अनाज मंडी में आढ़तियों की दया पर रहेगा किसानों का पीला सोना

46 एकड़ की अनाज मंडी में महज 2 शैड
इस बार किसानों के अरमानों पर पानी फेर सकती है बरसात
बरसात के कारण गेहूं की फसल को नुकसान

नरेंद्र कुंडू
जींद। इस बार अनाज मंडी में गेहूं की फसल लेकर आने वाले किसानों का पीला सोना आढ़तियों की दया पर रहेगा। क्योंकि मार्केटिंग बोर्ड प्रबंधन द्वारा अनाज मंडी में बिक्री के लिए आने वाले गेहूं को बरसात से बचाने के लिए कोई खास व्यवस्था नहीं की गई। 46 एकड़ की अनाज मंडी में महज 2 शैड ही हैं। एक शैड की गेहूं स्टाक की क्षमता महज 50 लाख क्विंटल की है। जबकि अनाज मंडी में आवक इससे कई गुणा ज्यादा है। इसके अलावा बोर्ड द्वारा किसान की 6 माह की मेहनत को बरसात से बचाने की कोई ओर व्यवस्था नहीं है। ऐसे में यदि मौसम इसी तरह खराब रहा तो किसानों के अरमानों पर पानी फिर सकता है। अनाज मंडी में गेहूं बिक्री के लिए आने वाले किसानों को अपनी फसल को बरसात से बचाने के लिए या तो खुद ही व्यवस्था करनी होगी या फिर किसानों को आढ़तियों से सहारा लेना होगा। 
खेतों में खड़ी गेहूं की फसल।
गेहूं की कटाई का कार्य शुरू हो चुका है जल्द ही गेहूं की फसल अनाज मंडियों में पहुंचनी शुरू हो जाएगी लेकिन मौसम के बिगड़ते मिजाज को देखते हुए मंडी में पहुंचने के बाद भी किसान की मेहनत पानी में मिल सकती है। क्योंकि मंडी में गेहूं की फसल की खरीद-फरोखत से लेकर किसानों के लिए मूलभूत सुविधाओं का दम भरने वाले मंडी मार्केटिंग बोर्ड द्वारा किसानों की गेहूं की फसल को बरसात से बचाने के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है। इस समय अनाज मंडी में सिर्फ 2 शैड ही हैं, जिनकी क्षमता महज 50-50 लाख क्विंटल की ही है। जबकि गेहूं की आवक इससे कई गुणा ज्यादा होती है। यदि पिछले सीजन पर नजर डाली जाए तो जींद अनाज मंडी में 60 लाख क्विंटल गेहूं की आवक हुई थी। गेहूं के सीजन के दौरान यदि बरसात का मौसम इस तरह से चलता रहा तो अनाज मंडी में पहुंचने के बाद गेहूं की फसल को बरसात से बचाने के लिए किसान को या तो खुद ही व्यवस्था करनी पड़ेगी या फिर आढ़ती पर आश्रित होना पड़ेगा। शैड के अलावा मंडी में आने वाली गेहूं की फसल को बरसात से बचाने के लिए मंडी बोर्ड के पास कोई इंतजाम नहीं है। 

बरसात फेर सकती है किसानों के अरमानों पर पानी

गेहूं की फसल पककर तैयार हो चुकी है। किसान कटाई के कार्य में लग चुके हैं लेकिन गत रात्रि से शुरू हुई बरसात ने किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं। यदि गेहूं की कटाई के दौरान बरसात इसी तरह अटखेलियां करती रही तो किसानों की सारी मेहनत पर पानी फिर जाएगा। कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस बरसात से गेहूं और सरसों की फसल को भारी नुकसान होगा। बरसात के कारण गेहूं की फसल के उत्पादन पर भारी प्रभाव पड़ेगा। कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि उत्पादन के साथ-साथ किसानों के सामने चारे का संकट भी खड़ा हो सकता है क्योंकि बरसात के मौसम को देखते हुए किसान हाथ से गेहूं की कटाई करने की बजाए कम्बाइन से कटाई को प्राथमिकता दे सकते हैं। यदि कम्बाइन की कटाई के रकबे में वृद्धि हुई तो किसानों के सामने पशुओं के चारे का संकट खड़ा हो सकता है। 

शैडों के नीचे पड़ी है सरसों और कपास की फसल 

गेहूं की कटाई शुरू हो चुकी है जल्द ही अनाज मंडी में फसल पहुंचनी शुरू हो जाएगी लेकिन बरसात के मौसम को देखते हुए किसानों को मंडी में गेहूं की फसल के बारिश में भीगने का डर सता रहा है। क्योंकि अनाज मंडी में बरसात के दौरान गेहूं की फसल को भीगने से बचाने के लिए मंडी में कोई व्यवस्था नहीं है। 46 एकड़ में बनी अनाज मंडी में महज २ शैड हैं और इस समय इन शैडों के नीचे भी कपास और सरसों की फसल पड़ी हुई है। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि यदि मंडी में गेहूं की आवक के दौरान बरसात दस्तक देती है तो ऐसी स्थिति में मंडी प्रशासन के पास गेहूं की फसल को बरसात से बचाने की क्या व्यवस्था है। 

अनाज मंडी में शैड के नीचे पड़ी कपास तथा सरसों की फसल






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