गुरुवार, 6 फ़रवरी 2014

अब पैसे के अभाव में ईलाज से वंचित नहीं रहेंगे बच्चे

0 से 18 वर्ष तक के बच्चों को निशुल्क मिलेंगी स्वास्थ्य सुविधाएं
स्वास्थ्य विभाग ने किया 11 टीमों का गठन

गांव-गांव घूमकर बीमारी से पीडि़त बच्चों की पहचान करेंगी स्वास्थ्य विभाग की टीमें

नरेंद्र कुंडू
जींद। आंगनवाड़ी तथा सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले 0 से 18 वर्ष तक के बच्चे अब आर्थिक कमजोरी के कारण उपचार से वंचित नहीं रहेंगे। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य योजना के तहत स्वास्थ्य विभाग अब आंगनवाड़ी तथा सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों को गंभीर बीमारी में भी निशुल्क स्वास्थ्य सुविधा मुहैया करवाएगा। स्वास्थ्य विभाग की इस योजना की सबसे खास बात यह है कि इस सेवा का लाभ लेने के बच्चों को अस्पतालों के चक्कर भी नहीं काटने पड़ेंगे, बल्कि स्वास्थ्य विभाग की टीम खुद गंभीर बीमारी की चपेट में आने वाले बच्चों को ढूंढ़कर अस्पताल तक पहुंचाएगी। इस योजना को कारगर बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा सामान्य अस्पताल में डिस्ट्रीक अर्ली इंटरमैंशन सैंटर (डी.ई.आई.सी.) स्थापित किए जा रहे हैं और इस सैंटर को चलाने के लिए अलग से स्टाफ की नियुक्ति की जा रही है। 
सामान्य अस्पताल का वह कमरा, जहां डी.ई.आई.सी. का निर्माण किया जाना है।

11 मोबाइल टीमें करेंगी निगरानी

राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य योजना के तहत आंगनवाड़ी तथा सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले 0 से 18 वर्ष तक के बच्चों को सरकार की इस योजना का लाभ पहुंचाने के लिए डी.ई.आई.सी. के तहत ब्लॉक वाइज 11 मोबाइल टीमों का गठन किया गया है। प्रत्येक टीम में एक मेल डॉक्टर, एक फीमेल डॉक्टर, एक ए.एन.एम. तथा एक फार्मासिस्ट को शामिल किया गया है। डी.ई.आई.सी. की यह 11 टीमें जिले के सभी गांवों में घूमकर गंभीर बीमारी से पीडि़त बच्चों का पता लगाएंगी। 

निशुल्क मिलेंगी सभी स्वास्थ्य सुविधाएं

स्वास्थ्य विभाग द्वारा राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य योजना के तहत ब्लड कैंसर, ह्रदय रोग, कैंसर सहित 30 प्रकार की ऐसी गंभीर बीमारियों को अपनी सूची में शामिल किया है, जिनके उपचार पर मोटी रकम खर्च होती है लेकिन स्वास्थ्य विभाग इन सभी बीमारियों से पीडि़त बच्चों का मुफ्त उपचार करवाएगा। स्वास्थ्य विभाग की सूची में शामिल इन 30 किस्म की गंभीर बीमारी से पीडि़त बच्चे को ओ.पी.डी. तक की पर्ची बनवाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा बच्चे को एक अलग किस्म का कार्ड जारी किया जाएगा। इस कार्ड के आधार पर ही बच्चे का पूरा उपचार निशुल्क होगा। अगर बच्चे की बीमारी सामान्य है तो स्वास्थ्य विभाग की टीम पी.एच.सी., सी.एच.सी. स्तर पर बच्चे का उपचार करवाएगी। यदि पी.एच.सी. या सी.एच.सी. स्तर पर बच्चे का उपचार सही तरीके से नहीं हो पाया तो बच्चे को सामान्य अस्पताल ले जाया जाएगा। अगर बच्चे की बीमारी गंभीर है तो उसे सामान्य अस्पताल से पी.जी.आई. रोहतक या चंडीगढ़ रैफर किया जाएगा। 

डी.ई.आई.सी. के निर्माण पर खर्च होंगे 20 लाख

राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य योजना के तहत जिला स्तर पर तैयार होने वाले डी.ई.आई.सी. के भवन के निर्माण पर 20 लाख रुपए खर्च किए जाएंगे और भवन तैयार होने के बाद इसके डैकोरेशन पर 2 लाख रुपए खर्च होंगे। इस योजना को सही तरीके से चलाने के लिए जिला स्तर पर निॢमत सैंटर पर 15 सदस्यों का स्टाफ होगा। इसमें डॉटा आप्रेटर, स्टाफ नर्स, लैब टैक्नीशियन, सोशल वर्कर से लेकर विशेषज्ञ तक मौजूद रहेंगे। 

समय पर मिल पाएगा बच्चे को उपचार

जिला स्तर पर डी.ई.आई.सी. शुरू होने से बच्चों को काफी लाभ मिलेगा। पैसों के अभाव में कोई भी बच्चा उपचार से वंचित नहीं रह पाएगा। 0 से 18 वर्ष तक के बच्चों का निशुल्क उपचार किया जाएगा। इसकी सबसे खास बात यह होगी कि डी.ई.आई.सी. की टीमें गांव-गांव घूमेंगी और बच्चे के बीमारी की चपेट में आते ही उसका उपचार शुरू करवाएंगी। समय पर बच्चे को सही उपचार मिलने से बीमारी गंभीर रुप धारण नहीं कर पाएगी और बच्चे को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल पाएंगी। 
 डा. राजेश भोला का फोटो।
डा. राजेश भोला, नोडल स्कूल हैल्थ अधिकारी
सामान्य अस्पताल, जींद 



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