रविवार, 15 दिसंबर 2013

घूंघट के पीछे से किसानों को दिया जहरमुक्त खेती का संदेश

देश की हर क्रांति में पुरुषों के बराबर रही है महिलाओं की भागीदारी : मैडम दलाल

नरेंद्र कुंडू
जींद। इतिहास गवाह है, जब-जब देश में क्रांति हुई है, तब-तब उस क्रांति में महिलाओं की भागीदारी पुरुषों के बराबर रही है। यह बात मैडम कुसुम दलाल ने वीरवार को गांव रधाना में आयोजित महिला किसान खेत दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्यातिथि बोलते हुए कही। कार्यक्रम में कृषि विभाग के उप-निदेशक डा. आर.पी. सिहाग, जिला उद्यान अधिकारी डा. बलजीत भ्याण, कृषि विभाग के एस.डी.ओ. डा. युद्धवीर सिंह, बराह तपा के प्रधान कुलदीप ढांडा, दलीप सिंह चहल, राजबीर कटारिया, कृषि विकास अधिकारी डा. कमल सैनी, डा. रवि, डा. राजेंद्र शर्मा तथा डा. युद्धवीर सिंह भी विशेष रूप से मौजूद थे। कार्यक्रम के दौरान महिला कीट कमांडों किसानों ने हरियाणवी संस्कृति को निभाते हुए घूंघट के पीछे से किसानों को जहरमुक्त खेती को बढ़ावा देने का संदेश दिया और अन्य किसानों के साथ अपने अनुभव सांझा किए। इस अवसर पर किसानों ने डा. सुरेंद्र दलाल के नाम से डायरी का विमोचन भी किया। 
महिला कीट कमांडो किसान अंग्रेजो, कमलेश, कविता, नारो, राजवंती ने कहा कि आज फसलों में अंधाधुंध कीटनाशकों के प्रयोग के कारण दूषित हो रहे खान-पान के कारण बच्चे के लिए सबसे सुरक्षित माने जाने वाले मां के दूध में भी अब जहर की मात्रा मिलने लगी है, जो पूरी मानव जाति के लिए एक गंभीर खतरे की दस्तक है। उन्होंने कहा कि 10 हजार साल पहले खेती की शुरूआत हुई थी और तभी से किसानों, कीटों और पौधों का आपस में गहरा रिश्ता था लेकिन लगभग 30 साल पहले इस रिश्ते को खत्म करने की साजिश रची गई और किसानों को गुमराह करते हुए बताया गया कि कीटों से फसल को 22 प्रतिशत नुक्सान होता है। इसके बाद 

 महिलाओं को सम्बोधित करती मैडम कुसुम दलाल। 

कृषि वैज्ञानिकों ने इस 22 प्रतिशत नुक्सान की रिकवरी के लिए पहले किसानों को कीटों को नियंत्रण करने के लिए कीटनाशकों का प्रयोग करना तथा फिर कीटों का प्रबंधन करना सिखाया लेकिन इसके बाद भी कीटों पर 
डा. सुरेंद्र दलाल पर आधारित डायरी का विमोचन करते अधिकारी। 
काबू नहीं पाया जा सका। उन्होंने कहा कि अब खुद कृषि वैज्ञानिक इस बात को स्वीकार चुके हैं कि कीटनाशकों के प्रयोग से मात्र 7 प्रतिशत ही रिकवरी होती है। मात्र 7 प्रतिशत की रिकवरी के लिए किसान अंधाधुंध कीटनाशकों का प्रयोग कर फसल खर्च तो बढ़ा रहा है, साथ-साथ खाने को भी जहरीला बना कर अपने तथा दूसरों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है। इस अवसर पर महिला किसानों ने 'खेतैं में खड़ी ललकारुं तू जहर ना लाइए, लैइए खाद का घोल कीडय़ां की जान बचाइए', 'खेती चौपट, कर्जा भारी दिखै घोर अंधेरा' आदि गीतों के माध्यम से कीटनाशकों पर कटाक्ष किए और किसानों को जहरमुक्त खेती कर कीटों को बचाने का आह्वान किया। किसानों ने कार्यक्रम में मौजूद सभी अतिथिगणों को पगड़ी तथा शाल भेंट कर स्वागत किया। महिलाओं के कार्यों को देखते हुए मैडम कुसुम दलाल ने निडाना, निडानी व रधाना गांव की महिलाओं को 1100-1100 रुपए और कुलदीप ढांडा ने 500 रुपए पुरस्कार  स्वरूप दिए। 

163 किस्म के मांसाहारी कीटों की खोज की



महिला किसानों को पुरस्कृत करती मैडम कुसुम दलाल। 
महिला कीट कमांडो किसानों ने बताया कि उन्होंने अभी तक 20 किस्म के रस चूसक, 13 किस्म के पत्ते खाने वाले कीट, 4 किस्म के फूल खाने वाले कीट तथा 3 किस्म के फल खाने वाले कीटों की खोज की है। इसके अलावा इनको कंट्रोल करने के लिए 163 किस्म के मांसाहारी कीटों की पहचान भी की जा चुकी है। 

हरे तेले, चूरड़े व सफेद मक्खी से भयभीत न हो किसान

कीट कमांडों महिला किसानों ने बताया कि जब तक उन्हें कीटों की पहचान नहीं हुई थी, तब तक उन्हें कपास की फसल में मौजूद हरे तेले, चूरड़े व सफेद मक्खी से डर लगता था। क्योंकि यह तीनों कीट कपास की फसल को नुक्सान पहुंचाने वाले मेजर कीटों में शुमार हैं लेकिन जब से उन्हें कीटों की पहचान हुई है तथा इनके क्रियाकलापों के बारे में जानकारी हुई है, तब से इनके प्रति इनका भय पूरी तरह से निकल चुका है। 
कार्यक्रम में अपने अनुभव सांझा करती महिला किसान

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