिला स्तरीय खेत दिवस का आयोजन

नरेंद्र कुंडू
जींद। जींद जिले के किसानों ने कीटों पर जो अनोखा शोध किया है वह वास्तव में काबिले तारिफ है और आज से पहले कीटों पर कहीं भी इस तरह का शोध नहीं हुआ है। कीटों के बारे में जितनी जानकारी कीट कमांडों किसानों को है उतनी तो शायद कृषि वैज्ञानिकों को भी नहीं है। यह बात उपायुक्त राजीव रत्तन ने वीरवार को कृषि विभाग तथा कीट साक्षरता सोसायटी निडानी द्वारा आयोजित खेत दिवस पर निडानी गांव में किसानों को सम्बोधित करते हुए कही। इस अवसर पर कार्यक्रम में जिला कृषि उपनिदेशक डा. रामप्रताप सिहाग, जिला बागवानी अधिकारी डा. बलजीत भ्याण, स्व. डा. सुरेंद्र दलाल की पत्नी कुसुम दलाल, विजय दलाल, रोहतक एम.डी.यू. से डा. राजेंद्र चौधरी, पी.जी.आई. रोहतक से सर्जन डा. रणबीर दहिया, बराह तपा प्रधान कुलदीप ढांडा, ढुल खाप के प्रधान इंद्र सिंह ढुल, जाट धर्मशाला जींद के प्रधान रामचंद्र, होशियार सिंह दलाल, दलीप चहल, प्राचार्य रमेश मलिक, समाजसेवी राधेश्याम, निडानी गांव के सरपंच अशोक, कृषि विकास अधिकारी डा. कमल सैनी सहित कृषि विभाग के अन्य अधिकारी भी विशेष रूप से मौजूद थे। 
खेत दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में मौजूद लोग। 
कार्यक्रम का शुभारंभ उपायुक्त राजीव रत्तन ने कीट साक्षरता के अग्रदूत स्व. डा. सुरेंद्र दलाल को श्रद्धांजलि अर्पित की। डी.सी. ने कहा कि आज जींद जिले के लगभग 14 गांव के अनेकों किसान इस मुहिम से जुड़े हैं। राजपुरा, ईंटल, ईगराह, निडानी, निडाना, ललितखेड़ा, रधाना, चाबरी, भैराखेड़ा, ईक्कस, जलालपुरा कलां समेत कई गांवों के किसान बिना कीटनाशकों का प्रयोग किए कपास, धान जैसी फसलें पैदा करने लगे हैं। कार्यक्रम में किसानों ने अपने अनुभव रखते हुए बताया कि कीटों और किसानों के बीच जो लड़ाई चल रही है वह आधारहीन है। कीटों को नियंत्रण करने के लिए तो कीट ही सबसे बड़ा शस्त्र है। इसलिए कीटों को नियंत्रण करने की जरूरत नहीं है। अगर जरूरत है तो इनकी पहचान करने की। पौधे अपनी जरूरत के अनुसार सुगंध छोड़कर कीटों को बुलाते हैं। महिला किसानों ने 'हो पिया तेरा हाल देखकै मेरा कालजा धड़कै हो, तेरे कांधै टंकी जहर की या मेरै कसुती रड़क हो' तथा 'सबतै बढिय़ा हो सै बिना जहर की खेती' गीतों के माध्यम से किसानों की नब्ज को टटोलने का काम किया और कीटनाशकों पर कटाक्ष किए। एम.डी.यू. से आए डा. राजेंद्र चौधरी ने किसानों को गोबर की खाद तैयार करने तथा कुदरती खेती के  बारे में विस्तार से जानकारी दी। जिला उद्यान 
अधिकारी डा. बलजीत भ्याण ने कहा कि उन्होंने सब्जियों में जहर के स्तर की जांच के लिए जो भी सैम्पल लिए उन सभी सब्जियों में जहर की मात्रा शरीर को नुक्सान पहुंचाने के स्तर से काफी ज्यादा पाई गई है। 
कार्यक्रम के दौरान कीटों पर आधारित गीत प्रस्तुत करती महिला किसान।
इससे यह अंदाजा असानी से लगाया जा सकता है कि हमारा खान-पान कितना शुद्ध है। जिला कृषि उपनिदेशक डा. रामप्रताप सिहाग ने कहा कि डा. सुरेंद्र दलाल ने जो मुहिम शुरू की थी आज वह पूरी गति से प्रदेश में फैल रही है। पूरे कृषि विभाग को डा. सुरेंद्र दलाल पर फकर है। डा. सुरेंद्र दलाल की मौत के बाद इस मुहिम से जुड़े लोगों को बड़ी निराशा हुई थी और किसानों को इस मुहिम के खत्म होने का डर सता रहा था लेकिन डा. सुरेंद्र दलाल के बाद डा. कमल सैनी ने इस मुहिम को आगे बढ़ाने का बीड़ा उठाया और वह बड़े अच्छे तरीके से इस मुहिम को सफल बनाने में अपना योगदान दे रहे हैं। 
डी.सी. को सम्मानित करते किसान व विभाग के अधिकारी ।

रक्त में फैले जहर को निकालने के लिए नहीं बनी कोई मशीन

रोहतक पी.जी.आई. से आए सर्जन डा. रणबीर सिंह दहिया ने कहा कि आज तक कोई ऐसी मशीन नहीं बनी जो खाने के माध्यम से हमारे खून में फैले जहर को बाहर निकाल सके। डा. दहिया ने कहा कि रोहतक पी.जी.आई. में भी ऐसे टैस्ट की सुविधा नहीं है, जिससे यह पता लगाया जा सके कि मरीज के शरीर में जहर का स्तर कितना बढ़ चुका है। उन्होंने कहा कि हरियाणा में इस टैस्ट को शुरू करने के लिए आज से लगभग 20 वर्ष पहले विधानसभा में यह मुद्दा उठा था और विधानसभा में इस टैस्ट को शुरू करने के लिए प्रस्ताव भी तैयार किया गया लेकिन आज तक यह सुविधा शुरू नहीं हो पाई है। डा. दहिया ने सरकारी अस्पतालों में इस टैस्ट को शुरू करवाने के लिए खाप पंचायतों को लड़ाई शुरू करने का आह्वान किया। डा. दहिया ने कहा कि आज लोगों में हड्डियों व पेट के रोगों के फैलेने का मुख्य कारण पेस्टीसाइड के कारण दूषित 
होता हमारा खान-पान है।  

कीट ज्ञान की मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए पूरा प्रयास करेंगी खाप पंचायतें

बराह तपा के प्रधान कुलदीप ढांडा ने कहा कि डा. सुरेंद्र दलाल द्वारा शुरू की गई थाली को जहर मुक्त बनाने की इस मुहिम को जींद के अलावा पूरे प्रदेश में फैलाने के लिए खाप पंचायतें हर संभव प्रयास करेंगी। उन्होंने कहा कि किसान-कीट की लड़ाई का मामला खाप की अदालत में है और खाप पंचायतों के प्रतिनिधि पिछले 2 वर्ष से इन पाठशालाओं में जाकर अपना रिकार्ड तैयार कर रहे हैं। खाप पंचायतें अगले वर्ष एक बड़ी पंचायत का आयोजन कर इसके खिलाफ लड़ाई की अगली रणनीति तैयार करेंगी। 






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