मरीजों की मर्ज बढ़ा रही सामान्य अस्पताल की स्वास्थ्य सेवाएं
बिना चिकित्सकों के कैसा मुफ्त इलाज
नरेंद्र कुंडू
जींद। प्रदेश सरकार की सामान्य अस्पतालों में मरीजों को मुफ्त इलाज की योजना को लागू हुए तीन माह का समय बीत चुका है, लेकिन जींद शहर के सामान्य अस्पताल की स्वास्थ्य सेवाएं मरीजों का दर्द कम करने की बजाए उनकी मर्ज बनती जा रही हैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा 100 बैड के इस अस्पताल को अपग्रेड कर 200 बैड का किया जा रहा है लेकिन सामान्य अस्पताल में सुविधाएं 100 बैड की भी नहीं हैं। सामान्य अस्पताल में चिकित्सकों की कमी के चलते हुए यहां आने वाले मरीजों को सरकार की मुफ्त इलाज योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। छोटी सी बीमारी के उपचार के लिए भी मरीजों को यहां घंटों इंतजार करना पड़ता है। सामान्य अस्पताल प्रशासन की लापरवाही का आलम यह है कि कई-कई घंटों तक इंतजार करने के बाद भी उन्हें कोई यह बताने वाला नहीं है कि जिस डॉक्टर से उन्हें इलाज करवाना है आज वह ड्यूटी पर है या छुट्टी पर है। सामान्य अस्पताल प्रशासन की लापरवाही के चलते मरीजों को मजबूरीवश निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ रहा है। ऐसे में आखिर सवाल यह उठता है कि चिकित्सकों के बिना सरकार की मुफ्त योजना कैसे सफल हो पाएगी।
20 पद खाली
सामान्य अस्पताल में चिकित्सकों की कुल 50 पद सैंक्शन हैं। इनमें से 20 पद खाली पड़ी हैं और 20 पदों भरी हुई हैं। इनमें से कई महीनों से एक डॉक्टर अनुपस्थित चल रहा तो दो डॉक्टर पिछले कई माह से लंबी छुट्टी पर हैं और एक डॉक्टर को छह माह की ट्रेनिंग पर भेजा गया है। इस प्रकार 100 बैड के इस अस्पताल की जिम्मेदारी महज 26 डॉक्टरों के सहारे चल रही है। इनमें से भी हर रोज कुछ डॉक्टरों को कोर्ट इत्यादि में गवाही के लिए जाना पड़ता है।
सर्जन सहित रेडियोलाजिस्ट और त्वचा रोग विशेष की भी कमी
जिला मुख्यालय पर स्थित सामान्य अस्पताल में चिकित्सकों की कमी का आलम यह है कि 100 बैड के इस अस्पताल में सिर्फ एक सर्जन है और वह भी पिछले लगभग 20 दिनों से छुट्टी पर चल रहे हैं। सर्जन के छुट्टी पर चले जाने के कारण इस समय सामान्य अस्पताल में आप्रेशन बंद पड़े हैं। ऑप्रेशन के लिए आने वाले मरीजों को निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ रहा है। सर्जन के अलावा सामान्य अस्पताल में रेडियोलाजिस्ट तथा त्वचा रोग विशेषज्ञ की भी कमी है। यहां पर न तो रेडियोलाजिस्ट है और न ही त्वचा रोग विशेषज्ञ। सामान्य अस्पताल में ऑर्थो का भी केवल एक चिकित्सक है और वह भी अब ३१ मार्च को सेवानिवृत्त होने जा रहा है।
कैंटिन की भी नहीं है सुविधा
सामान्य अस्पताल में मरीजों के लिए कैंटिन तक की सुविधा नहीं है। अस्पताल परिसर में कैंटिन नहीं होने के कारण मरीजों को खाली पेट ही घंटों तक बैठकर डॉक्टरों का इंतजार करना पड़ता है।
10 दिन से काट रहा हूं अस्पताल के चक्कर
सामान्य अस्पताल में उपचार के लिए आए गांव लोहचब निवासी सतबीर ने बताया कि उसकी हड्डी में फ्रेक्चर है और वह हड्डी के उपचार के लिए पिछले 10 दिन से सामान्य अस्पताल के चक्कर काट रहा है लेकिन हर बार उसे चिकित्सक नहीं मिलने के कारण वापिस लौटना पड़ता है। सतबीर ने बताया कि जब वह एक्सरे के लिए एक्सरे विभाग में गया तो उसे बताया गया कि लाइट नहीं है इसलिए एक्सरे नहीं होगा।
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ईगराह निवासी सतबीर का फोटो। |
मेडिकल के लिए भी घंटों करना पड़ता है इंतजार
सामान्य अस्पताल में आए पति-पत्नी नरसी तथा पूजा ने बताया कि उन्हें अपना मेडिकल करवाना है और वह कई देर से यहां बैठे हैं लेकिन ड्यूटी पर मौजूद चिकित्सक उनकी सुध नहीं ले रहा है। जब भी वह चिकित्सक से मेडिकल करने के लिए कहते हैं तो चिकित्सक उन्हें बाहर इंतजार करने के लिए कह देते हैं। घंटों इंतजार के बाद भी उनका मेडिकल नहीं हुआ है।
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नरसी का फोटो। |
छह घंटे के इंतजार के बाद भी नहीं हुआ बच्चों का इलाज
ईगराह गांव निवासी कमलेश ने बताया कि वह अपने बच्चों के चैकअप के लिए सामान्य अस्पताल में आई थी लेकिन यहां पर चिकित्सक ही नहीं है। कमलेश ने बताया कि वह सुबह साढ़े दस बजे अस्पताल में आई थी और तीन बजे तक इंतजार करने के बाद भी वहां कोई डॉक्टर नहीं पहुंचा। इसलिए कई घंटे के इंतजार के बाद भी बिना बच्चों का उपचार करवाए ही उसे घर लौटना पड़ेगा।
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बच्चों के उपचार के लिए सामान्य अस्पताल में चिकत्सकों का इंतजार करती ईगराह निवासी कमलेश। |
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जींद के सामान्य अस्पताल का फोटो। |
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