शुक्रवार, 4 अप्रैल 2014

नेताओं के दल बदलने से बदली राजनीति की फिजा

प्रदेश में त्रिकोणिय नहीं बहुकोणिय हुआ लोकसभा चुनाव का मुकाबला

नरेंद्र कुंडू 
जींद। प्रदेश में लोकसभा चुनाव के दौरान नेताओं के दल बदलने के चलन से प्रदेश में राजनीति की फिजा पूरी तरह से बदल चुकी है। अब प्रदेश में लोकसभा चुनाव का मुकाबला त्रिकोणिय नहीं होकर बहुकोणिय हो गया है। नेताओं के इस दल बदलने के चलन से प्रदेश के राजनीतिक समीकरण भी पूरी तरह से बदल गए हैं। टिकट और अच्छे भविष्य की चाह में नेता कपड़ों की तरह पाॢटयां बदल रहे हैं। प्रदेश में गर्मा रहे चुनावी माहौल को देखते हुए कुछ पार्टियों ने दल-बदलुओं को हाथों हाथ ले लिया है। नेताओं के इस ट्रेंड से एक तरह से वोटरों में भी मायूसी का माहौल तैयार हो रहा है। वहीं चुनावी माहौल को देखते हुए हरियाणा में सभी राजनीतिक दलों द्वारा भी टिकट वितरण में जात, गौत्र तथा ऐरिया का विशेष ध्यान रखा गया है।   
प्रदेश में चुनाव से कुछ माह पहले तक कांग्रेस, इनेलो तथा भाजपा-हजकां गठबंधन के बीच त्रिकोणिया मुकाबले के कयास लगाए जा रहे थे। प्रदेश में पार्टी के विपक्ष में बन रहे माहौल को देखते हुए चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस पार्टी ने जाट आरक्षण का दाव खेल कर जाट वोट बैंक को लुभाने का प्रयास किया है। वहीं भाजपा पार्टी द्वारा प्रदेश में आठ में से पांच लोकसभा सीटों पर कुछ दिनों पहले ही दल बदलकर आए नेताओं को टिकट दिए जाने से खफा भाजपा कार्यकत्र्ताओं द्वारा पार्टी के पदाधिकारियों पर टिकट वितरण में धांधली के आरोप लगाकर हंगामा करने के बढ़ते मामलों ने लोकसभा चुनाव में भाजपा की राह में भी रोड़ा अटकाने का काम किया है। इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला तथा अजय चौटाला के जेबीटी प्रकरण में जेल में होने के कारण इनेलो के नए नेता भी अभी तक मतदाताओं का विश्वास हासिल करने में पूरी तरह से सफल नहीं हो पा रहे हैं। हरियाणा अध्यन केंद्र के निदेशक डॉ. एसएस चाहर का मानना है कि भाजपा द्वारा कांग्रेस छोड़कर हाल ही में भाजपा में शामिल होने वाले नेताओं को टिकट देना भाजपा के लिए आत्मघाती हो सकता है। वहीं भाजपा द्वारा चंद्रमोहन को पहले करनाल से टिकट देना और फिर टिकट वापिस लेकर नए चेहरे को टिकट दिए जाने के मामले से गठबंधन में भी रार पैदा हुई है। डॉ. चाहर का कहना है कि इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला तथा अजय चौटाला के जेल में होने के कारण इनेलो के कार्यकत्र्ताओं में भी मायूसी है। मतदाता इनेलो के नए नेताओं पर विश्वास नहीं कर पा रहे हैं। डॉ. चाहर का मानना है कि नेताओं के इस दल बदलने चलन के कारण प्रदेश की राजनीति की फिजा बदल गई है। इस समय प्रदेश में त्रिकोणिय मुकाबला नहीं होने की बजाये लोकसभा चुनाव में बहुकोणिय मुकाबले के आसार बने हुए हैं। 




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